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Parasram Arora
ये निरर्थक सा प्रेमालाप और ये व्यथित होता हुआ ह्रदय और किसी को उसमे स्पेस देना कितना पीड़ादायी अनुभव है..... जबकि वो जान चुका है रस हींन अधरों का खुष्क सा स्पर्श. और वो कदाचित ये भी जान चुका है कि संवेदनाओं क़े अतिक्रमंण से होने वाले वे भृमित करने वाले क्षण कितनी पीड़ा दें जाते हैँ वो भी तब जब पाया हुआ प्रेम खो जाता है और वक़्त क़े तेज़ बहाव मे ज़ब प्यार क़े सभी चटकीले रंग बदरंग होकर अस्तित्व मे सिमट जाते है ©Parasram Arora चटकीले रंग......
Aslam Siddiqui
चुटकी बजा के तुझको तमाशा दिखा तो दूं लेकिन मैं तेरे वास्ते ख़ुद को गिराऊं क्यों? चटकी
Anuj Ray
अभी-अभी चटकी है ,कली गुलाब की, ज़रा फूल तो बनने दो, और थोड़ा सब्र करो यारों। एक पल में ही बिखर जाएगी, दुनिया उसकी , कौमार्य भंग होने से,और थोड़ा तो सब्र करो यारों। ©Anuj Ray #अभी-अभी चटकी है कली गुलाब की,,
Pratyush Saxena
जितना लगता है , उतना सुलझा हुआ नहीं उसका किरदार है , वो आकर्षक चित्र के पीछे छुपी , एक चटकी हुई दीवार है । #NojotoQuote चटकी हुई दीवार है । #PS #Nojoto #NojotoHindi #Deewar #Kirdaar
Esha Joshi
मुस्कुराने का यही अंदाज़ था जब कली चटकी तो वो याद आ गया मुस्कुराने का यही अंदाज़ था जब कली चटकी तो वो याद आ गया
नितिन कुमार 'हरित'
मन की स्लेट पर, मैं जब भी लिखता हूं, शब्द, शब्द नहीं रहते... रंग बन जाते हैं, चटकीले से, घुलते हैं, मिलते हैं,
Nitin Kr Harit
मैं जब भी लिखता हूं, शब्द, शब्द नहीं रहते... रंग बन जाते हैं, चटकीले से, घुलते हैं, मिलते हैं, और फिर... उभरते हैं, तेरी तस्वीर बनकर... मेरे मन की स्लेट पर । मन की स्लेट पर मैं जब भी लिखता हूं, शब्द, शब्द नहीं रहते... रंग बन जाते हैं, चटकीले से, घुलते हैं, मिलते हैं,
Bharat Bhushan pathak
नयन तेरे ,नशीले हैं,अधर जैसे,कमलदल हो। लटें तेरी,क़हर ढाए,लगे झरने, कि हलचल हो।। हिले नथुनी,यहाँ जब भी,लगी जैसे,कली चटकी। चले जब भी,सुनो जानूँ,लगे जैसी,फिज़ा मटकी।। भली किस्मत,इसी कारण,मिली प्रियतम,यहाँ मुझको। बता क्या क्या, पुकारूँ मैं,सुनो सजनी,यहाँ तुझको।। संभालो जी,अजी बाली,करे है हाय मतवाला। खनकती चूड़ियाँ तेरी,मुझे पागल बना डाला।। बजे नूपुर,यहाँ जब भी ,मधुर संगीत सा लगता। मिला जो साथ तेरा है,इसी से भाग्य है जगता।। ©Bharat Bhushan pathak नयन तेरे ,नशीले हैं,अधर जैसे,कमलदल हो। लटें तेरी,क़हर ढाए,लगे झरने, कि हलचल हो।। हिले नथुनी,यहाँ जब भी,लगी जैसे,कली चटकी। चले जब भी,सुनो जान
Bharat Bhushan pathak
नयन तेरे ,नशीले हैं,अधर जैसे,कमलदल हो। लटें तेरी,क़हर ढाए,लगे झरने, कि हलचल हो।। हिले नथुनी,यहाँ जब भी,लगी जैसे,कली चटकी। चले जब भी,सुनो जानूँ,लगे जैसी,फिज़ा मटकी।। भली किस्मत,इसी कारण,मिली प्रियतम,यहाँ मुझको। बता क्या क्या, पुकारूँ मैं,सुनो सजनी,यहाँ तुझको।। संभालो जी,अजी बाली,करे है हाय मतवाला। खनकती चूड़ियाँ तेरी,मुझे पागल बना डाला।। बजे नूपुर,यहाँ जब भी ,मधुर संगीत सा लगता। मिला जो साथ तेरा है,इसी से भाग्य है जगता।। ©Bharat Bhushan pathak #RajaRaani #nojohindi #Nojotothought#nojotopoetry नयन तेरे ,नशीले हैं,अधर जैसे,कमलदल हो। लटें तेरी,क़हर ढाए,लगे झरने, कि हलचल हो।। हिले नथुन
vishnu prabhakar singh
दिल कोई तहखाना है भावना का आना जाना है एक चटकीली दरी बिछी है वहाँ कविता की लड़ी लगी है जहाँ चपल मन नृत्य साध रहा है दिल तहखाना झाँक रहा है जीवन भरे पोटली गट्ठर बने हैं कुछ यादें हैं और कुछ अख्खड़ पड़े हैं एक अलग कोठरी में कोई बंद है दिल देकर दगा करने वाले भी चंद है आये दिन बत्ती गुल हो जाती है जैसे,मासूका दिल को सताती है आँखों के शैलाब से तहखाना भर जाता है तभी तो कोई दिल निकाल कर धर जाता है तहखाना दीवाना है। दिल कोई तहखाना है भावना का आना जाना है एक चटकीली दरी बिछी है वहाँ