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Sakshi CHAUHAN

#mentalHealth अष्टावक्र और राजा जनक की प्रेरणादायक कहानी। mysterious boy Raza Official isha rajput Dayal "दीप, Goswami.. deepak goy #Life

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Nadbrahm

मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद #untoldstory #अनुभव #root #culture_and_civilisation

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मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध  करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी सम्राट विदेह कहलाते थे बिना देह अर्थात भौतिक सीमाओं से परे ज्ञान पुंज। उसी धरती पर कणाद, गौतम,अष्टावक्र जैसे तत्व ज्ञानी का ज्योति फैला। संख्या, मीमांसा के सिद्धि की ये धरती भी काल क्रम में अपने पराभव को नही रोक पाई। काल चक्र में माता जानकी की ये भूमि विप्पनता, अशिक्षा व दरिद्रता का दंश झेलने लगी। राजनीतिक वेदी पर इस क्षेत्र का विखंडन भी भारत व नेपाल के हिस्से में हो गया। इस अंतहीन यात्रा में ज्ञान भले लोप हुआ पर लोक कलाएं आज भी अपने मिथिला के अस्तित्व का गीत सब को सुनाती है। भित्ति चित्र व अहिपन ( अल्पना ) से बढ़ते हुए आज मिथिला पैंटिग उसी मिथिला की खास संस्कृति के  किस्से सुनाती है। 
यह पैंटिग हर पर्व त्योहारों में मिट्टी पर बनी, आँगन में बनी, मिट्टी के घर को लेब कर उस के दीवारों को सजाया नव जीव आवाहन की प्रक्रिया में भी तांत्रिक पैंटिग बन कोहबर( नव विवाहिता के लिए विशेष कमरा) में नव दंपति में लिए उत्तम ऊर्जा का संवाहक बानी । आज मिथिला से बाहर फैसन का भी रूप ले चुकी हमारी संस्कृति की ये अंतहीन कहानी है। 
हाँ मिथिला की बाते युगों से पुरानी है। 
#मिथिला #root #culture_and_civilisation #untoldstory

©BK Mishra मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद

Sagar Madaan

कौंन हैं मूलनिवासी?... ....... ....... ....... ....... ....... आपकी सोच जैसी होगी जैसी आपकी मानसिकता होगी वैसा ही सृष्टि को देखोगे,मगर सच तो #God #Religion #Hindi #Human #Bhakti #bhagwaan

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एक सवाल
कुछ जवाब
 कौंन हैं मूलनिवासी?...
.......
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आपकी सोच जैसी होगी जैसी आपकी मानसिकता होगी वैसा ही सृष्टि को देखोगे,मगर सच तो

Priya Kumari Niharika

शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में #story #Quote #me #Flower #poem #कविता #Twowords

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शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं
वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में हम तो, तैर के गंगा पार है।
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नागार्जुन की रचना हम, रेणु की हुंकार हैं।
 दिनकर के राष्ट्रप्रेम हम, विद्यापति के श्रृंगार हैं
अष्टवक्र और अश्वघोष के ज्ञान का भंडार है
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नालंदा के गौरव हैं, विक्रमशिला के आधार हैं
पाणिनि का व्याकरण है, बुद्ध के हम संस्कार हैं
मधुबनी की चित्रकला, अविचल पर्वत मंधार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
गणित और साहित्य में बबुआ, सबसे हम होशियार हैं
रिक्शा खींच के दिए कलेक्टर, अनपढ़ न गवार हैं
धोनी का क्रिकेट मैच है, रतन टाटा का व्यापार है
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
लिट्टी चोखा के क्या कहने, बड़ा लजीज अचार हैं
ठेकुआ, पूड़ी लौंगलता और खाजे का बाजार है
सभी धर्म को शरण दिया है,सब आपन परिवार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार है
 बिंदुसार की सल्तनत हम, गांधी के गुहार हैं
 चंद्रगुप्त के महाशोर्य हम, अशोक के अधिकार हैं
महावीर का ज्ञान धर्म, और मिथिला के हम द्वार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 सर्वप्रथम गणतंत्र बने हम, बेनीपुरी की दहाड़ हैं
जुर्म किये जो इस माटी में, दिया उसे तिहाड़ है
बजरंगी के भक्त है बबुआ, कुंवर कि हम तलवार हैं 
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 बिस्मिल्लाह के सुर हैं हम, मगध के हम आकार हैं 
आर्यभट्ट के अविष्कार हम, राजेंद्र के विचार हैं
छठ, दशहरा, रामनवमी के हर्ष के हम त्यौहार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
गया, राजगीर, पावापुरी, शेरशाह के दरबार हैं
मोक्ष ज्ञान की गया है नगरी, जनक के हम दुलार हैं
शत्रु का बुखार कहो या सिंह के हम प्रहार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं

©Priya Kumari   Niharika शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं

वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में
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