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Pradyumn awsthi
जिसका मन चंगा होता है उसके लिए सब कुछ उपलब्ध हो जाता है इसलिए इंसान का मन साफ होना बेहद जरूरी होता है क्योंकि जिसका मन चंगा उसके लिए कठोती मैं भी गंगा ©"pradyuman awasthi" #मन चंगा तो कठौती में भी गंगा
Shiv Kishore
गंगा से एक नंगा निकला , हष्ट_पुष्ट वह चंगा निकला , जब जेब खंगाली उसकी सबने___ तब देखा वह भिखमंगा निकला । ©Shiv Kishore # गंगा से एक नंगा निकला# शिव किशोर # Comedy Shayari # Shiv kishore
💕Manya Bhai⚔️⚔️
🙏महाकाल 🕉️के भक्तों से पंगा, और भरी महेफिल में दंगा✊ मत करना वरना करूँगा ➕चौराहे पे नंगा🛀 और भेजूँगा तेरी अस्थियों को गंगा। shivam kumar mis
Shah Alam Hindustani
आपस तुम मिल के रहो, तुममें न कोई दंगा हो। दिल न तुम्हारा गंदा हो, ईमान तुम्हारा चंगा हो। इस देश के जमुना गंगा की तहजीब के खातिर ए लोगों, एक हाथ में आबे जम जम तो दूसरे हाथ मे गंगा हो। ©Shah Alam Hindustani आपस तुम मिल के रहो, तुममें न कोई दंगा हो। दिल न तुम्हारा गंदा हो, ईमान तुम्हारा चंगा हो। इस देश के जमुना गंगा की तहजीब के खातिर ए लोगों, एक
Sanjeev Jha
देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना जैसे कोई कराह हो या हो प्रसव-वेदना कचरे कई नालों से उतरते हुए देखा शौचालयों के मुंह का न है कोई लेखा मां बचपन में धोती थी अब कब तक धुलाना देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना ©संजीव #गंगा
प्रवीण कुमार
ना भूलूंगा भागीरथी मैं यह उपकार तेरा । मुझअधम पापी को तुमने दिया निकट बसेरा ।। क्या महिमा मैं गाऊँ तुम्हारी गा ना पाया कोई। निजी निर्मल पावन जल से तुम सब के पाप धोई।। क्यों न हो यह महिमा तेरी प्रकटी विष्णुपद से। जिन चरणों का आश्रय लेकर तरते लोग भव हैं से।। कृतकृत्य हुआ उपकार से तेरे मां भगवती हे गंगे। निज चरणों से दूर न करना रखना अपने संगें।। विनती तुझसे एक और है कृपा तू इतनी कर दे। जिन चरणों से प्रकटी मां तुम उन चरणों में धार दें ।। "अमित "वंदन करता हूं मां चरणों में मैं तेरे। हर ले मैयां जितने भी हैं दुरितों को तू मेरे।। विद्यार्थी अमितोपाध्यायः गंगा
ranjit winner
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ., शाम ढले इक चिट्ठी आयी .… पता तुम्हे मालमू न था,. फिर मझु तक कैसे पहुँचायी ,,, सनुो मझुे तुम फिर याद आयी .. खत में मेरा नाम लिखा है., साथ में ये पगैाम लिखा है… तमु भी मझुे भलू न पायी ,. याद तुम्हे भी मेरीआयी ., आगे तमु कुछ यूँ लिखती हो., तुम्हे पता है कब कब आयी ??? जब जब तमुने चाँद को देखा ., जब भी तमुने शमा जलायी ,.. जब जब तमु बारिश में भीगी,. और तब भी जब भीग न पायी .,, याद तुम्हे भी मेरी आयी ,. जब जब तमु को माँ ने डाँटा,. और तब भी जब आखँ भर आयी ., जब जब तमु उलझन में थी., और जब भी तमुको नींद न आयी ., सबुह भी आयी,. शाम भी आयी,. जब जब तमु ने चाय बनायी,. याद तुम्हे भी मेरी आयी , सारे जग से बात छुपायी,, पर खदु को फुसला न पायी तमु भी मझे भलू न पायी,,.. पता तुम्हे उस खत से मिला, जो गंगा में तुम बहा न पायी और फिर ये चिट्ठी भिजवाई ..जीत #गंगा