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Prashant Kumar Pandey

कौन पड़ता यहाँ पुरानी किताबें ,कौन सुनता यहाँ बूढ़ों की बात Video #Nojotovoice #nojotovideo

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Asif Hindustani Official

मेरे बचपन का वो प्यारा स्कूल, जहां चलती सड़कों पे उड़ती धूल, महकते फूल लहकते बाग़, वो मेरे खेत और खलियान, मैं उस को ढूंढ़ रहा हूं !! जवान #School #Shayari #bachpan #dhool #viral #sadak #AsifHindustani #MithilaKaShayar

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Asif Hindustani Official

एक बचपन का जमाना था, जहां खुशियों का खजाना था, थी चाहत चाँद को पाने की, पर दिल तितली का दिवाना था ! मैं उसको ढूंढ़ रहा हूं ! जवान और बूढ़ों #Chand #Shayari #bachpan #TiTLi #deewana #dhool #viral #AsifHindustani #MithilaKaShayar

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soul search

वो पैरों की छाप गीली मिट्टी पर वो सोंधी सी महक वो बूढ़ों की छुअन वो पानी में घुलता पसीना तेरे शरीर को सटा कर वो छाते के छोर पकड़ना गीले बा #rain #yqbaba #yqdidi #lovepoem #RainPoetry #geeli_mitti

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वो पैरों की छाप गीली मिट्टी पर
वो सोंधी सी महक
वो बूढ़ों की छुअन
वो पानी में घुलता पसीना 
तेरे शरीर को सटा कर 
वो छाते के छोर पकड़ना
गीले बालों से कुर्ते की भिजाई
पलकों के बीच से आंखें चुराना
वो बरसात के मौसम के पल
सब याद करती हूं 
जब जब बरसात होती है
आंखों में आंसू बन पानी संग बह जाते हैं
जब जब बुंदे पड़ती है
उनकी चुभन महसूस करती हूं
वो गीली मिट्टी अब चप्पल से साफ कर लेती हूं
छाते को कस कर पकड़ लेती हूं
जब जब बरसात होती है
 वो पैरों की छाप गीली मिट्टी पर
वो सोंधी सी महक
वो बूढ़ों की छुअन
वो पानी में घुलता पसीना 
तेरे शरीर को सटा कर 
वो छाते के छोर पकड़ना
गीले बा

Dipti Joshi

मेरे अंदर मचल रही है एक कविता जो प्रतिदिन खटखटाती है दरवाज़ा मेरे मस्तिष्क का जिसे जन्म लेना है मेरी कलम की स्याही से जो बाहर निकल कर स #Thoughts #Hindi #poem #Shayari #kavita #nojotoquotes #nojotoLove

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मेरे अंदर मचल रही है एक कविता 
जो प्रतिदिन खटखटाती है 
दरवाज़ा मेरे मस्तिष्क का
जिसे जन्म लेना है 
मेरी कलम की स्याही से 
जो बाहर निकल कर 
सो जाना चाहती है कागज़ के फर्श पर 
और खुद को ढक लेना चाहती है 
मख़मली प्रेम की चादर से 
मेरी कविता गढ़ना चाहती समाजिक असमंजस 
वो बनना चाहती है 
किसी स्त्री का आईना
किसी पुरुष के अंतरमन की आवाज़ 
बच्चों की मित्र और 
बूढ़ों की आशा 
वो कविता रोज़ खटखटाती है 
दरवाज़ा मेरे मस्तिष्क का 
जिसे मैं सींच रही हूँ अपने अंदर 
और दे रही हूँ थोड़ा और वक्त 
ताकी वो फैला सके भरपूर उजाला 
आज की इस अँधेरी दुनिया में। 
© दिप्ती जोशी मेरे अंदर मचल रही है एक कविता 
जो प्रतिदिन खटखटाती है 
दरवाज़ा मेरे मस्तिष्क का
जिसे जन्म लेना है 
मेरी कलम की स्याही से 
जो बाहर निकल कर 
स

नेहा उदय भान गुप्ता

दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, #YourQuoteAndMine #new_challenge #जनरेशन_गैप_team_alfaz

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दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप।
कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।।

नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख।
यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।।

नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें।
फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।।

दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी।
एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।।

अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां।
हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।।

बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे।
हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।।

पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे।
नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।।

आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप।
कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप।
कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।।

नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,

नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, #YourQuoteAndMine #new_challenge #जनरेशन_गैप_team_alfaz

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दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप।
कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।।

नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख।
यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।।

नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें।
फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।।

दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी।
एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।।

अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां।
हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।।

बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे।
हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।।

पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे।
नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।।

आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप।
कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप।
कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।।

नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,

Shree

**ईश्वर और मैं** हर एक कहानी किसी ना किसी की आपबीती होती है। जैसे हर एक कहानी का स्रोत और रचनाकार ईश्वर होता है, उसी प्रकार उसके पात्र पहले #actofgod #a_journey_of_thoughts #कुलभूषणदीप #unboundeddesires

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कहां हो तुम... क्या कहूं, कहां नहीं! 
(Act of God) **ईश्वर और मैं**

हर एक कहानी किसी ना किसी की आपबीती होती है। जैसे हर एक कहानी का स्रोत और रचनाकार ईश्वर होता है, उसी प्रकार उसके पात्र पहले

Ekta Singh

# बूँदों की तरह #कविता

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Sneh Lata Pandey 'sneh'

बूंदों की पायल #कविता

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