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Laxmikant shukl
एक राजसी प्रेम कहानी: "देवालिका" अपनी प्रति आज ही सुरक्षित कराने के लिए कॉल करें 7017 99 3445. www.rajmangalpublishers.com
Laxmikant shukl
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Shree
ऐसा जैसा प्रेम का मुझसे, एक ही समय में ही स्वामिनी और महादासी दोनों हो बना देता हैं।। जब तक खामोश रहूं, मैं अपने जैसी रही, जब आईने में देखूं, खामोशी अपनी नहीं ।। जब प्रेम मुझ तक आया, राजसी मैं, जब प्रेम को खोजा मैंने, भावनाओं
Laxmikant shukl
"क्षत्रिय जन्म से ही योद्धा पैदा होता है।" a dialogue from the novel Devalika written by Laxmi Kant shukl Published by Rajmangal get it from Amazon #devalika 2 वर्ष की रिसर्च : मगध राजवंश पर एक खोज राजसी प्रेम कहानी की अनुभूति इसे लिखने में लेखक लक्ष्मी कांत शुक्ल को 1 वर्ष से अधिक का
kumaarkikalamse
मेरी ग़ज़लें, मेरी नज़्में, सब में तेरी हिकायत है, क्यों लिखते हो थोड़ा सा ही, यही शिकायत है! मैं कर रहा सब कुछ नाम तेरे, तू रख ले मुझको, मैं जब तक हूँ तुझमे, तब तक मेरी हिफाज़त है! पहन के अन्फ़ास की क़बाएं, परी तू बन जाती, ज़ख्म भी गुलज़ार बन जाता, ऐसी नजा़कत है! अंदाज रखती खु़सरवाना, अदा ऐसी 'कुमार', थक कर जब जब करीब जाता, करती शरारत है! उस के लिए लिखो तो काग़ज़ कलम कम पड़ जाते और वो कहते कि है तुम थोड़ा सा लिख थक जाते! वो लड़की पागल है पागल है..! #kumaarsthought #kumaar
Rakhee ki kalam se
नियति का खेल था कितना प्रवल लंकेश ने रचाया एक छल... राजसी वैभव तजा जिसने बिन सोचे एक पल उन्ही जानकी को स्वर्ण मृग का हुआ मोह प्रबल... जानते थे रघुनाथ है ये माया परंतु होनी हुए बिना कैंसें जाती टल.... सौंपकर सिया की ज़िम्मेदारी अनुज को मृग के पीछे रघुवर गए निकल.... होनहार के वशीभूत सीता लांघ आईं लक्ष्मण रेखा बिन सोचे एक पल... समझ सकीं न मनसूबे जो रावण के हृदय में रहे थे पल अपहरण कर ले गया लंका साथ अपने पार करके जल और थल... सच कहा है कि होनी होती है अटल...... ©Rakhee ki kalam se नियति का खेल था कितना प्रवल लंकेश ने रचाया एक छल... राजसी वैभव तजा जिसने बिन सोचे एक पल उन्ही जानकी को स्वर्ण मृग का हुआ मोह प्रबल... जानते
Sahaj Sabharwal
आज के दिन का था, एक वर्ष से इंतज़ार, आपके जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए था मै बेकरार। आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, एक छोटे से उपहार के रूप में वयक्त कर रहा हूँ, अपनी भावनाएं। मेहनत से राजसी, दिलदार जिंदगी, आपने जीना सिखाया, कुछ भी करना नामुमकिन नहीं है, सबको करके दिखाया। एक होशियार एवं सज्जन नायक के रूप में आप, हैं एक फ़रिश्ता, आपका सभी के साथ, प्यारे बर्ताव से है गहरा रिश्ता। भगवान से आपकी लंबी और सुखी जीवन के लिए दुआ करते हैं हम, हँसते-हँसते कट जाएँ रस्ते और ना आएं, कोइ भी गम। आज के दिन का था, एक वर्ष से इंतज़ार, आपके जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए था मै बेकरार। आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, एक छोटे से उपह
Richa Mishra
|| प्रतीक्षा में || मध्य में हो विराजित मध्यमा और कनिष्ठा के ! नाम से ही विदित होता आपके नारीत्व का धर्म ! आप हो प्रेणता सदन की हो अद्भुत खेल स्पर्धा में ! विजय परचम की अधिकारी हो तुम ; हो घर का शक्ति और अभिमान ! • पढ़े अनुशीर्षक में • आप हो सुख - दुःख की संगिनी प्रिय । एक बेटी हो , एक भार्या हो हो कुशल एक गृहणी वनिता ! सादगी से परिपूर्ण हो तुम राजसी कन्या जैसी ! शान्त प्र
Richa Mishra
|| प्रतीक्षा में || मध्य में हो विराजित मध्यमा और कनिष्ठा के ! नाम से ही विदित होता आपके नारीत्व का धर्म ! आप हो प्रेणता सदन की हो अद्भुत खेल स्पर्धा में ! विजय परचम की अधिकारी हो तुम ; हो घर का शक्ति और अभिमान ! • पढ़े अनुशीर्षक में • आप हो सुख - दुःख की संगिनी प्रिय । एक बेटी हो , एक भार्या हो हो कुशल एक गृहणी वनिता ! सादगी से परिपूर्ण हो तुम राजसी कन्या जैसी ! शान्त प्र
Rakhee ki kalam se
नहीं राम सा कोई और **राम से बस राम हैं** हकदार सिंहासन के थे जो ,वन गमन को तैयार हैं राम से बस राम हैं नही सवाल न शिकायत कोई किसी से अधरों पर सजी मुस्कान हैं राम से बस राम हैं संग शाही वस्त्रों के सहज त्यागे राजसी वैभव सभी नहीं मलाल लंचमात्र भी संग सिया और अनुज पुत्र समान है राम से बस राम हैं नाव केवट की चढ़े ,बेर सबरी के चखे, छूकर पाषाण भरते अहिल्या में प्राण हैं राम से बस राम हैं पग पग पर कर राक्षसों का संहार जन जन की रक्षा करते कृपानिधान हैं राम से बस राम हैं"" ©Rakhee ki kalam se राम से बस राम हैं ************ नहीं राम सा कोई राम से बस राम हैं हकदार सिंहासन के थे जो ,वन गमन को तैयार हैं राम से बस राम हैं नही सवाल न श