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हेमराज हंस भेड़ा
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल 📱 मा। सुंदर कानी कबरी हिबै मोबाइल 📱 मा।। कोऊ हल्लो कहिस कि आंखी भींज गईं काहू कै खुसखबरी हिबै मोबाइल मा।। अब ता दंडकबन से बातैं होती हैं राम कहिन की शबरी हिबै मोबाइल मा ।। बिश्वामित्र मिस काल देख बिदुरांय लगें अहा! मेनका परी हिबै मोबाइल मा।। क्याखर कासे प्रेम की बातैं होती हैं दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा।। नयी सदी के हमूं पांच अपराधी हन जात गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा।। हंस बइठ हें भेंड़ा भिंड बताउथें बलिहारी जुग कै मसखरी हिबै मोबाइल मा।। बघेली साहित्य
तृप्ति
कल सारी रात बैठ कर .. मैंने उसे एक खत लिखा.. दिल में जो था वो लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा... वो अनकहा मेरा हर अल्फ़ाज़ लिखा.. शिकवा बेचैनी उलफत कश्मकश लिखा .. उस से ना मिल पाने का दर्द लिखा... अरसे से जो किए जाने वाला इंतज़ार लिखा .. बस रह गया तो सिर्फ और सिर्फ उसका पता .. जो बरसों से मुझे नहीं पता ... बस वो ही ना लिखा .. बाकी सब लिखा.. मैंने उसे एक खत लिखा.. ...तृप्ति #बिरहन
Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Asutosh Behera 17
सोचा था क्या, क्या हो गया क्षणभर में सब कुछ खो गया। सब कुछ था जीवन में मेरे, जीवन ही मेरा खो गया। नियति ने ऐसा क्या किया, मेरे प्रेम में ऐसी विरह ला दिया?? चाहा था क्या पाया है क्या, सब कुछ ही मेरा खो गया। #बिरह
दुर्लभ "दर्शन"
Fall in love नशीले "नयन" कटारी की, तेज "धार" हुए । "इश्क" की चाहतों के, हम भी "तलबगार" हुए ।। तेरी "गलियों" में मेरे , प्यार के "चर्चे" थे कभी । आदमी नेक थे , पर, "इश्क" में "बेकार" हुए ।। #बरेली
दुर्लभ "दर्शन"
सहज स्वभाव, भाव से पूर्ण, मन निर्मल सा नीर। कोमल हृदय, चमक चेहरे पर, देखन में गंभीर । समझ अनोखी, शब्द सुशोभित, चितवन बड़ी अधीर । वाणी सरल, सुशील, सुसज्जित, मीठी, मधुर, समीर ।। #बरेली