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डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
बिखेर दिया है अम्बर में रंग केसरी। दुल्हन सी सज गई प्रकृति ओढ़ चुनरिया लाल। अवनि ने भी कर लिए सोलह श्रृंगार। आजादी का अमृत महोत्सव लाया देखो रंग केसरी।। ©Veena Kapoor रंग केसरी #Saffron
Humayoun Naqsh
बाट दिए हो मुल्क को रंग केसरी,सफेद,हरे के नाम पर ए काश इससे जिससे जोड़ देते तो तुम्हे तिरंगा दिखाई देता happy republic day बाट दिए हो मुल्क को रंग केसरी,सफेद,हरे के नाम पर ए काश इससे जिससे जोड़ देते तो तुम्हे तिरंगा दिखाई देता happy republic day
SURAJ आफताबी
वजह ये महज मज़हबी तो नहीं , कि आपका यूँ पंजाब से पाकिस्तान होना विवाह हो या निकाह मुझे दोनों कबूल फिर समझ ना आया यूँ घूँघट से हिज़ाब होना ! रंग केसरी हो या हरा सारे मुझमें विलीन फिर क्या फ़र्क तेरा गुरूबानी से अजान होना दस्तक तेरी दिल के किवाड़ पर वैसी ही रही आज तक फिर समझ न आया तेरा यूँ नमस्कार से आदाब होना ! चलो कुछ ऐसे इस मजहबी जमीन से ऊपर प्रेम को प्रेम बनाते है मै कुरान की आयत बनूँ तुम तुलसी की सीता जैसी होना चलो अलग-अलग नाम के एक ही तत्व को समर्पित करते है ये घर-आँगन, बड़ा आनंद देगा यूँ नानक , राम, रहीम सबका इक दीवार पर साथ होना ! भावनायें समझ गये तो समझ लेंगे लिखना सार्थक है..🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 वजह ये महज मज़हबी तो नहीं, कि आपका यूँ पंजाब से पाकिस्तान होना विवाह हो या नि
MANJEET SINGH THAKRAL
आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो, जिस "सत्ता" की कल्पना में हो "बेरोजगारी" उस "सत्ता" को आज तुम नकार दो, भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज आग की लपट का तुम बघार दो, "उठो युवा ललकार दो, रोजगार दो, रोजगार दो" #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस https://t.co/PXlRgkaAwN आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड, आज जंग की घडी की तुम गुहार दो आन, बान ,शान या की जान का हो दान, आज एक धनुष के बाण पे उतार दो मन कर
Rohit Bairag
रँग केसरी , रँग भगवा , दिन दिन मुझपर चढता जाए। ऐसा मोह लगे माटी का की और मोह कोई चढ ना पाये, पागलपन हो तो देशभक्ति का , पहचान मेरी हो भारत भूमि, मेरे तन मन मैं इस मिट्टी की, खुशबू इतनी मिल जाए। रँग केसरी, रँग भगवा.......... उठे ललकार हर मुख से , हर जन प्रताप हो जाए। फिर पावन हो पानी गंगा का , लक्ष्मीबाई सी हर नारी हो जाए। धनुष उठे फिर पृथ्वीराज सा, शिवाजी की तलवार लहाराए। भगत सिंह सा हो मतवाला , शेखर की फिर बन्दूक चल जाए। स्वपन अधुरा हो पुरा उनका, सिन्धू फिर भारत की हो जाए। लत लगे तो देश प्रेम की ,और हर युवक इसका आदी हो जाए। उठे प्रचंड जवाला हर सीने में, आग सुर्य की कम पड जाए। गुरु गोविंद सा बलिदानी हो , कटे शीश धड़ फिर लडता जाए। रँग केसरी, रँग भगवा, ........ चाणक्य सा गुरु मिले, चंद्रगुप्त हर बालक हो जाए। विक्रमादित्य जगे भितर सबके स्वपन अखंड भारत का सच हो जाए। दाग मिटे सब अब इस भूमि की काया से, राम राज्य फिर स्थापित हो जाए। प्राण दान की शक्ती जागे अब हर मन के भीतर, जुनन अशोका सा चढ जाए भुगत चुके जो वो अब ना भुगते , फैन सांपो का अब कुचला जाए। इतिहास लिखे अब फिर सर्वण आखर में , धवज केसरी प्योर भूमंडल पर लहराए। रँग केसरी , रँग भगवा......... #रँग केसरी
RavindraSingh Shahoo
रंग तरंग सच से भले ही इंकार हो चाहे झूठ अगर स्वीकार हो सिर्फ अहम वहम से प्यार हो जिनका मन पर अधिकार हो मन बड़ा ही चँचल होता है बुध्दी अस्थिर कर देता है सिर्फ भौतिकता से लगाव हो भावुकता का ही प्रवाह हो यदि सद्गुणों से जरा भी दुराव हो दुर्गुणों का यत्किंचित भी प्रभाव हो सतगुरु की किरपा होते ही अमृतवर्षा ले आती है जो राह सही दिखलाती है सब तनाव बहा ले जाती है जीवन की समस्त गलतियों का अहसास हमें करवाती है तब सोच भले पछताती है गुजरा समय ना लोटा सकती है अहसास भले ही होता है व्याकुल मन विचलित होता है जब सांझ की बेला आती है सब रंग विविध दिखलाती है उम्मीद उमंग के भाव सभी जो प्रगट तभी करवाती है! द्वारा:-RNS. #रंग तरंग.