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Sunil itawadiya
लॉक डाउन के दौरान मैने ये दो nayi dish banani sikhi ... पनीर टिक्का और आलू टिक्की.. 😄😄🤪🤪 लॉक डाउन के दौरान मैने ये दो nayi dish banani sikhi ... पनीर टिक्का और आलू टिक्की.. 😄😄🤪🤪
Tallwin Life
Vaishali Kahale
क्यों न इस बार हरे मटर की टिक्की का स्वाद चखा जाए, Matar ki Tikiya Banane ki Vidhi, Aloo Matar Tikki https://youtu.be/dKkaJe62Vbc
Diversity channel
BURGER RECIPE (Read caption) 😂😂 Burger recipe🍔 सामग्री- पाव, आलू, अरारोट,मक्खन, प्याज, टमाटर, म्योनीज, टमैटो सॉस, नमक, मिर्च... बनाने की विधि- सर्वप्रथम हम आलू को उबाले
Azad ताहिर তাহীৰ
Law and Justice जो नज़र बंधा है ,उसकी नज़र में सब बराबर हैं जो तराज़ू एक ओर झुकी है, उस पे सब बारबार है झुठ, सच, ईमान, बेईमान सब बराबर हैं काला, सफ़ेद, लाल, हरा सब बराबर है जिस पे टिक्की सब की आख़री,आश सब बराबर हैं यह इंसाफ के मंदिर में, क्या इंसाफ बराबर है ?? -Azad ताहिर #law #justis जो नज़र बंधा है ,उसकी नज़र में सब बराबर हैं जो तराज़ू एक ओर झुकी है, उस पे सब बारबार है झुठ, सच, ईमान, बेईमान सब बराबर हैं काला,
Kulbhushan Arora
मेरी आलू टिक्की तीखी मीठी*निक्की* Dedicating a #testimonial to Nikki Gurjar नटखट दोशीज़ा है, दिल से पाकीज़ा है, चुलबुली चुलबुली, सबसे अज़ीज़ है, सबका दिल बहलाती, बहुत खुशनसी
Kulbhushan Arora
तू धूप है Dedicating a #testimonial to Nikki Gurjar तू धूप है.... धूप सी चमक, रोशनी कर, तू धूप सी.... गुनगुनी मिठास भर, वो ह्रदय पुष्प सा खिले
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- बचपन के दिन भी वह देखो ,कितनी खुशियाँ दे जाते थे । मेले से मिट्टी की गाड़ी , जब बापू ले घर आते थे । बचपन के दिन भी वह देखो.... होता था फिर कहाँ ठिकाना , सब मिलकर शोर मचाते थे । मूँगफली गाडी में भरकर , घर से चौबारे जाते थे ।। मुँह से छुक-छुक की आवाजे , सुन कैसे वहाँ लगाते थे । गुब्वारें में भरी हवा को , हम कितना सभी बचाते थे ।। बचपन के दिन भी देखो वह ... ज्ञान ध्यान की बातें होती , गिरधर का सुमिरन भी होता । सागर साहब की रामायण , देख सभी फिर रहता रोता ।। पहले थे संस्कार सिखाते , पंडित जी के पैर छुआते । देते थे आशीष सुनो वह , फिर हल्का सा वो मुस्काते ।। बचपन के भी दिन वह देखो ...... चार आने अम्मा से मिले , रुपया बाबा से ले लेते । हँसते-गाते दिन भर रहते , खेल-कूद कर फिर सो लेते ।। गली मुहल्ले में व्यापारी , जब फेरा करने आते थे । टिक्की चाट बतासा हम सब , तब गेहूँ से ले आते थे ।। बचपन के दिन भी वह देखो ..... बचपन के दिन भी वह देखो , कितनी खुशियाँ दे जाते थे । मेले से मिट्टी की गाड़ी , जब बापू ले घर आते थे ।। २७/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- बचपन के दिन भी वह देखो ,कितनी खुशियाँ दे जाते थे । मेले से मिट्टी की गाड़ी , जब बापू ले घर आते थे । बचपन के दिन भी वह देखो.... होता थ
Rajat Agarwal (Melting Philosophy)
छुट्टियों का इंतज़ार है, और नानी के घर जाना है। सुनोगे कहानी !! चलो सुनाता हूं। इस बार नानी के घर की, तुमको भी याद दिलाता हूं। - Read Caption दुकान घर के एकदम पास में थी। और हम सुबाह से रात तक घर से दुकान और दुकान से घर के चक्कर, घर के पीछे कूड़े वाले रस्ते से short cut मारके जाया