Nojoto: Largest Storytelling Platform

New मुकुंद प्रकाशन Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about मुकुंद प्रकाशन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मुकुंद प्रकाशन.

Related Stories

    PopularLatestVideo
4bb65c38632b6b1c8357fe9b80b894fd

Binay Kumar Shukla

पुस्तक चर्चा सच्चिदानंद के सानिध्य में,लेखक श्री विजय कुमार तिवारी,प्रकाशक अंजली प्रकाशन।

पुस्तक चर्चा सच्चिदानंद के सानिध्य में,लेखक श्री विजय कुमार तिवारी,प्रकाशक अंजली प्रकाशन। #पौराणिककथा

48 Views

bdc8f0392542d14e0a85e658eb9cd771

Namdev Koli

■ मी आलोय, आपणही यावे !

'मराठी व्याकरण व लेखन' या प्रा.समाधान पाटील लिखित पुस्तकाचा प्रकाशन समारंभ आज संध्याकाळी ५ वाजता, गणपती मंदिर, सुरभी नगर, भुसावळ येथे आयोजित केलेला आहे. या प्रकाशन समारंभास आपली उपस्थिती प्रार्थनीय आहे. हे पुस्तक येथे सवलतीत मिळेल. प्रकाशन सोहळा

प्रकाशन सोहळा

3 Love

2695c48b30069df54bca7c3293b71aa7

SANDIP GARKAR

प्रकाशन सोहळा

प्रकाशन सोहळा

43 Views

147fd6a69cf3098bf07948176bcf37ab

Riddhi_Vishal

प्रकाशन
दैनिक युगपक्ष
समाचार पत्र दैनिक आलेख प्रकाशन।

आलेख प्रकाशन। #बात

10 Love

b60f3a193f3a75ce95582a5e09be4660

Kumar Rohit

देखो रंग बिरंगी तितली आई है ।
प्रकृति के सुंदर फूलो पर मंडराई है ।।
देखो दोस्तो आप भी आंखे खोल ।
ये प्राकृतिक दृश्य है कितना अनमोल ।।

- कुमार रोहित 😊 प्रथम प्रकाशन ।।

😊 प्रथम प्रकाशन ।।

4 Love

a96911e240cee85b69d4e0cd2ca11733

Dr. Raju Ghanshyam Shrirame


डॉ. राजू घनश्याम श्रीरामे यांनी त्यांच्या अभ्यासपुर्ण संशोधनाच्या कार्यक्षेत्रात केलेल्या महत्वपुर्ण अर्थशास्त्रीय संशोधनावरील त्यांनी लिहीलेले अत्यंत महत्वपुर्ण पुस्तक म्हणजे "खाद्यतेल निर्माण उद्योग व रोजगार संधी" हे पुस्तक होय. डॉ. राजू श्रीरामे यांच्या या अर्थशास्त्रावरील पुस्तकाचा प्रकाशन सोहळा नुकताच जीवन विकास महाविद्यालय, देवग्राम येथील मातोश्री सभागृहात पार पडला. या पुस्तकाचे प्रकाशन डॉ. विनायक श्रीधर देशपांडे प्र- कुलगुरु रा तु म नागपुर विद्यापिठ नागपुर यांचे शुभ हस्ते पार पडले. यावेळी डॉ. एम. मधुसुदन डेप्युटी डीन, दिल्ली युनिव्हर्सिटी दिल्ली यांची महत्वपुर्ण उपस्थिती होती. यावेळी व्यासपिठावर डॉ. मंगला हिरवाडे, डॉ. भास्कर विघे उपाध्यक्ष अंत्योदय मिशन, डॉ. सत्यप्रकाश, डॉ. देवेंद्र भोंगाडे प्राचार्य, जीवन विकास महाविद्यालय, देवग्राम, डॉ. राजु श्रीरामे, उप प्राचार्य, उपस्थित होते. या पुस्तकाचा प्रकाशन सोहळा आज ज्ञान स्त्रोत केंद्र, जीवन विकास महाविद्यालय, देवग्राम येथील राष्ट्रीय चर्चासत्राच्या या उद्घाटनिय समारंभात संपन्न झाला. या प्रकाशन सोहळ्यात डॉ. विनायक देशपांडे प्र- कुलगुरु यांनी भाष्य करतांनाच हे पुस्तक डॉ. राजू श्रीरामे यांच्या अभ्यासपुर्ण अर्थशास्त्रीय संशोधनाच्या प्रवासातील एक महत्वपुर्ण टप्पा असुन भविष्यातील उच्चस्तरीय संशोधन करण्यासाठी या पुस्तकाच्या रुपाने महत्वपुर्ण अशी प्रेरणा मिळत राहील असे प्रतिपादन केले. 
डॉ. राजू श्रीरामे जीवन विकास महाविद्यालय येथे मागील 20 वर्षांपासून अर्थशास्त्र विषयाचे विभागप्रमुख म्हणून कार्यरत असून ते उपप्राचार्य पदावर कार्यरत आहेत. डॉ. राजू श्रीरामे अनेक विषयांचे जाणकार अभ्यासक तथा सुप्रसिध्द वक्ते असुन त्यांनी अर्थशास्त्र विषयातील अनेक संशोधनपर शोधनिबंध पिअर रिव्ह्यु तथा युजीसी केअर जर्नेल मधुन लिहिले अाहेत. त्यांचे "खाद्यतेल निर्माण उद्योग व रोजगार संधी" हे अर्थशास्त्रीय संशोधनावर लिहीलेले महत्वपुर्ण पुस्तक असुन आजपर्यंत या विषयावर संशोधनपर लिहीलेले हे पहीलेच पुस्तक आहे. यात प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगाराच्या संधी किती व कशा निर्माण झालेल्या आहेत तसेच भविष्यात संभाव्य रोजगार संधी किती असू शकेल यावर त्यांनी महत्वपुर्ण काम केलेले आहे. त्यांच्या या प्रदीर्घ संशो़धनाचे फलीत म्हणजेचं आजच्या या पुस्तकाचा विमोचन सोहळा होय. 
त्यांच्या या पुस्तकाच्या निमित्याने अनेकांनी त्यांचे अभिनंदन केलेले आहे. पुस्तक प्रकाशन सोहळा

पुस्तक प्रकाशन सोहळा

5 Love

f15af17a05cdb53e9f6c378e828e7869

Dr Imran Shah

سکون ملتا ہے  شاعری میں بات کرکے صاحب 💖 
سب کچھ کہہ بھی دیتا ہوں اور آواز بھی نہیں ہوتی 💖 सुकुं

सुकुं

9 Love

0c396037dca5eeeeecde1d49772bdd29

Vikram Singh

वो हमसे सुकून मांग रहे है
              हमको ही दर्द देकर 
हम फिर भी खुश है
उनका उनसे हर मर्ज लेकर

by Vikram Singh
6005101542 सुकुं

सुकुं

12 Love

8fe577e79600b2d902db5c8389f6778a

Neophyte

ये जहाँ ग़र पाओगे भी तो क्या पाओगे
ग़र दोस्त को दुश्मन बना पाओगे

पूरे क़ायनात पर होगा हुक़ूमत तुम्हारा
मग़र ज़मीर तुम अपना मरा पाओगे

वो ऊँचाई ग़र हासिल हो जाए तो सोचना
अब तुम सिर्फ ख़ुद को गिरा पाओगे

होगा तुम्हारे सिर पर राजाओं सा मुकुट
पर क्या खुद से नज़रे मिला पाओगे

वो सीढिया जो तुम्हें ऊँचाई तक ले गयी
रो दोगे ग़र वो कंधे झुका पाओगे

क़ादिर बनने की ज़द्दोज़हद में हो
ख़ुदा बन जाओगे ग़र इंसानियत निभा पाओगे

©क्षत्रियंकेश मुकुट!

मुकुट!

7 Love

147fd6a69cf3098bf07948176bcf37ab

Riddhi_Vishal

प्रकाशन दैनिक युगपक्ष
समाचार पत्र। कविता प्रकाशन।
#Love

कविता प्रकाशन। #Love

9 Love

765ca56bcc8cfa7532059b6a645edc2b

Monika jayesh Shah

श्री
मुकुट

©Monika jayesh Shah
  #मुकुट
e44ec117da91a5cdac6218986b11ccdf

Amit Singhal "Aseemit"

#मुकुर
f295663b65e1ec7c87bc4ae2e2662189

smita@ishu

Girl quotes in Hindi कभी सुकुं का देने करार आयेगा
कभी सावन का बन के बहार आयेगा
कभी आंखों में लिए अश्क
तो कभी ले कर खुशियों का भंडार आयेगा

ये इश्क़ है जनाब

कभी रातो की निंदे चुराएगा
तो कभी बेमतलब रुला कर हसाएगा
कभी अंगारे पर चलने पर मजबुर करेगा
तो कभी पतझड़ में भी फूल बरसाएगा

                                    ।ishu....... #सुकुं#इश्क़
7461a7598d9ae38aa908997cf6496096

parveen barle

#प्रकाश
1205e0f6998a3d3ba9abdb760bd55c38

S K Sachin उर्फ sachit

शुकून है बहुत तुम्हारे दीदार में
यूँ ही नहीं पागल हूँ तेरे प्यार में
तू मेरे दिल में  समाया हुआ था
और निकले थे हम ढूंढने बाजार में

©S K Sachin #प्रकाश
68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

हाँथों मे मेँहदी सजी पड़ी है मै कैसे मान लूँ
नशेमन की बिजलियों को मैं कैसे थाम लूँ
फरमाइए दस्तूर दास्तानें मोहब्बत
बड़ी पाबन्दियाँ लगी हैं हुज़ूर मैं कैसे ज़ाम लूँ
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

9 Love

3d007a7d38ba765ad6c48391f7063e36

Prakash Singh

आपसे बातों की वो सिलसिला।।
जब थमने का वो नाम ना ले।।
दिल से दिल का रिश्ता है।।
जब तक कि वो जान ना ले।।
जब तक कि वो पहचान ना ले।। प्रकाश##

प्रकाश##

5 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

है प्यार की सीमाओं से परे,जो दर्द दिए ,वो हमने सहे
कोई बात रही न अब बाकी,तुम बिन अब हम ,हम न रहे
जैसे शीप पड़ा हो बिन मोती,उसका कोई अब मोल नहीं
धुन सात सुरों के संगम बिन,जो गीत बने अनमोल नहीं
मैं हूँ बस काया बिन जान,तुम बिन अब हम,कैसे रहें
है प्यार की सीमाओं.................
मैं एक नदी हूँ सूखी सी,जिसमें कोई रसधार नहीं
हूँ मिट्टी की मूरत जैसी,जिसमें झलकता प्यार नहीं
मैं हूँ बस साया तुम प्राण,दिल की बातें हम ,कैसे कहें
है प्यार की सीमाओं..................
मैं हूँ बिन पंक्षी आसमान, जिसमें प्यार के मीठे बोल नहीं
बसते प्यार मे दोनों जहान,जिसका प्यार मे कोई रोल नहीं
मै हूँ अजीब इंसान, बिन प्यार धार के कैसे बहे
है प्यार की सीमाओं...................


#प्रकाश #प्रकाश
3d007a7d38ba765ad6c48391f7063e36

Prakash Singh

कोरे कागज पे तुम शब्द बन कर रहना।।
ताकि जब भी दिल करे।।
तुझे पढ़ लिया करू।। प्रकाश##

प्रकाश##

7 Love

3d007a7d38ba765ad6c48391f7063e36

Prakash Singh

तुझसे इतना प्यार है।।
कि
बता नहीं सकता।।
इस दिल को तुझे पाने की।।
कितनी सिद्घत है।।
ये जता नहीं सकता।।
हो सके तो महसूस कर लो।
ना हों सके तो बाहों में भर लो।। प्रकाश##

प्रकाश##

7 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

तेरी हस्ती को मोड़ दूँ तेरी बिसात क्या
तेरा गुरूर तोड़ दूँ मेरे जज्बात क्या
नजरेंं चुराना तेरा हौसला बढ़ाएगी
मै दुनिया को छोड़ दूँ तुम्हारी बात क्या

प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

5 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

#OpenPoetry हो मानवता की नींव देश मे हो एक नीति विधान
सम्पूर्ण राज्य हों एक सूत्र हों छद्म स्वरूप निदान
हो रूढ़िवादिता अंत आज विस्तारित हो विज्ञान
संयोग भोग लालसा का रोग मिट जाए रूढ़ि अज्ञान
हो प्रस्ताव एक विश्वास नेक हो लोकतन्त्र संज्ञान
सम्भाव पूज्य हो लोकतन्त्र हित हेतु लोक कल्याण
हो एक देश और एक वेश हो एक भाषा परिधान
एक विशेष और एक शेष न हो ऐसा संविधान
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश #OpenPoetry

6 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

माटी के पुतले हम हमें पहचान दिलाता देश
न होते प्रतिष्ठित हम हमें सम्मान दिलाता देश
आया स्वन्त्रता दिवस हमें खुलकर मनाना है
है आजादी का जश्न हमें खुशियाँ लुटाना है
सर्वोच्च शिखर पर राष्ट्र ध्वजा हमको फहराना है
सम्मान मे तिरंगे के हमको अपना सर नवाना है
जिस आजादी की खुली हवा मे हम स्वाँस ले रहे
हैं कैद से आजाद हम हमें एहसास दिलाता देश
माटी के पुतले हम हमें पहचान दिलाता देश............
न होते प्रतिष्ठित हम हमें सम्मान दिलाता देश............
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

4 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

#OpenPoetry हूँ सामने खड़ा मैं तेरे आज बनके एक बुत
तुम आप से तलाश लो या तराश लोगे आज खुद
मै कुछ न बोलूँ चुप रहूँगा आज तेरे सामने
असबाब की तरह सजा लो या दिल मे बसा लो आज खुद
दिल मे जगह दो प्यार से या शातिर की तरह निकाल दो
मन मे बसा लो मुझको तुम या नाजिर की तरह सँभाल लो
तुम ही तो मेरा ख़्वाब हो और मै तुम्हारा ख़्वानक़ाह
चाहो जो तुम नज़्मे बनाओ या गाकर सुनाओ आज खुद
हूँ सामने खड़ा मैं तेरे आज बनके एक बुत...........


प्रकाश प्रकाश

प्रकाश #OpenPoetry

4 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

ओ रक्षाबंधन ओ रक्षाबंधन
ओ रक्षाबंधन ओओओ
ओ रक्षाबंधन
भाई की मेरी उम्र बढ़े ,सौ साल को मेरा भाई जिए
लग जाए सारी उमर मेरी ,अपने दिल को रख निस्पन्दन
रक्षाबंधन
न भाई की कलाई सूनी हो ,तरक्की भाई की दूनी हो
माँगती रहती भाई के लिए ,करके ईश्वर का वन्दन
रक्षाबंधन
बहना को खुशियाँ हजार मिले ,बहना को अच्छा घरबार मिले
जाए जिस परिवार मे बहना  ,हो गृह क्लेष का खण्डन
रक्षाबंधन
जुग जुग जिए हजारों साल ,मिट जाए दुःखों का काल
हट जाए बहना के परिवार ,के विकास का मंदन
रक्षाबंधन
श्रावणी कोयल बोल रही ,मीठी बातें खोल रही
देख रही पावन रिश्ते को ,रिश्ते हों जैसे चन्दन
रक्षाबंधन
भाई बहन के रिश्तों मे ,प्यार बँटे न किस्तों मे
भाई बहन का प्यार ये, देखो जन्मों जन्मों का बन्धन
रक्षाबंधन
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

3 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

जो स्वतः स्मृति रूपी तारों से गुजरकर 
घन रूपी बादलो विचारों मे सँवरकर
बूँद रूपी स्याही के शब्दों मे बिखरकर
धरती रूपी पृष्ठ सा पन्नों मे निखरकर
हरी भरी भूमि सा लेखन छटा बिखेर जाती है
जो किसी बन्धन मे नहीं किन्तु
स्वतन्त्र अवस्था मे निखरकर
बन्धन मुक्त अवस्था में सँवरकर
शब्द रूपी मोतियों सा बिखरकर
अनेकानेक बाधाओं से गुजरकर
कविता को सजाती है और चार चाँद लगाती है

प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

3 Love

68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

हास्य
एक कवि और कवयित्री मे जंग छिड़ गई
कवि को दुबला देखा तो जाके भिड़ गई
कवि को बोली
आया बड़ा कविता का पाठ सुनाने
आधे पैर कब्र मे और चले दीवाने
यदि मंडली न बैठी होती इधर तो
तुझको अब तक लगा देती ठिकाने
कवि बोला
ठिकाने लगाने वाली ठिकाना तो बता
हर शाम उस गली मे आना हो तो बता
तेरे हाथों मरने को तैयार हैं बैठे पर
दे दे औरत के भेष मे बैठी भैंस का पता
प्रकाश #प्रकाश
68dfad81eb0349449d326f154370007d

Prakash Shukla

पैमाना बढ़ा दो जनाब़ मेरे हमदर्द ने पुकारा है
मैने भी अपनी हसरतों को तन्हाई मे गुजारा है
आज महफिल सजने दो एक बार फिर पहले के माफिक
मेरे महबूब ने आज फिर मुझे कतरा कतरा दिल मे उतारा है
प्रकाश प्रकाश

प्रकाश

9 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile