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Mukesh-Madhav

उथले नदी नाले अक्सर उफनाते बहुत ज्यादा हैं...🌧️🌧️🌧️ #शायरी

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Beena

# नाले मेरे रूह #कविता

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SOORAJ

नदी ने नदी से बोला #Comedy

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sarika

#नदी

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वो नादान नदी 
इश्क समुंदर से कर बैठी 

अपने अस्तित्व की परवाह
किए "बगैर" वो "बावरी" 
समुंदर में मिल बैठी

वो नादान नदी
इश्क समुंदर से कर बैठी..।।

-:sarika:- #नदी

Rajendra Kumar Ratnesh

नदी

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नदी

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा है ,
हर्षित हैं सर्व प्राणी वहाँ,
जहाँ-जहाँ तूने पाँव पसारा है ।।
रोम- रोम धरा का पुलकित ,
प्राणी मिटाते प्यास जहाँ किनारा है,
तू इर्ष्या-द्वेष ,न अभिमान की धारा है ।।
 
नतमस्तक सर्व प्राणी आगे तुम्हारे,
युगों-युगों तक चले तेरे सहारे।
कृति तुम्हारी धरातल पर पाँव पसारा है ।
तू इर्ष्या -द्वेष,न अभिमान की धारा है ।।

सीख मानवता को दे रही तू एक संदेश में,
सर्व प्राणी हितकारी बढ़े चलो,
सुख-दुःख दोनों तीरों के भेष में ।
निगलते जा रहे अब मानव तुझे,
बने और सब प्राणी बेसहारा हैं ।
न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा ।।
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रचनाकार-राजेन्द्र कुमार मंडल 
जन्म-10-02-1996
पता-ग्राम +पोस्ट-रामविशन पुर ,ward-06
थाना-राघोपुर,जिला-सुपौल 
बिहार-852111
Mob-9771199373
E-mail -rajendrakrmd97711@gmail.com नदी

अनुवाद

#नदी

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पर्वत का सीना चीर कर अवतरित हों
दुर्गम रास्तों से प्रवाहित होना
सदा बहते रहना मेरा चरित्र है
अच्छे बुरे का भेद भुलाकर
सबकी प्यास बुझाना मेरी आदत
कोई मुझे माँ कह के पुकारता है
कोई करता है अपनी प्रेयसी से तुलना 
कुछ करते हैं मुझे मलीन
कुछ चाहते हैं मरकर मुझमें घुलना
पर मैं नदी हूँ और मेरा उद्देश्य है
बस अपने सागर से मिलना 
©अनु उर्मिल"सर्वदा आशावादी" #नदी

मोहम्मद मुमताज़ हसन

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Ombir Kajal

नदी #Shayari

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समंदर था खफा, तो नदी तालाब की ओर बहने लगी, 
तू ही तो है अब मेरा, नदी उससे कहने लगी, 
मगर जब तालाब पाया छोटा, तो फिर समंदर का रुख किया,
अपनी ना समझी से उसने, तालाब को भी दुख दिया,
फिर से एक बार नदी, समंदर की तरफ बहने लगी, 
मगर कुछ बूंद तो उसकी अब, तालाब में भी रहने लगी।
✍✍✍
Ombir Kajal

©Ombir Kajal नदी

Rahul Vyas

नदी

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Manish ghazipuri

नदी #विचार

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"नदी"
                    
शिखर से पिघल कर, धरा को चली हैं
उलझती  झगड़ती  कहाँ  को चली हैं,
पहाडों   ने   रोका, किनारो  ने  रोका,
नजारो   ने   रोका, सितारो   ने  रोका,
खड़ी  बेअदब  इन  शिलाओ ने रोका,
हवाओ  ने  सरगम  सुना करके रोका,
ये अल्हड़ मचलती कहाँ कब  रुकी हैं,
मिलन को तड़पती,मिलन को चली हैं।

©Manish ghazipuri नदी
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