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Ek villain
संपरीति विवेक बांध मनुष्य के अंतर्मन में यह प्रश्न आतिशे व्याकुलता उत्पन्न कर रहा है कि क्या मनुष्य की विविधता मात्र वाचन प्रवृत्ति के अधीन हो चुकी है इस समय जिधर भी देखो लोगों में स्वयं को यह निकेन प्रकरण अभिव्यक्त करने की होड़ मची हुई है जब से जन संचार के आधुनिक माध्यम आए हैं अधिकांश मनुष्य स्वयं को किसी ना किसी रूप में अभिव्यक्त करने के लिए अत्यंत इल्लाया लेते नजर आते हैं इससे मनुष्य की प्राकृतिक सामान्य देना चारा विलुप्त होता चला जा रहा है ©Ek villain #navratri इस संसार में अजीब सा हो गया है मनुष्य
साहस
समय ही रुकने को आता है। कुछ ना करो तो समय रुक पाता है। मानुष इस समय में जो कर्म करता है। मानुष वो कल चर्मों मे फूल पाता है। समय तो गुजरने के लिए ही आता है कुछ भी करो पर समय गुजर जाता है मनुष्य वो समय में जो कार्य करता है मनुष्य वो कर्मो का ही फल पाता है #YourQuote
pawandevke
लोग आपकी कदर तभी करेंगे जब आप उन्हें उन्हीं कि तरह अनदेखा करना सीख जाओगे। ©pawan devke जीवन में कुछ मिला है तो ।वह है मनुष्य का जीवन । बहुत अनमोल
Rakesh frnds4ever
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 मन:स्थिति " ही परिस्थितियों की जन्म दात्री है , मनुष्य जैसा सोचता है वैसा करता है एवं वैसा ही बन जाता है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 मन:स्थिति " ही परिस्थितियों की जन्म दात्री है , मनुष्य जैसा सोचता है वैसा करता है एवं वैसा ही बन जाता है !.i. j
M Shubham
अब तो यही हाल है !! मनुष्य होकर भी लोग जानवर है जानवर जानवर होकर भी वो मनुष्य है अब तो यही हाल है !! मनुष्य होकर भी लोग जानवर है जानवर जानवर होकर भी वो मनुष्य ह
Usha Dravid Bhatt
मुसाफिर मुसाफिर हूं चलना मेरा काम है न चढती धूप है न स्वप्न में भी आराम है जिन्दगी भर मुसाफिर बना रह गया किस्मत में चलना था चलता रहा । बोझ जीवन का कांधों पे ढोता रहा रास्ते हर कदम पर बदलाते गये । न कभी कोई सहारा कांधों को मिला चाहे कदम मेरे शोलों पे पढ़ते गये । तेरी चाहत मेरे पथ की रोशन किरण मेरे नैनो में दिये आश के जलते रहे । मुसाफिर हूँ तलब बेरुखी की लगी आश मंजिल की खुद ही ठुकरा ती गयी राह चलने की आदत उम्र भर की रही हवाएं भी रुखबदलती गयी । बोझ लेकर हर कदम बढ़ती गयी विश्राम के फूल मुरझाते गये लिपट कर उम्मीदों से कभी सो ना सकी मुसाफिर हूँ कांटों पे करवट बदलती रही चलना मुसाफिर तेरा काम है रास्ते किराये के घर सों बदलते रहे । बढ चल मुसाफिर जीवन के रंगमंच पर सामने एक नदी के दो पाट हैं । एक मजबूरियों की दास्तान है एक गुजरे जमाने की तस्वीर है साथ शोलोः का था और शबनम भी थी मुसाफिर हूँ यही जीवन का आधार था । जीवन क्या है मनुष्य जिम्मेदारियों को निभाने के लिए जीवन भर मुसाफिर की तरह ही चलता रहता है।
शब्दिता
मनुष्य परिवर्तित होता मनुष्य... मनुष्य कुंठित रहने लगा है। मनुष्य अशांत रहने लगा है। मनुष्य क्रोधित रहने लगा है। मनुष्य असभ्य रहने लगा है। मनुष्य दुर्गति में रहने लगा है। ज
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
जिस डर से आत्मविश्वास की हानि होने लगे, उस डर को खत्म करना बहुत अनिवार्य हो जाता है मनुष्य के लिए। ©Ankur Mishra जिस डर से आत्मविश्वास की हानि होने लगे, उस डर को खत्म करना बहुत अनिवार्य हो जाता है मनुष्य के लिए। #fearless_soul Internet Jockey Anshu