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रसिक उमेश

#प्रेम ईश्वर प्रदत्त है:- #Love

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जीवन के हर मोड़ पर कब कौन काम आ जाय नही पता पर ईश्वर हर मोड़ पर हमारे साथ होता है, बस हमारा दुर्भाग्य है कि हम अपने आप को अहमियत नही दे पाते।
*ईश्वरअंशजीवअविनाशी*
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©रसिक उमेश #प्रेम ईश्वर प्रदत्त है:-

#Love

Manyu Manish

#ईश्वरीय विधान???

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मैं इस मान्यता को अस्वीकार करता हूँ कि दुनिया में जो कुछ भी होता है सब ईश्वर की मर्ज़ी से होता है, उसकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। अगर आप इसे मानते हैं तो आपको हत्यारों,लुटेरों, बलात्कारियों को ईश्वरीय इच्छा पूरी करने का माध्यम मात्र मानना पड़ेगा। अपनी अक्षमता,अरुचि, अनिच्छा, अपराध बोध, अपने कर्मों को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए इस मान्यता का फायदा कुछ लोग उठाते हैं। 
@मन्यु आत्रेय #ईश्वरीय विधान???

Nandmohan Mishra

दंड विधान

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Vidhan Mandal

#कश्ती @विधान

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कश्ती जिंदगी की कश्ती उनके भरोसे मत छोड़ना 
जिनसे आप प्यार करते हो।
नहीं तो अंजाम टाइटेनिक जैसा होगा। #कश्ती @विधान

HP

दोष

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ऐसे व्यक्ति ढूंढ़ना जिनमें रत्ती भर भी कोई दोष न हो एक प्रकार से असंभव ही है। दोष

Ravi

दोष# #nojotovideo

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Anita Sudhir

दोष #विचार

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आज का ज्ञान अँगुली  उठती है सदा, क्यों दूजे की ओर ।
गिनो स्वयं के दोष तो,मिले खुशी का छोर।। दोष

Ombir Kajal

दोष #Shayari

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लोग कोशिश तो करते नहीं, दोष तकदीर को देते हैं, 
हाथों से काम लेते नहीं, दोष लकीर को देते हैं,
नशे पते की लत में डूबो कर खत्म कर लेते हैं खुद को, 
जब राहे जिंदगी में चल नहीं पाते तो,दोष शरीर को देते हैं
✍✍✍
Ombir Kajal

©Ombir Kajal दोष

Hasanand Chhatwani

विधी का विधान ##

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 #विधी का विधान ##

Ek villain

# ईश्वर का विधान

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हम सभी परम पिता परमात्मा के पुत्र हैं वह हम सभी पुत्रों को समान रूप से चाहते हैं पर वह जिन्हें योग्य विश्वसनीय और इमानदार समझते हैं उन्हें अपनी क्रश शक्ति का कुछ अंश इसलिए सौंप देते हैं कि वह उसके ईश्वर उद्देश्यों की पूर्ति में हाथ बढ़ाएं धन बुद्धि स्वास्थ्य शिल्प चतुरा मनोबल नृत्य आदि शक्ति आदि ने अधिक मात्रा में दी गई है वह अधिकारी नगर अधिकारी को देकर राजा कोई पक्षपात नहीं करता बल्कि अधिकार योग्य व्यक्ति से अधिक काम लेने की नीति बढ़ता है परमात्मा भी कुछ थोड़े से लोगों को अधिक संपन्न बनाकर अपने अन्य लोगों के साथ अन्याय नहीं करता उस ने सभी को समान रूप से विकसित होने के अवसर दिए हैं वह पक्षपात करें तो फिर समदर्शी और दयालु कैसे कहा जा सकता है भोजन वस्त्र आवास तथा जीवन यापन की उचित आवश्यकताएं पूरी करने वाली वस्तुएं प्रभु प्रदाता प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेतन के समान है आलसी आकर मणि उल्टे सीधे काम करने वाले लोगों का वेतन कट जाता है और उन्हें किनी आशाओं में आभा ग्रस्त रहने को विश्वास होना पड़ता है जो परिश्रम पुरुषार्थी सीधे मार्ग पर चलने वाले हैं वह अपना उचित वेतन यथा समय पाते हैं रहते हैं इस वेतन के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की शक्तियां लोगों को जन्मजात मिली होती है यह शक्तियां केवल इस उद्देश्य के लिए होती है कि इनमें उत संपन्न कोई व्यक्ति अपने से कमजोर लोगों को ऊपर उठने में लगाया था प्रत्येक समृद्धि मनुष्य को प्रभु ने यह कर्तव्य सौंपा है कि वह अपने जो कमजोर हैं उनकी मदद करने में इन शक्तियों को क्या व्यर्थ किया जाए जैसे कि यदि कोई सुशिक्षित है तो उसका फर्ज है कि आज शिक्षित लोगों को शिक्षक का प्रचार करें कोई शक्तिशाली है तो उसका कर्तव्य यह है कि निर्मल ओं को सताने वालों को रोके धनवान के निकट धन इसलिए आम नेता के रूप में रखा गया है कि वह इसके उपयोग से विद्या बुद्धि व्यवसाय संगठन सद ज्ञान आदि का इस प्रकार नियोजन करें कि उसमें जरूरतमंद लोगों को अपनी चतुर्मुखी उन्नति कर सकें

©Ek villain # ईश्वर का विधान
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