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Aman Chaudhary

1.स्‍क्रीमिंग टनल, जहां आप एक माचिस तक जालाने में कांप जायेंगे
         दुनिया में बहुत सी ऐसी जगहें हैं जहां रूहों का वास होता है। रूहें, आत्‍माएं या फिर बुरी शक्तियां शुरू से ही इंसानी दिमाग के लिए एक क्‍वीदंती ही बनी रही हैं। कभी-कभी कुछ लोगों ने इन्‍हे महसूस किया है और अपने राय दूसरों को दिए हैं, लेकिन इंसानी स्‍वभाव या तो बहुत जल्‍दी ही किसी बात को मान लेता है या तो किसी डर की वजह से जिंदगी भर एक हकीकत से मूंह मोड़े रहता है।

 

रूहों के बारे में एक बात बहुत से लोग जानना चाहतें है कि, आखिर ये रूहें या फिर आत्‍माएं कहां से आती हैं? या फिर इनका जन्‍म या निर्माण कैसे होता है? आपको बता दें कि इनका जन्‍म किसी जीव की मौत के बाद ही होता है। दुनिया में कई तरह की मौतें होती है जैसे कि, बिमारी से मौत, हत्‍या, आत्‍महत्‍या, हादसों से मौत या फिर एक सामान्‍य उम्र गुजरने के बाद मौत। लेकिन इन सारी मौतों में जो मौत सबसे अलग होती है वो है सामान्‍य उम्र गुजारने के बाद होने वाली मौत।

 

जो भी जीव इस पृथ्‍वी पर जन्‍म लेता है उसकी मृत्‍यु भी तय होती है यहां तक माना जाता है कि जीव अपने जन्‍म के साथ अपने मौत का समय और जरीया भी साथ ही लाता है। लेकिन कभी कभी वो जीव अपने मौत के समय से पूर्व ही काल के गाल में समा जाता है जो कि अकाल मृत्‍यु कही जाती है। इंसानी जान पर केवल उसके भाग्‍य का ही अधिकार नहीं होता है अपितु उसके आस-पास के लोगों का भाग्‍य या वातावरण भी उसकी किस्‍मत और जीवन-मौत का फैसला कर देते हैं।

 

यही अकाल मृत्‍यु जोकि समय के पूर्व किसी जीव की हो जाती है तो उसे अपनी आयु पूरी करनी पड़ती है। अपनी आयु पूरी करने के लिए ही जीव शरीर को त्‍यागने के बाद भी इस मृत्‍यु लोक में रूहों और आत्‍माओं के रूप में भटकता रहता है। ऐसी रूहें जिनके साथ कोई हादसा हुआ हो, हत्‍या हुयी हो, या फिर उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की हो। ये सारी आत्‍माएं परमात्‍मा की मर्जी से पहले ही अपना शरीर छोड़ देती हैं, लेकिन उन्‍हे अपना समय पूरा करने के बाद ही मृत्‍युलोक से मुक्‍ती मिलती है।

 

अभी तक आपने इस सिरीज के लेख में बहुत सी भयानक इमारतों, होटलों, अस्‍पतालों के बारें में पढ़ा लेकिन इस बार आपको एक ऐसे टनल के बारें में बताया जायेगा जहां रूह का खौफ इतना है कि वहां इंसान माचिस की एक तीली जलाने मात्र से कांप उठता है। स्‍क्रीमिंग टनल जैसे कि नाम से ही आपको आभास हो गया होगा कि इस टनल का खौफ कीतना भयानक होगा। यह टनल कनाडा के ओनटेरियो के नियाग्‍रा फाल्‍स के पास स्थित है।

 

इस टनल का निर्माण ग्रांड ट्रेक रेलवे लांइस के ठिक नीचे किया गया था। जो कि उस इलाके में पानी के बहाव को पास के खेतो आदी की तरफ मोडने के लिए प्रयोग किया जाता था। इस टनल को सन 1900 में बनवाया गया जो कि लगभग 16 फीट उंचा, और 125 फीट लंबा टनल है। **क्‍या हुआ था टनल में ** टनल के निर्माण के बाद सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन कुछ समय बाद ही एक ऐसा हादसा हुआ जिसने स-पास के लोगों को हिला कर रख दिया। चुकिं इस टनल के आस-पास उस वक्‍त कुछ खास आबादी नहीं थी और इस टनल में हमेशा पानी भी नहीं भरा रहता था।

 

जब पानी बढ़ जाता था तब इस टनल का प्रयोग किया जाता था। उस समय इस टनल में कई हादसें हुए जिनमें से एक हादसा ऐसा था जिससे आज भी ओनटेरियो उबर नहीं पाया हैं। यह उस समय की बात है जब इस टनल में पानी नहीं था। उस समय टनल के दक्षिण तरफ एक लकड़ी का घर था। उस घर में एक बाप बेटी रहा करते थे। उस समय टनल के पास बहुत तेज हवा चल रही थी, और चारों तरफ भयानक अंधेरी रात थी। इसी दौरान उस मकान में अचानक आग लग गयी।

 

उस समय घर में वो लड़की अकेले अपने पिछले कमरे थी। हवा का रूख भी उसी तरफ था और देखते-देखते आग ने पुरी तरह उस मकान को अपने आगोश में ले लिया। तब लड़की को आग का पता चला तो वो घर के पिछले हिस्‍से से भागने के लिए उठी, तब तक आग ने रौद्र रूप धारण कर लिया था और मकान का एक हिस्‍सा उसके उपर आ गिरा। लड़की किसी तरह वहां से भागी लेकिन उसके कपड़ो में आग पकड़ चुकी थी।

 

लड़की खुद को बचाने के लिए टनल की तरफ भागी ताकि वो टनल के पानी में कूद सके। लेकिन जब तक वो टनल तक पहुंची वो बुरी तरह जल चुकी थी और जब उसने टनल में छलांग लगायी तो सीधे जमीन पर आ गिरी। टनल में उस समय पानी नहीं छोड़ा गया था। आग से बुरी तरह लीपटी हुयी उस लड़की की चीखउस इलाके में गूंज गई। उसकी चीख इतनी भयानक थी कि आस-पास के कई लोग वहां आ पहुंचे और टनल के उपर से आग से लड़ती हुई इस लड़की को देखते रहे, लेकिन किसी ने भी उसे बचाने की हिम्‍मत नहीं की और आखिरकार आग से हारकर उस जवान लड़की ने वहीं दम तोड़ दिया।

 

इसके अलांवा एक और हादसा इस टनल में हुआ, ये हादसा भी एक युवती के साथ ही हुआ। टनल के आस-पास के लोगों का मानना है कि एक बार रात में कुछ वहशी दरिन्‍दो ने एक लड़की के साथ इस टनल के अन्‍दर सामूहिक बलात्‍कार किया था। इतना ही नहीं बलात्‍कार करने बाद उन दरिन्‍दों नक अपनी काली करतूत छिपाने के लिए उस बेचारी लडकी के उपर तेल डालकर उसे जला दिया था। लोगों का कहना है कि उस समय वो लड़की भी बहुत भयानक चिख रही थी।

 

लेकिन आस-पास के लोग पुराना हादसा देखे थे और उन्‍हे लगा कि शायद उसी लड़की की रूह चीख रही है। सुबह जब लोग टनल के पास गये तो देखा कि एक लड़की का अधजला शव जमीन पर पड़ा था और टनल की दिवारों पर उस लड़की के चढ़ने के निशान भी मौजूद थे। तब से लेकर आज तक उस टनल के आस-पास रात में गुजरने से भी लोग डरते हैं। लोगों का कहना है कि आज भी रात में कोई उधर से गुजरता है तो टनल के अंदर से सिसकने और शरीर के जलने जैसी बदबू आती हैं।

 

टनल में रूहें ऐसा माना जाता है कि कोई भी टनल में रौशनी करता है तो उन दोनों ही लड़कियों की रूहे परेशान हो जाती हैं। एक बार टनल की सफाई के लिए एक आदमी टनल में उतारा गया था। उस समय वो टनल की सफाई करते-करते थक गया था। उसी समय उसने पास से एक सिगरेट निकाली और उसे जलाने के लिए माचिस निकाली। जैसे ही उसने माचिस जलाई माचिस बुझ गयी, उसने दोबारा कोशिश की तो तेज हवा टनल की दूसरी तरफ से चलने लगी। उसके बाद वो वहां से उठा और हवा से बचने के लिए टनल के अंदर चला गया और एक कोने में जाकर माचिस जलाने लगा।

 

जैसे ही उसने तीसरी बार माचिस जलाई तभी एक भयानक चीख उस टनल में गुंज गयी और उस सफाईकर्मी ने अपने सिर के ठिक उपर एक लड़की के साये को देखा जो कि किसी छिपकली की तरफ टनल के दिवारों से चिपकी थी उसका पुरा चेहरा जला था और वो बार-बार चीख रही थी। च‍ीख इतनी भयानक थी कि आस-पास के लोगों ने भी उसे सुना। टनल के उपर काम कर रहे लोग दौड़कर टनल के अंदर झुक कर देखने लगे। तो उन्‍होने देखा कि वो आदमी टनल के अंदर जमीन पर बेहोश पड़ा है और उसके हाथ में माचिस थी।

 

किसी तरह उसे बाहर निकाला गया और उसे इलाज के लिए अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। वो आदमी जिंदा बच गया और उसने आपनी आप बीती लोगों को बतायी लेकिन कुछ दिनो के बाद उसका मानसिक सुतुलन बिगड़ गया। आज भी लोग करते है महसूस आज भी उन दोनों रूहों को लोग महसूस करते हैं। इस समय भी यदि आप टनल के बीचों बीच जाकर एक माचिस की तीली जलाते है तो एक भयानक चीख आप आसानी से सुन सकते हैं। लेकिन इसके लिए बहुत हिम्‍मत की जरूरत ह‍ोती है। ऐस करने के दौरान आपकी जान पर भी बन सकती है।

 

स्‍क्रीमिंग टनल से जुड़े रोचक तथ्‍य सन 1900 में हुआ था निर्माण इस टनल को सन 1900 में बनवाया गया जो कि लगभग 16 फीट उंचा, और 125 फीट लंबा टनल है। कई हादसे हुए इस टनल में जब पानी बढ़ जाता था तब इस टनल का प्रयोग किया जाता था। उस समय इस टनल में कई हादसें हुए जिनमें से एक हादसा ऐसा था जिससे आज भी ओनटेरियो उबर नहीं पाया हैं। टनल में परेशान रूह ऐसा माना जाता है कि कोई भी टनल में रौशनी करता है तो उन दोनों ही लड़कियों की रूहे परेशान हो जाती हैं। सुनाई देती है चीख आज भी उन दोनों रूहों को लोग महसूस करते हैं।

 

इस समय भी यदि आप टनल के बीचों बीच जाकर एक माचिस की तीली जलाते है तो एक भयानक चीख आप आसानी से सुन सकते हैं। जलती हुई लड़की कहा जाता है कि कुछ गांव वालों ने टनल से जलती हुई लड़की को भागते हुए देखा था। और उसी लड़की की रूह यहां आज भी भटकती है।

 

*** टनल में बलात्‍कार *** कहा जाता है कि कुछ लोगों ने एक लड़की के साथ इसी टनल में सामूहिक बलात्‍कार किया और जला कर मार डाला। इसी टनल में उसकी जली हुई लाश मिली थी। टनल में फिल्‍में इस टनल में दि डेड जोन फिल्‍म की शूटिंग की हो चुकी है, यह एक हॉरर मूवी है, जो 1983 में रिलीज हुई थी। टनल के आस-पास शूटिंग एक और फिल्‍म लाइमस्‍टोन बर्निंग की शूटिंग भी टनल के अंदर व आसपास हो चुकी है। फिल्‍म में नियाग्रा फॉल्‍स दिखाये गये हैं।

©Aman Chaudhary #CityWinter यह एक बहुत ही रोमांचकारी कहानी है।

#CityWinter यह एक बहुत ही रोमांचकारी कहानी है। #हॉरर

11 Love

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Shruti Rathi

बारिश हर किसी के लिए 
रुमानी और रोमांचकारी एहसासों से
 भरी नहीं होती है 
कुछ लोगों के लिए ये
बेहद चिन्ताप्रद और नुकसानदायी
 साबित होती है

©Shruti Rathi
  #rain #shrutirathi #originalcontent #nojotohindi #sad #बारिश #रूमानी  #रोमांचकारी #चिंताप्रद #साबित
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yogesh atmaram ambawale

सतत वाटते....
एक दिवस तरी अमिताभ बच्चन ला भेटावे,
लहानपणापासून मनात दबलेल्या इच्छेचा,
रोमांचकारी अविस्मरणीय अनुभव घ्यावे.
😊☺️ माझ्या लेखक मित्रानों
आताचा विषय आहे
सतत वाटते...
नेहमी मनात काहीतरी सतत वाटत असत कधी बोलायचं राहुन जातं तर कधी लिहायचं हो ना?
चला तर मग आता

माझ्या लेखक मित्रानों आताचा विषय आहे सतत वाटते... नेहमी मनात काहीतरी सतत वाटत असत कधी बोलायचं राहुन जातं तर कधी लिहायचं हो ना? चला तर मग आता #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #सततवाटते

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अशेष_शून्य

...... तुम्हारे मुस्कुराते होठों के
प्रतिबिंब को मेरी
पुतलियों से टकराकर जब तुम्हारी आंखों में झलकता देखती हूं 
तो मेरे इस यकीन पर मेरा
 यकीन और गह

तुम्हारे मुस्कुराते होठों के प्रतिबिंब को मेरी पुतलियों से टकराकर जब तुम्हारी आंखों में झलकता देखती हूं तो मेरे इस यकीन पर मेरा यकीन और गह #Hindi #lovequotes #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य

0 Love

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Vandana

..... तस्वीरें भी कभी-कभी बहुत कुछ कह देती हैं
कभी कभी नहीं हमेशा ही हकीकत बयां कर देती हैं

बंद कमरों में जिंदगी घुटती है
मुश्किलों से भरा सफर भी

तस्वीरें भी कभी-कभी बहुत कुछ कह देती हैं कभी कभी नहीं हमेशा ही हकीकत बयां कर देती हैं बंद कमरों में जिंदगी घुटती है मुश्किलों से भरा सफर भी #रोमांचज़िंदगीका

0 Love

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~Bhavi

शिव शंकर गले विराजे..
घर घर में महिमा बाजे।।

नागपंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है।।यह त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।इस दिन हमारे भारतवर्ष में नागों की पूजा करने का विधान है।ऐसा माना जाता है कि नाग देवता शिव जी का प्रतिरूप हैं, क्योंकि वह शिव जी के परिवर्तित रूप हैं।वह उनके साथ हमेशा उनके गले में विराजमान रहते हैं।।मान्यता है जहां नाग देवता का निवास होता है,वहाँ लक्ष्मी भी निवास करती है।।नागों और सर्पों की पूजा करने से भय से भी मुक्ति मिलती है।।प्राचीन समय की मान्यता है कि सर्प हमारे कृषकों के लिए भी वरदान होते हैं क्योंकि वह खेतों में जीव-जंतु आदि से फसलों की रक्षा करता है।।इसलिए साँप को "सर्पपाल या छेत्रपाल "भी कहा जाता है।।नागपंचमी के दिन सब लोग नाग देवता की पूजा करते हैं,उनके लिए दूध रखा जाता है।।नाग हमें कई संदेश भी देते हैं उनकी तीव्र दृष्टि बेहद ही रोमांचकारी होती है।।कहीं कहीं नागमणि का भी उल्लेख मिलता है।।कुछ लोग इनके ख़िलाफ़ होते हैं, जो जंतुओं की निर्मम हत्या कर देते हैं।।उन्हें घातक मानते हुए, प्रत्येक व्यक्ति उनसे दूर रहने की कोशिस में नागों ,सर्पों को नुकसान पहुँचाते हैं।।ऐसा करना हमारे मनुष्य जीवन के लिए बिल्कुल भी उत्तम नहीं है।।हमें प्रत्येक जीव-जंतु की रक्षा करनी चाहिये।।

©bhawna gupta शिव शंकर गले विराजे..
घर घर में महिमा बाजे।।

नागपंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है।।यह त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की प

शिव शंकर गले विराजे.. घर घर में महिमा बाजे।। नागपंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है।।यह त्योहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की प #Thoughts #शिवाय #HappyNagPanchami #शुभकामनाएं💐

22 Love

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saurabh

 प्यार बस प्यार जैसा होता है
 प्यार मे रिस्वतें नहीं चलती..!
दुआओं में याद रखने से इनकार नहीं कर सकता
प्यार के रुहानी लफ्ज़ को बेकार नहीं कर सकता
मैं किसी की सासों पर अधिकार नहीं कर सकता
ऐ रब किसी की जिंदगी को अपने बस में कर लेना
गर यही प्यार है तो बेशक मैं प्यार नहीं कर सकता                        मन ने बोला सो लिखा
                    ~~~~~~~~~~~~~~~~
          
शायद मेरे लिए प्रेम या प्रणय की परिभाषा कुछ और है,

मन ने बोला सो लिखा ~~~~~~~~~~~~~~~~ शायद मेरे लिए प्रेम या प्रणय की परिभाषा कुछ और है,

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N S Yadav GoldMine

हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷
महाभारत: स्‍त्री पर्व त्रयोविंष अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey}
📜 गान्धारी बोलीं- तात। देखो, ये नकुल के सगे मामा शल्य मरे पड़े है। इन्हें ज्ञाता धर्मराज युधिष्ठिर ने युद्ध में मारा है। पुरुषोत्तम। जो सदा और सर्वत्र तुम्हारे साथ होड़ लगाये रहते थे वे ही ये महाबली मद्रराज शल्य यहां मारे जाकर चिर निद्रा में सो रहे हैं। 

📜 तात। ये वे ही शल्य हैं जिन्होंने युद्ध में सूतपुत्र कर्ण के रथ की बागडोर संभालते समय पाण्डवों की विजय के लिये उसके तेज और उत्साह को नष्ट किया था। अहो। धिक्कार है। देखो न, शल्य के पूर्ण चन्द्रमा की भांति दर्षनीय तथा कमल दल सदृष नेत्रों वाले व्रणरहित मुख को कौओं ने कुछ-कुछ काट दिया है।

📜 श्रीकृष्ण सुवर्ण के समान कान्तिमान शल्य के मुख से तपाये हुए सोने के समान कान्तिवाली जीभ बाहर निकल आयी है और पक्षी उसे नोंच-नोंच कर खा रहे हैं। युधिष्ठिर के द्वारा मारे गये तथा युद्ध में शोभा पाने वाले मद्रराज शल्य को ये कुलांगनाऐं चारों ओर से घेर कर वैठी हैं और रो रही हैं। 

📜 अत्यन्त महीन वस्त्र पहने हुए ये क्षत्राणियां क्षत्रिय षिरोमणि नरश्रेष्ठ मद्रराज के पास आकर कैसा करूण क्रन्दन कर रही हैं। रणभूमि गिरे हुए राजा शल्य को उनकी स्त्रियां उसी तरह सब ओर से घेरे हुए हैं, जैसे एक बार की व्याही हुई हथनियां कीचड़ में फंसे हुए गजराज को घेर कर खड़ी हों। 

📜 वृष्णिनन्दन। देखो, ये दूसरों को शरण देने बाले शूरवीर शल्य बाणों से छिन्न-भिन्न होकर वीर शैया पर सो रहे हैं। ये पर्वतीय, तेजस्वी एवं प्रतापी राजा भगदत्त हाथ में हाथी का अंकुष लिये पृथ्वी पर सो रहे हैं इन्हें अर्जुन ने मार गिराया था। इन्हें हिंसक जीव जन्तु खा रहे हैं। 

📜 उन महाबाहु ने कुन्तीकुमार धनंजय के साथ युद्ध करके उन्हे संषय में डाल दिया था; परंतु अंत में उन कुन्तीकुमार के हाथ से ही मारे गये। संसार में षोर्य और बल में जिनकी समानता करने वाला दूसरा कोई नही है, वे ही ये युद्ध में श्यंकर कर्म करने वाले श्ीष्मजी घायल हो बाणषैया पर सो रहे है।

📜 इनके सिर पर यह सोने माला विराज रही है जो केषों की सोभा बढाती सी जान पड़ती है। जैसे वृत्रासुर के साथ इन्द्र का अत्यन्त भयंकर संग्राम हुआ था, उसी प्रकार इन भगदत्त के साथ कुन्ती कुमार अर्जुन का अत्यन्त दारूण एवं रोमांचकारी युद्ध हुआ था। 

📜 श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं, ऐसा जान पड़ता है, मानो प्रलयकाल में काल प्रेरित हो सूर्यदेव आकाष से भूमि पर गिर पड़े हैं। केशव। जैसे सूर्य सारे जगत् को ताप देकर अस्ताचल को चले जाते हैं, उसी तरह ये पराक्रमी मानव सूर्य रणभूमि में अपने शस्त्रों के प्रताप से शत्रुओं को संतप्त करके अस्त हो रहे हैं।

📜 जो ऊध्र्वरेता ब्रम्हचारी रहकर कभी मर्यादा से च्युत नहीं हुए हैं, उन भीष्म को शूर सेवित वीरोचित शयन बाणषैया पर सोते हुए देख लो। जैसे भगवान स्कन्द सरकण्डों के समूह पर सोये थे, उसी प्रकार ये भीष्मजी कर्णी, नालीक और नाराच आदि बाणों की उत्तम शैया बिछाकर उसी का आश्रय ले सो रहे हैं.

©N S Yadav GoldMine
  #yogaday हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷
महाभारत: स्‍त्री पर्व

#yogaday हैं वासुदेव श्रीकृष्ण। देखो, ये सूर्य के समान तेजस्वी शान्तनुनन्दन भीष्म कैसे सो रहे हैं पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: स्‍त्री पर्व #पौराणिककथा

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LifeGyan MS

 

( 1 ) "लक्ष्य खुद बनायें"--------

छोटा हो या बड़ा लक्ष्य खुद बनायें। हमें दुनियाँ में हमसे बेहतर कोई नहीं जानता। कोई आपसे गणित में अच्छा

 ( 1 ) "लक्ष्य खुद बनायें"-------- छोटा हो या बड़ा लक्ष्य खुद बनायें। हमें दुनियाँ में हमसे बेहतर कोई नहीं जानता। कोई आपसे गणित में अच्छा #nojotophoto

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LifeGyan MS

 

( 1 ) "लक्ष्य खुद बनायें"--------

छोटा हो या बड़ा लक्ष्य खुद बनायें। हमें दुनियाँ में हमसे बेहतर कोई नहीं जानता। कोई आपसे गणित में अच्छा

 ( 1 ) "लक्ष्य खुद बनायें"-------- छोटा हो या बड़ा लक्ष्य खुद बनायें। हमें दुनियाँ में हमसे बेहतर कोई नहीं जानता। कोई आपसे गणित में अच्छा #nojotophoto

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 19 - हारे को हरिनाम नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घास

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 19 - हारे को हरिनाम नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घास

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Anjuola Singh (Bhaddoria)

#anjula #singh #bhadauria देवभूमि उत्तराखंड, एक अविस्मरणीय संस्मरण
By ©Anjula Singh Bhadauria

नमस्कार/ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ/आदाब/Hello दोस्तों,
सर्वप्रथम आप सबसे अनुरोध है

देवभूमि उत्तराखंड, एक अविस्मरणीय संस्मरण By ©Anjula Singh Bhadauria नमस्कार/ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ/आदाब/Hello दोस्तों, सर्वप्रथम आप सबसे अनुरोध है #Travel #Trip #Traveler #adventure #nojotohindi #tourism #SINGH #आगमन_सफ़रनामा #AagamanTravelDiaries #anjula

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N S Yadav GoldMine

महाभारत: स्‍त्री पर्व अध्याय: श्लोक 38-44  N S Yadav......
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📗 नरेश्वर। विशाल नेत्रों वाली कुन्ती ने शोक से कातर हो रोती हुई द्रुपदकुमारी को उठाकर धीरज बंधाया और उसके साथ ही वे स्वयं भी अत्यन्त आर्त होकर शोकाकुल गान्धारी के पास गयीं।

📗 उस समय उनके पुत्र पाण्डव भी उनके पीछे-पीछे गये। वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। गान्धारी ने बहू द्रौपदी और यशस्विनी कुन्ती से कहा- बेटी। इस प्रकार शोक से व्याकुल न होओ। 

📗 देखो, मैं भी तो दु:ख में डूबी हुई हूं। मैं समझती हूं, समय के उलट-फेर से प्रेरित होकर यह सम्पूर्ण जगत् का विनाश हुआ है, जो स्वभाव से ही रोमान्चकारी है। 

📗 यह काण्ड अवश्‍यम्भावी था, इसीलिये प्राप्त हुआ है। जब संधि कराने के विषय में श्रीकृष्ण की अनुनय-विनय सफल नहीं हुई, उस समय परम बुद्धिमान विदुर जी ने जो महत्वपूर्ण बात कही थी.

📗 उसी के अनुसार यह सब कुछ सामने आया है। जब यह विनाश किसी तरह टल नहीं सकता था, विशेषतः जब सब कुछ होकर समाप्त हो गया, तो अब तुम्हें शोक नहीं करना चाहिये।

📗 वे सभी वीर संग्राम में मारे गये हैं, अतः शोक करने के योग्य नहीं है। आज जैसी मैं हूं, वैसी ही तुम भी हो। हम दोनों को कौन धीरज बंधायेगा? मेरे ही अपराध से इस श्रेष्ठ कुल का संहार हुआ है।

©N S Yadav GoldMine
  #JallianwalaBagh महाभारत: स्‍त्री पर्व अध्याय: श्लोक 38-44  N S Yadav......
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📗 नरेश्वर। विशाल नेत्रों वाली कुन्ती ने

#JallianwalaBagh महाभारत: स्‍त्री पर्व अध्याय: श्लोक 38-44 N S Yadav...... {Bolo Ji Radhey Radhey} 📗 नरेश्वर। विशाल नेत्रों वाली कुन्ती ने #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

आज जैसी मैं हूं वैसी ही तुम भी हो। हम दोनों को कौन धीरज बंधायेगा पढ़िए महाभारत !! 📄📄
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 38-44 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
🎀 नरेश्वर। विशाल नेत्रों वाली कुन्ती ने शोक से कातर हो रोती हुई द्रुपदकुमारी को उठाकर धीरज बंधाया और उसके साथ ही वे स्वयं भी अत्यन्त आर्त होकर शोकाकुल गान्धारी के पास गयीं।

🎀 उस समय उनके पुत्र पाण्डव भी उनके पीछे-पीछे गये। वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। गान्धारी ने बहू द्रौपदी और यशस्विनी कुन्ती से कहा- बेटी। इस प्रकार शोक से व्याकुल न होओ।

🎀 देखो, मैं भी तो दु:ख में डूबी हुई हूं। मैं समझती हूं, समय के उलट-फेर से प्रेरित होकर यह सम्पूर्ण जगत् का विनाश हुआ है, जो स्वभाव से ही रोमान्चकारी है।

🎀 यह काण्ड अवश्‍यम्भावी था, इसीलिये प्राप्त हुआ है। जब संधि कराने के विषय में श्रीकृष्ण की अनुनय-विनय सफल नहीं हुई, उस समय परम बुद्धिमान विदुर जी ने जो महत्वपूर्ण बात कही थी, 

🎀 उसी के अनुसार यह सब कुछ सामने आया है। जब यह विनाश किसी तरह टल नहीं सकता था, विशेषतः जब सब कुछ होकर समाप्त हो गया, तो अब तुम्हें शोक नहीं करना चाहिये। 

🎀 वे सभी वीर संग्राम में मारे गये हैं, अतः शोक करने के योग्य नहीं है। आज जैसी मैं हूं, वैसी ही तुम भी हो। हम दोनों को कौन धीरज बंधायेगा? मेरे ही अपराध से इस श्रेष्ठ कुल का संहार हुआ है ।

©N S Yadav GoldMine
  #Parchhai आज जैसी मैं हूं वैसी ही तुम भी हो। हम दोनों को कौन धीरज बंधायेगा पढ़िए महाभारत !! 📄📄
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व

#Parchhai आज जैसी मैं हूं वैसी ही तुम भी हो। हम दोनों को कौन धीरज बंधायेगा पढ़िए महाभारत !! 📄📄 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। 

📜 पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं। बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है।

📜 वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथीसवार, घुड़सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे। हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था।

📜 सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे । वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा था। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले। 

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे।

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं। जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। 

📜 उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। 

📜 यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्रवधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं। 

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक-पृथक् दौड़ रही हैं। महाराज। कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है।

📜 पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के 
वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से 
सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए 
महाभारत !! 📔📔
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत:

#roshni पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं पढ़िए महाभारत !! 📔📔 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं।

📜 बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है। वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथी सवार, घुड़ सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे।

📜 हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा थ। सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे। वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा थ। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले।

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे। 

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं । जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। 

📜 उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्र वधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं।

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक- पृथक् दौड़ रही हैं । महाराज कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है। पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत

#boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत #पौराणिककथा

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