इश्क़ हो या दोस्ती बीच का फ़ासला रख़ा है
नंबर उसने भी नहीं बदला मैंने भी वही नंबर रख़ा है !
اسحاق یا دوستی کے درمیان فرق ہے
نہیں. اس نے اس ن
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रजनीश "स्वच्छंद"
मैं हार लिखता हूँ।।
तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ।
मज़ा किसमे रहा कितना बारंबार लिखता हूँ।
कोई रोटी से हारा है,
कोई गोटी से हारा #Poetry#kavita#tourdelhi