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Kamal bhansali
मौहब्बत जब तन्हा होती दामन अपना आंसुओं में भिगों लेती कसमें, वादे, प्यार और वफा से नफरत करती दस्तूर बेवफाई का शिकवा भी न कर पाती चुप रहकर दर्दे दिल को स्वयं ही सांत्वना देती नजर आती ✍💔 कमल भंसाली सांत्वना
Parasram Arora
खुशियों के हाट उजाडे जा रहे हैँ और अश्रु के व्यवसाय किये जा रहे हैँ विकसित हो चुकी हताशा की हवाएं चल रही हर दिशा मे और झूठी सांत्वनाओ से समाधान दीये जा रहे हैँ ©Parasram Arora सांत्वना.....
sateesh goutam
जब दुख से विचलित हृदय तंत्र हो, विचलित मन कुम्हलाना हो। जैसे तरु हरा भरा अब, पतझड़ में मुरझाना हो। मिले बहुत से अपने भी, सांत्वना से सावन लाने को। उड़े परिंदो की भाँति ही, नव् तरु में, घर बनाना हो। जब दुख से......................... फिर क्यों ना कोई, मरहम बनता, ना कोई सहभागी हो। सांत्वना की मरीचिका से, अप्रशन्न हृदय का कोना हो। जब दुख से.......................... सांत्वना
Parasram Arora
स्वयं को सांत्वना देने हेतु मेरे लिये यह जरुरी था कि आखिर मै अपने ज़ख्मो की टीस का क्या इतना आनंद ले रहा हूँ और क्यों गौरान्वित हो रहा हूँ ये सोच कर कि मै कितना महान प्रेमी हूँ क्योंकि इसी प्रेम ने मुझे तोड़ कर चकना चूर किया है ज़ख्म दिया है ©Parasram Arora सांत्वना
Manvendra Verma
वह भुल गए कि उन्हें हंसाया किसने था, जब वह रूठते तो मनाया किसने था, आज वह कहते हैं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं, शायद वह भूल गए कि उन्हें बताया किसने था #मेरा इश्क़, मेरी इबादत _मानवेंद्र वर्मा #सांत्वना #
@Küldèé¶kàúshäl
''सांत्वना'' थक गया हूं मैं लोगों को बता के, कि मैं ठीक हूं। न जाने क्यों हर रोज लोग, मरहम लगाने आ जाते हैं।। माना कि जो जख्म मुझे मिलने थे , पर मिले नहीं। न जाने क्यों वो जख्म, सांत्वना की छीनी से खुरेद दिए जाते हैं।। थक गया हूं............. आ जाते हैं।। आदत कुछ ऐसी है कि, खुश होता हूं तो मंदिर चला जाता हूं। ना जाने ये अच्छे लोग , मुझे पकड़ के वैद्य के पास क्यों चले जाते हैं।। थक गया हूं............. आ जाते हैं।। माना की बूंद आसमान से गिरी, पर सफर उसका आसां न था। गिर पड़ी बूंद सीप के मुंह, गई बन मोती, न जाने ये इतिहासकार , भेजें कि मुझे आसमां।। ©Kaushal Kuldee¶✒️ #सांत्वना
Arora PR
सांत्वना का हाथ पीठ पर पड़ते ही हर समस्या का समाधान हो जाता हैँ कोयल की कुक और पपीहैं की टेर सुनकर बादल भी विचलित होकर बरस जाता हैँ मुट्ठी खुली रहे अगर तुम्हारी तो ये पूरा आकाश मुठि मे समा सकता हैँ विरही मन के बिहड मे अगर जा अटकी हैँ जिंदगी तो सदियों का सफर चुटकी मे तय हो सकता हैँ ©Arora PR सांत्वना
Parasram Arora
तुम भीं जानते हौ तुम्हारे स्वर्ग का क्या अर्थ हैं? तुम्हारे ही सपने का विस्तार हैं क्या तुम्हे पता हैं तुम्हारा परमात्मा तुम्हारी ही आकांक्षाओं का. विस्तार हैं.? क्या तुम्हे पता हैं क़ि तुमने ये शब्द ये सिद्धांत क्यों पकड़ रखे हैँ? क्यों क़ि तुम भयभीत.हौ. अकेले हौ तुम्हे सहारा चाहिए सांत्वना चाहिए झूठा ही सही ©Parasram Arora सहारा सांत्वना....