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Dileep Singh
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए, ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता!! ©Dileep Singh #खुद ही रोए खुद ही चुप हो
mkbwri8s
जो खुद ही खुद की हमसफ़र तो सफर में और कोई हमसफ़र की जरूरत नहीं होता कियुनकी दूसरो से भरसा करोगी तो वो कभी भी टूट सकता है पर खुद पर भरसा करोगी तो हर वक़्त की सफर में चाहत से ज्यादा ताकत मिलेगा #खुद ही
पूर्वार्थ
कहने को जैसे...... कुछ बचा ही ना हो,फिर भी मैं कहती जाता हूं.... लिखने को जैसे,कुछ बचा ही ना हो... फिर भी,लिख -लिख कर.... जैसे मैं अपनी लेखनी(लेखन क्षमता).... सवारता जाता हूं..... कोई अपना भी है??..... यहां मेरे इर्द -गिर्द (आस -पास)??...... ये बात,जैसे!कभी समझ ही नहीं पाताहूं..... कहने को जैसे,कुछ बचा ही ना हो..... फिर भी मैं,कहती ही जाता हूं ...... कहता ही जाता हूं..... रंग बदलते देखा मैंने ,चाल बदलते देखा है.... वक्त बदल जाने पर मैंने सबका व्यवहार बदलते देखा है.... लिखने को जैसे कुछ बचा ही ना हो.. फिर भी.... अपनी लेखनी सवारता जाता हूं.... और आगे ही बढ़ता जाता हूं.... ©purvarth #खुद ही
ज़िंदादिल संदीप
घट घट में मैं बसु...घर घर मिल्यो राम.. देखा खुद को ढूंढ के ...तभी मिल्यो आराम । औरों की स्वीकृति छोड़ दी ..खुद ही मिलते काम.. केवट वो हमारे भयो..सब तो हरि के नाम।।।।। खुद ही में खुदा मिले ..खुद ही मिलते राम।।।।।
प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
महफूज़ रहेंगे तब तलक हम, जब तलक खुद को छिपाए हैं। रूठने न देंगे खुद को खुद से, वादे हमने सभी से निभाए हैं। ©प्रेम शंकर "नूरपुरिया" खुद ही #Love
Marutishankar Udasi
हा जिसके लिए है भाग्य सब कुछ वह डूब जाए बिना कोशिश किए वह अपने जीवन का दुश्मन खुद ही है जो जीता है नसीब के दम पर ©Marutishankar Udasi खुद ही है
CK JOHNY
बेशक तू खुदा है तू खुद ही आयेगा मैं आवाज़ भी न दूँ तो और कौन बुलाएगा। मेरा कुल है तू मैं जुज़ तेरा नहीं है कोई मेहमान तेरे आने की खुशी में पलकें कौन बिछाएगा। तू पाक साफ है सजे संवरे दिल में रहता है खुद को न संवारें फिर ये कुटिया कौन सजायेगा। अनजान हूँ नहीं जानता तेरे आने की वाट कौनसी जुबाँ समझता है तू जिसमें दूँ तुझको आवाज। किस साज पे बजता वो तेरे मण्डलों का संगीत किस जानिब हो तुझसे मेरे मालिक मुलाकात। कामिल-मुर्शिद के बिना ये तरकीब कौन बतायेगा। इन आँखों के बिना देखना कानों के बिन सुनना वो बेजुबानी की जुबाँ बोलना तो वो ही सिखायेगा। बेशक तू खुदा है तू खुद ही आयेगा मैं आवाज़ भी न दूँ तो और कौन बुलाएगा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ खुद ही आयेगा
Vickram
बेहद जरूरी होता है प्रतिबंध और अनुशासन एक दरवाजे का हर जगह होना बेहद जरूरी है सोचो किस लिए ये कायदे कानून बनाएं गये क्या एकदम आजाद रहना भी कोई जरूरी है ©Vickram खुद ही सोचें,,