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Rahul Saraswat

तेरी यादों के सावन में 
पतझड़ ना आ जाए कहीं
बसंत बन तुम आया करो
बहार की तरह छा जाया करो  #पतझड़#सावन#बसंत#बहार#yqdidi

Ayush kumar gautam

क्या सावन,बसंत बरखा बहार की.........

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क्या सावन,बसंत और बरखा बहारों की हमने तो तुम्हे बे मौसम ही पुकारा है
दरख्त ओ दीवारों पर लिखा नाम सिर्फ तुम्हारा है
कहने को तो बहुत आशिक हैं जमाने में
तुम्हे तो मोहब्बत के हर पहलू से रुबरू कराने वालो मे नाम सबसे पहले हमारा है

आयुष कुमार गौतम क्या सावन,बसंत बरखा बहार की.........

Vinod Mishra

शिव भावन मन भावन सावन,पावन स्तुति करहिं सकल जन @ #समाज

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Miss Kamlani

Pattiyan पतझड़ सावन वसंत बहार जीवन लोग विचार अनुभव संवेदना

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BANDHETIYA OFFICIAL

बसंती हवा ! # बसंत पंचमी #ज़िन्दगी

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Satish Kumar Meena

बसंत बहारे #कविता

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Natural Morning सरोवर के मध्य में गोरी!,कमल सी खिल जाती है।

बसंत बहारे नैनों में,सोये यौवन को जगाती है।। 


चमक-चमक पानी की धारा,केशों से झरती हैं,

धीरे-धीरे बूंद-बूंद से, गले में माला पिरती है,,

हिरनी जैसी पलकों में,केश उलझ से जाते हैं, 

तेरे कोमल हाथ उन्हें,एक नाग समझ छुडाते हैं,,


चंदन जैसे तन से लिपट,हवा महक उडाती हैं। 

बसंत बहारे नैनों में,सोये यौवन को जगाती है।। 


कौआ फेंके तोड़ के कलियां,गोरी तेरी राह में,

कोयल गीत सुनाती जाये,आ साजन की बाँह में,,

सांझ में तू साजे कितने,कैसे-कैसे सोलह श्रृंगार,

खिले पुष्प की तरह नरम,क्यों करें मन को अंगार,,


चाँदनी रात भी तेरे बिना,अमावस्या हो जाती हैं।

बसंत बहारे नैनों में,सोये यौवन को जगाती है।। 


प्रेम हार पहनाया तुझको, प्रेम जाल नही फैलाया, 

चाह रखी तुझको पाने की, कहके प्रेम जताया,,

 मैनें मुझको कर दिया अर्पण,पावनता जब देखी,

प्रेम-लेख सारा लिखा,जब कलम ने स्याही फेंकी,


गंगा जैसी तेरी सोच से,मेरी सोच मिल जाती हैं। 

बसंत बहारे नैनों में,सोये यौवन को जगाती है।।  बसंत बहारे

Narendra Sonkar

*बसंत के बहार में* #कविता

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*बसंत के बहार में*

हवा चली
पत्तियां चलीं
पेड़ भी थिरकने लगें
प्रकृति मदहोश थी
बसंत के बहार में

प्यार का प्रथम बार  
अंकुरण जब हो रहा था
कण-कण धड़क रहे थे
प्यार के इजहार में

हर्ष था उल्लास था
प्रेम और विश्वास था
धड़कनों में चाह थी
प्रस्ताव था व्यवहार में

रंग था उमंग था
मिजाज बड़ा चंग था
दोस्ती की आड़ थी
प्यार की दरकार में 

ईर्ष्या न द्वेष था
छल न फरेब था
हर प्राणी मस्त था
जीत और हार में 

प्यार का प्रथम बार 
अंकुरण जब हो रहा था
प्रकृति मदहोश थी 
बसंत के बहार में

©Narendra Sonkar *बसंत के बहार में*

शुभ'म

वो कम्बख्त अब इस बसंत की बसंती हो रही है,
क्या पता उसे ?? जो मैने यहाँ जुबान पर कुछ खामोशी खिला रखे हैं....!!
                                                                -Sp"रूपचन्द्र"

©Sp"रूपचन्द्र"✍ #बंसत #बसंती 
#flowers

Archana pandey

सावन आया साजन लाया.. #कविता

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सावन की प्रथम दस्तक स्वागत है
आनन्दित हृदयतल से😊
'कोयलिया फिरि-फिरि कूकै
मयुर पाँख फहरावैं रे
बलखावत मैना कहे 
पिया सुआ घर आवैं रे'...
अर्चना'अनुपमक्रान्ति' 
(सुआ-तोता)

©Archana pandey सावन आया साजन लाया..

Deepa Didi Prajapati

#संत-असंत #विचार

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सद्गुरु की संगति में
बड़े बड़े संकट भी टल जाते हैं।
किंतु गुरु पद का दूरुपयोग
करने वाले ढोंगियों की संगति
बर्बाद कर देती है।
संत भेषधारी असंतों की
पहचान करना मुश्किल होता है।

©Deepa Didi Prajapati #संत-असंत
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