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Fadu jokes
एक पेड़ की कीमत तुम क्या जानो रोमेश बाबू।
Sahaj Sabharwal
कई लोग इतना भी नही कर सकते, मैं जानता हूँ। लेकिन में इससे भी कहीं अधिक कर सकता था, यह भी मैं मानता हूँ। आज भी में सहज सभरवाल, खुद के संघर्षरत अतीत को ही खुद की प्रेरणा का स्रोत मानता हूँ। - सहज सभरवाल जम्मू शहर, जम्मू और कश्मीर, भारत कई लोग इतना भी नही कर सकते, मैं जानता हूँ। लेकिन में इससे भी कहीं अधिक कर सकता था, यह भी मैं मानता हूँ। आज भी में सहज सभरवाल, खुद के संघर्षर
Sahaj Sabharwal
ऊंची सोच एवं बढ़ी बातें करता, सहज सभरवाल बचपन से ही हठी नवाब था। आज मेहनत करके, साहित्यकार वहा पहुंचा, जो कल सिर्फ़ एक अखंड ख़्वाब था। ऊंची सोच एवं बढ़ी बातें करता, सहज सभरवाल बचपन से ही हठी नवाब था। आज मेहनत करके, साहित्यकार वहा पहुंचा, जो कल सिर्फ़ एक अखंड ख़्वाब था। - Sah
Sahaj Sabharwal
यह सच है कि आजकल भलाई का ज़माना नही है, लेकिन फिर भी नेकी की राह पर चलते हुए, खुदग़रज़ी के नाम पर मानवता के भाव को डूबना नहीं है। यह सच है कि आजकल भलाई का ज़माना नही है, लेकिन फिर भी नेकी की राह पर चलते हुए, खुदग़रज़ी के नाम पर मानवता के भाव को डूबना नहीं है। - सहज सभरव
Sahaj Sabharwal
बेवाह यादें आज फिर तुम्हारी याद आई है, संग मॉनसून और यादों की बरसात लाई है। भूली हुई बातों का खत, यादें बरसात लाई है, आज फिर उन बातों पर पन्ने भरने की रात आई है। इतना याद की था तुम्हे, भूल पाना भी मुश्किल था। किसी तरह भुलाया था दिमाग से, दिल से निकलना अभी भी मुश्किल है। चाहते हुए भी ना पाया तुम्हे, ना चाहते हुए भी भुलाया तुम्हे। यादों का जाना जैसे अभी भी नामुमकिन था, मेरी जिंदगी मे आना ही जैसे कयामत का दिन था। अब नही चाहता तुम्हे, फिर भी याद आ रही है, तुम्हारा मेरे दिल में रहना, दिल से बात आ रही है। दिन सही चल रहे थे फिर से उस दर्द के बाद, आज फिर तुम्हारी याद कर गई सारा दिन बर्बाद। - सहज सभरवाल जम्मू शहर, जम्मू और कशमीर, भारत। बेवाह यादें आज फिर तुम्हारी याद आई है, संग मॉनसून और यादों की बरसात लाई है। भूली हुई बातों का खत, यादें बरसात लाई है, आज फिर उन बातों पर पन
Sahaj Sabharwal
जो कल था वो आज नही जो कल तक थी मंज़िल, आज वहां तक पहुंच कर भी कुछ मज़ा नही । पहुंचने से पहले था जो सब कुछ, आज उसमे रहा वो उत्साह नही। मन है आज वहां पर में नही कल मै वहां होऊंगा और मन और कहीं, वहां नही। में जो कल था वो आज नही, वक्त जो आज है वो कल नही। - सहज सभरवाल जो कल था वो आज नही जो कल तक थी मंज़िल, आज वहां तक पहुंच कर भी कुछ मज़ा नही । पहुंचने से पहले था जो सब कुछ, आज उसमे रहा वो उत्साह नही।