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सिंगर Jayram Jaypuriya
अंधेरे बाँटते है और उजाले छीन लेते है। बुरे वक़्त में प्यासों से प्याले छीन लेते हैं। दुआ ये है कि तू उनकी ज़िंदगी भी छीन ले भगवान। जो मज़बूरो के हाथों से निवाले छीन लेते हैं। मैं जयराम जयपुरिया भजन गायक
Chagan Prajapat
याद स्कूल कि सबको आती हैं पर कुछ बाते दिल मै रह जाती है कौन याद नही करता अपने बचपन को पर कुछ यादे है जो बस सिमट के रह जाती हैं 😟😟 Insta. @Chhagan Prajapat #स्कूल
जेआर'बिश्नोई'
स्कूल और बेंच हम लिख कर बता देंगे हमारा इतिहास भावी पीढ़ी को जो हुआ अन्याय और जिसने किया अन्याय उसको पीढ़ी दर पीढ़ी सजा दिलवा देगे हम उठा लेंगे कलम का हथियार और विद्रोही हो जायेंगे जिसने किया हम पर राज उस पर हम करेंगे राज हम करेंगे राज अब कुछ अलग होगा जिसमे हमारा भी नाम होगा हमारा ही इतिहास होगा हमने सोच लिया तो इतिहास तो क्या भूगोल भी बदल देंगे और गोल भी बदल देंगे सब मिलकर करेंगे काम सतरह अठारह बैंच का करेंगे नाम। स्कूल
Agastya namdev ,,darpan,
स्कूल और बेंच स्कूल की बात क्या बताऊ ज़माने को ,, जमाना गुजर गया ,,उस बेंच के फ़साने को shayar दर्पण स्कूल
अमन गुप्त
मै अमन मुझे याद है जब मै 12 वी क्लास मे था हमेशा बैक बेन्चर था इंग्लिश की मैम आती ट्रांसलेशन देती सब करते थे और जब कापी चेक होती थी तो very niceमिलता 😍😍 #स्कूल
@Japee Artist
बहुत दिनों बाद आज मैं अपने स्कूल के सामने से निकला तो स्कूल ने पूछा... मुझसे तो तू उन दिनों बहुत परेशान था अब तू ही बता तेरी जिंदगी के इम्तेहान कैसे चल रहे हैं। स्कूल...
Power King
भारत में सबसे पहले स्कूल की शुरुआत 1830 ई मे लार्ड थामस बाबिंगटन माकयोले के द्वारा हुई थी सहमत हो तो लाईक करो ©Power King स्कूल
जेआर'बिश्नोई'
स्कूल और बेंच स्कूल की शुरुआत होती है जब हमारी उम्र पाँच साल की होती है हम नही चाहते खेल-कूद छोड़कर स्कूल जाना फिर भी घरवाले जबरदस्ती भेज देते है भेज देते नही उनको भेजने की मजबुरी होती है जो जरुरी भी होती है होनी भी चाहिए इस तरह हम कभी घर पर रुकते कभी स्कूल जाते है कभी प्यार पाते कभी मार भी खाते है इस तरह सफर शुरु होता है और वो वहां तक पहुंच जाता है जहां बारह साल पुरे होते है हम भी सतरह अठारह बैंच के स्टूडेंट्स होते है स्कूल
जेआर'बिश्नोई'
स्कूल और बेंच पहली कक्षा से शुरु हुआ सफर अब तक चलता ही जा रहा है निरंतर चलता ही रहेगा जब तक मंजिल की प्राप्ति नही हो जाती है मंजिल अभी दूर है जो हमे मंजूर है पहली ,दुसरी ,तीसरी कक्षा बीत जाती है फिर चौथी,पाँचवी,छठी कक्षा आती है वो भी बीत जाती है उसके बाद सातवीं,आठवीं,नौवीं,दसवी कक्षा आती है वो भी बीत जाती है फिर ग्यारहवीं,बारहवीं आती है वो भी बीत जाती है उसके के बाद कॉलेज शुरु हो जाती है किसी को मंजिल मिल जाती कोई बेघर ही घूमता है कोई पाकर मंजिल भी बेघर रहता है उसमे हमारा सतरह अठारह का बैंच भी होता है । स्कूल