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DR. LAVKESH GANDHI

चुनाव # चुनावी चिंता # yqelectionyqpoltics#

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एक तरफ बाढ़ है तो
दूसरी तरफ कोरोना काल है 
आगामी बिहार विधान सभा चुनाव भी 
सिर पर सवार है 
जो होता है वो हो जाने दो
सिर पर चुनावी भूत सवार है 
न है बाढ़ की चिंता न कोरोना का भय 
मुझे तो है सोलह आने चुनाव की चिंता  #चुनाव #
#चुनावी चिंता #
#yqelection#yqpoltics#

Ek villain

# चुनाव जीतने की चुनौती #HeartBreak #Society

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चुनाव में टिकट को लेकर महामारी तो रहती है लेकिन चुन सच्चाई तो चुनाव लड़ने और जितना युद्ध जीतने से कम नहीं है शायद यही कारण है कि जिन आरंभ आसानी से विधान परिषद की सीट मिल जाती है उनके लिए चुनाव लड़ना थोड़ा मुश्किल होता है बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में अभी तक मंत्री और सदस्य चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है अब तक उनके नामों की घोषणा नहीं हुई है तो रात ही है

©Ek villain # चुनाव जीतने की चुनौती

#HeartBreak

Ehssas Speaker

होने लगी चुनावी मौसम की बात.... #चुनावों_का_दौर #चुनाव आम‌_आदमी_का_हाल #मौसमी_चुनाव #Poetry

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गर्मी का पारा,
जानवरों को नहीं मिल रहा आज भी चारा
राजनैतिक दल दिखा रहे भाई चारा हैं।

हो रही हैं उमस,
आशा हैं होगी बारिश
होने लगी 2022 विधान सभा चुनाव की बात हैं।

लग रहें हैं सूचना पट,
पता नहीं ओर कितने हो ग‌एं छल कपट
मजबूत अर्थ व्यवस्था का बजट हैं,
हो रहें पास,नये-नये गज़ट ।

दिख रहे हैं काले बादल,
बारिश से होगी दल-दल
रूठ कर छोड़ रहें हैं पुराने दल
होगा अब थोड़ा दल-बदल।

आ गया हैं अब पांच राज्यों में चुनावी मौसम,
प्रचार-प्रसार में दल,अब दिखायेगें अपना दम ।

निकल जाये बरसात,
सही होगी सड़क,न हो कोई गठ्ठे
फ्री बिजली मिले,
लगेगें बिजली के लठ्ठे।

होने लगी चुनावी मौसम की बात,
गठजोड़ की बात होगी दिन-रात।

बेरोजगार मांगे रोज़गार,
फ्री के मुद्दे होगें मददगार।
जब आयेगा बसंत,
चुनावी मौसम का दिखने लगेगा अन्त।

©Ehssas Speaker होने लगी चुनावी मौसम की बात....

#चुनावों_का_दौर
#चुनाव 
#आम‌_आदमी_का_हाल
#मौसमी_चुनाव

Ek villain

#बार-बार चुनाव की चुनौती Thoughts #Society

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25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्वानों और विशेषज्ञों से अपील की है कि एक राष्ट्र एक मतदाता सूची और एक राष्ट्र एक चुनाव पर नियंत्र चर्चा होती रहनी चाहिए जब चर्चा होगी तभी पक्ष पक्ष विपक्ष की बिंदु समझ में आएंगे जब मंथन होगा तब अमृत निकलेगा प्रधानमंत्री पहले भी सभी चुनाव को एक साथ कराने में जोड़ देते रहे उनका विचार स्वागत आयोग है देश लगातार चुनाव से तनाव में रहता है उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी कहा है कि हम संघीय व्यवस्था में के तीनों स्तर के चुनाव एक साथ कराने के बारे में विचार करना चाहिए पहले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ साथ होते थे लेकिन 1968 से यह कर्म फूट गया राज्य विधानसभा कई कारणों से कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी तमाम असमय भगवा सरकारी राजनीति साजिश का शिकार हुए अनुच्छेद 356 का करीब सवा सौ बार उपयोग हुआ साथ-साथ चुनाव की ताल बिगड़ने का एक मुख्य कारण यह भी है कि यह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग जैसे सार्वजनिक संस्था संविधान सभा के आयोग में एक कर्मचारी समूह रखने की बात उठी डॉक्टर अंबेडकर ने कहा कि आयोग के पास काम कम होगा मगर लाल सक्सेना ने कहा कि संविधान में निर्धारित नहीं है कि अमेरिका की तरह 4 वर्ष में चुनाव जरूरी होगा

©Ek villain #बार-बार चुनाव की चुनौती

#Thoughts

Tarun Vij भारतीय

देश मे हर जगह चुनावों का शोर है, 
देश भक्ति, देश द्रोह, देश बाटने का जोर है। 
थूकते ही थे नेता जी, हम बोले संभलना जरा, 
आज कल थूक कर चाटने का दौर है।। चुनावी चुहल
#चुनाव #sosorry
#politics #election
#humour #व्यंग्य #yqdidi #हास्य_व्यंग्य
YourQuote Didi

Ek villain

# करुणा काल में चुनाव की कड़ी चुनौती #worldhindiday #Motivational

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उसकी तुलना माना जा रहा है कि वह 4 से 8 हफ्ते के दौरान चरम पर पहुंच कर महामारी को बड़े तुम्हारे पर बढ़ा देगा संक्रमण तारीख को दर्शाने वाली और वैल्यू दूसरी लहर के चरम बिंदु को पार कर गई है देश के तमाम जिलों में संघ 1 दिन पहले से 10% से ऊपर जा चुकी है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री क्षेत्र चुके हैं तीसरी लहर के दौरान संगठनों के मामले पूर्व और पश्चिम के तीनों से 4 गुना बढ़ सकते हैं यह राष्ट्रवादी सोचते आपदा के स्पष्ट संकेत है ऐसा मुश्किल वक्त में हमें कड़े फैसले भी अपनाने चाहिए समय पर चुनाव राजनीतिक लोकतंत्र का अभाव है वही नागरिकों का स्वस्थ एवं जीवन की सुरक्षा एवं अनिवार्य तत्व है वर्तमान परिदृश्य में टकराव होता प्रतीत हो रहा है ऐसा इसलिए क्योंकि व्यवहारिक हकीकत यह है कि चुनाव के दौरान कोविड-19 अंकी अनुपालन से ही वायरस रोकना संभव नहीं होगा कभी ऐसा नहीं होते होते हैं तर्क दिया जाता है कि चुनाव को डालने से लोकतंत्र झटका लग सकता है सरकारें अपने लिए आगे रहती है आलोक प्रिय सरकारों के लिए बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना कैसा होता है लगी हमें विजय भी देखना है कि जुलाई 2020 में कोविड-19 कारण 31 देशों में विभिन्न स्तर पर चुनाव आयुक्त अरूप चटर्जी दिए गए भारत के मामले में यह दलील दी गई है कि चुनाव डालना चुनाव आयोग के अधिकारी क्षेत्र से बाहर है यह संविधान संशोधन से ही किया जा सकता है इसके व्यापक राजनीतिक सहमति आवश्यकता होती है जो कि दुर्बल से इसे स्पष्ट लक्ष्य की पूर्ति में सावधानी क्लास इलेवन का सवाल उठता है कि आर्थिक स्थितियों में किस प्रकार प्रतिक्रिया दी जाएगी वैसे आपत्कालीन राष्ट्रीय चुनौती से निपटने के लिए समय-समय पर संविधान संशोधन का सहारा लिया गया है

©Ek villain # करुणा काल में चुनाव की कड़ी चुनौती

#worldhindiday
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