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Vandana
...... कि तू आये 'दिसंबर' की 'सर्दी' जैसी, और तेरे छूते ही कंपकंपी सी होने लगे छुआ जब सर्द हवाओं ने इस सुरमई शाम को, तो शाम भी शरमा कर सुर्ख लाल ह
Satyam Kumar
बारिश ( अनुशीर्षक में पढ़े ) एक बारिश वो है जो बेमौसम बेवजह ही बरसती रहती है। समंदर से सरोवर तक को सराबोर कर देती है। कुछ पूछो तो यूँ अकड़ कर कहती हैं की जैसे इमारतें ता
अभि "एक रहस्य"
आज भी याद है मुझे ( Read in caption below) आज भी याद है मुझे, उन ठहाकों की आवाज, खड़े के खड़े रह गए, बन गए हों जैसे ताज, ख्याल तो आ गया था तभी, कि बनाऊंगा तुम्हें मुमताज़, आज भी याद
Jai Singh
तुम जब भी हंस देती हो मेरा बसंत आ जाता है धूप मे तपा हुआ, लथपथ पसीने से वजन अपने वज़ूद का उठाए सौ काम के बोझ से चिड़चिड़ाया सैकड़ों नियमों की खीझ मे भी कहीं मिल जाती हो, हंस देती हो और मेरा बसंत आ जाता है भीगा बदन सब कपड़े भीगे जूते बटुआ भीगे भीगा मेरे रोम रोम उमस से उखड़ी साँसें, बिजबिजाते नाले और नालियां फिर मिल जाती हो हंस देती हो मेरा बसंत आ जाता है सर्द हवायें, रूह को कंपकंपी आए एक और लिहाफ हो एक और आग किटकिटाते दांतों और कांपती देह को एक आग मिले कुछ ताप मिले पर तुम मिल जाती हो हंस देती हो और मेरा बसंत आ जाता है सिर्फ ऋतु की बात नहीं हर बात पर, हर हाल मे जीवन संघर्ष के हर काल मे गिरते पड़ते लड़ते भिड़ते क्रोध मे नाराजगी मे बेबसी मे जब जहां कभी भी कहीं भी मिल जाती हो मुस्का देती हो बसंत आ ही जाता है नमस्कार लेखकों।😊 Collab करें हमारे इस #rzhindi पोस्ट पर और अपने शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति कर मौका पाएं रेस्ट ज़ोन से एक ख़ास टेस्टीमोनियल पा
Abhishek Mishra
आज भी याद है मुझे ( Read in caption below) आज भी याद है मुझे, उन ठहाकों की आवाज, खड़े के खड़े रह गए, बन गए हों जैसे ताज, ख्याल तो आ गया था तभी, कि बनाऊंगा तुम्हें मुमताज़, आज भी याद
Vandana
बारिश और तुम रिमझिम बूंदों की बरसात हो,,,तेरा खूबसूरत साथ हो,,,, हर बूंद में तेरा एहसास हो,,,छू जाता हो बदन को मेरे जैसे,,, सिहरन सी दौड़ जाती हो अंग अं