झूठ के पाँव
'झूठ के पाँव' नहीं होते, सुना बहुत, अब दिखने लगा है।
खुदगरजी के लिए खून ही, खून के हाथों बिकने लगा है।।
सच से लगने लगा भय, तो #yqdidi#rsmalwar
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Ashraf Fani【असर】
मौसम और सूरज
मौसमों के साथ आदत बदलता है सूरज
वक़्त की उंगली थाम चलता है सूरज
सर्दियों में सुबह अलसाये मन से उठता है
कि जैसे कोई घड़ी #कविता#sunrays
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Technocrat Sanam
मैं मजदूर हूँ
हाँ मैं मजदूर हूँ
सर्दी-गर्मी-बरसात हर मौसम की मार झेलता हूँ
ज़िंदगी को वक्त के ठेले में रख कर ठेलता हूँ
मैं हर डगर, हर मोड