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vishnu prabhakar singh
माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे दया नमूद कर, तार माते बुद्धि तत्व,कुल सजा माँ दुर्गे विकार रहित सती, साध्वी, आध्या भवमोचनी, भवप्रीता केवल देवी आराध्या जय मातादी जयकार ख्याति देवी अपरंपार देवी कवच,सूक्त दात्री माँ पूरंजनी मोक्ष द्वार माँ दुर्गे गुणवती माया आर्या पाटला,बलप्रदा सत्यास्वरूपी अनन्ता ब्राह्मी ही भजो सर्वदा ॐ दुर्गा देव्यै नमः। माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे
नितिन कुमार 'हरित'
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, क
Nitin Kr Harit
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, कभी हो दया, कभी युद्ध तुम । कभी निर्झरा, कात्यायनी, हर रूप में अति शुद्ध तुम ।। पूर्ण रचना Caption में पढ़ें। जय माता दी । कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, क
AK__Alfaaz..
कल, भोर भये, हृदय के आहाते मे, मन के रोशनदान से सूरज की इक नन्ही, नवजात किरण, लुढ़क आयी, हाथों की लकीरों मे अपने, रौशनी का भविष्य लिए, और.. उजाले की जीवन रेखा के संग, खुशियों की धूप लिए, कल, भोर भये, हृदय के आहाते मे, मन के रोशनदान से सूरज की इक नन्ही, नवजात किरण, लुढ़क आयी, हाथों की लकीरों मे अपने,
AK__Alfaaz..
दिव्य आभा हे दिव्य तनया, माँ लक्ष्मी सम तुम हरिप्रिया, दिव्य देवी हे दिव्य परमश्वेरी, दैवीय अनुपम अद्भुत ममत्व कृति, दिव्य सुलोचन नैना दिव्य कंठ मधुरतम् तान, मस्तक धवलित दिव्य चंद्र दीप्तिमान, दिव्य प्रकाशिनी हे दिव्य पतित पावनी, ममता मयी माँँ गंगा सम कलुष तारिणी, दिव्य मुखमंडल हे दिव्य वेद ज्ञान धारिणी, माँ महाश्वेता सम अद्वितीय कल्याण कारिणी, दिव्य आभा हे दिव्य तनया, माँ लक्ष्मी सम तुम हरिप्रिया, दिव्य देवी हे दिव्य परमश्वेरी, दैवीय अनुपम अद्भुत ममत्व कृति, दिव्य सुलोचन नै
Diwan G
कि रात हुस्न से बेपर्दा ही मिलाती है, और बरसात इश्क से रूबरू कराती है। रात और बरसात से क्यों न रिश्ता रखें, मोहब्बत रात व बरसात में रंग लाती है। ©Diwan G #बेपर्दा
Arvind udas
उसने मेरा हर राज बेपर्दा कर दिया भरे बाजार उसने इशारा क्या कर दिया वो चाहते तो निभा भी सकते थे पर भीड़ मे जताकर सब ख़सारा कर दिया.. बेपर्दा
Shaikh Imran
आख़री ग़ुस्ल पे सिर्फ़ तुम मौज़ूद रहना मुझको बेपर्दा कोई और न देखे ©Shaikh Imran #बेपर्दा