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Rajesh Arora
Marvellous vedios
Humayoun Naqsh
ज़िन्दगी जब तक है तब तक जीनी ही होगी हुवे हो अगर मोहब्बत में नाकाम मोहब्बत को जाम समझ कर पिनी ही होगी इतने भी नाजुक नहीं होती है मोहब्ब्त की कड़ियां लोगों ने मोहब्ब्त में बनवाई है अक्सर हाथों में हथकड़ियां मिली तभी मोहब्बत से मोहब्बत की लड़कियां। ज़िन्दगी जब तक है तब तक जीनी ही होगी हुवे हो अगर मोहब्बत में नाकाम मोहब्बत को जाम समझ कर पिनी ही होगी इतने भी नाजुक नहीं होती है मोहब्ब्त क
Dear diary
बचपन में छोटी छोटी ज़िद पर चोटी ही नहीं बनवाई । ऐसी लड़ाई मैंने माँ से ना जाने कितनी बार लड़ाई । लम्बी लम्बी आंहे भर के कितना सुकुड़ कर रोती थी । मुझे याद है , जब छोटी छोटी गलतियों की वो डाँट कैसी होती थी!! भरी दोपहर में चुपके से मोहल्ला नाप आती थी । गुड्डे गुड़िया की शादी कराई, घर-घर खेला और छुपके से आकर सो जाती थी । अब बड़ी हो गई हूँ और गोल रोटी बनाना भी सीख लिया । और सीख लिया, माँ से घर को समेटना , खुद की ख्वाहिशों को दबाकर घर का बजट बनाना । और सीखा मैंने आम का अचार , घर की सजावट , परिवार के रीति-रिवाज और परम्पराएँ निभाना । #MothersDay बचपन में छोटी छोटी ज़िद पर चोटी ही नहीं बनवाई । ऐसी लड़ाई मैंने माँ से ना जाने कितनी बार लड़ाई । लम्बी लम्बी आंहे भर के कितना स
Ravendra
मुख्य रास्ते पर जल भराव कैसे हो आवागमन ©Ravendra मुख्य रास्ते पर बह रहा नाली का पानी आवागमन प्रभावित मुख्य रास्ते पर नाली का गंदा पानी बहता रहता है जिससे कस्बे वासियों को ब्लॉक व अस्पताल
Zoga Bhagsariya
किसी ने कहा ,गरीबी हटाओ, किसी ने किया इरादा छिपाने को, कोई गोरा आने वाला है, बनवाई है दीवार ,विकास दिखाने को , गर लगती ये ईंटें ,इस बस्ती में, क्या पड़ती ज़रूरत ? ,छिपाने को , गर मैं बोलूं ,इसका राज खोलूं , गद्दार"ए"वतन लगूंगा "ज़माने"को , अपनी " ऐशों परस्ती में , लगा है वो गरीब , खाली करने मुल्क के "खज़ाने" को , गर होता है खड़ा कोई , वतन परस्ती में, सारा जहां आ जाता है ,साला गिराने को , कई कहते हैं के, यहां सच कौन कहता है, मुझसे बात करो , मैं आया हूं ,बताने को , ये बेवफ़ा"ए"वतन है,इसे किसी से भी मोहब्बत नहीं, बिहार में कुछ होने वाला है, देखो आया है ,लिट्टी चोखा खाने को , "जोगा " जो जाता है ,देश, का ही जाता है, बस इक झोला ही है,पास इसके कुछ गंवाने को ।। "जोगा भागसरिया " ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI KAFIR ZOGA GULAM #trumpcomingindia ,#deewar_wall ,#poority किसी ने कहा ,गरीबी हटाओ, किसी ने किया इरादा छिपाने को, कोई गोरा आने वाला है, बनवाई है दीवार ,विकास दिखाने को , गर लगती ये ईंटें ,इस बस्ती
Divya Joshi
देखो हाथ न पकड़ना…. अब पकड़ ही लिया है तो कभी न छोड़ना.. और छोड़ना हो…. तो…… तो…… याद कर लेना फेरों से पहले हथलेवा का वो पहला स्पर्श... उसमे हम दोनों के हाथों के बीच लगाई गई मेहंदी का एक दूसरे के हाथ पर चढ़ आया वो सुर्ख़ रंग…… और उसके साथ साथ तुम्हारे हाथों की कुछ लकीरें भी… जो उस गीली मेहंदी के साथ मेरे हाथ पर छप गईं थीं… गर उन यादों की छाप भी दिल से मिटा सको, गर वो लकीरें भी अपने साथ वापस ले जा सको… तो बेशक़ छोड़ना... ©Divya Joshi हमारी राजस्थानी शादियों और शायद गुजरात में भी (और भी कईं संस्कृतियों में शायद) शादी में हथलेवा की एक रस्म होती है। फेरों से पहले। जिसमे उ
JALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, वक्त कितनी जल्दी बीतता है, हैं ना।आज जब हमारी फेसबुक फ्रेंडशिप की मेमोरी का नोटिफिकेशन आया तो पुराने दिन याद आ गए।मुझे आज भी याद है जब तुमने, प्रोफाइल फोटो न लगाने की शर्त पर पहली बार मुझसे अपनी फेसबुक आईडी बनवाई थी।मैंने जब तुमसे कहा था कि लो अपना पासवर्ड डाल लो।उस वक्त तुम्हारा जबाब "इतना विश्वास है तुम पर " आज भी मुझे तुम्हारे करीब लाकर खड़ा कर देता है।अब जब उस पुरानी आईडी पर लास्ट सीन हमारी आखिरी मुलाकात वाली साल का देखता हूं तो ऐसा लगता है जैसे,वो सिर्फ एक फेसबुक आईडी नहीं बल्कि हमें जोड़ने वाली कोई डोर थी।आजकल तुम्हारी तस्वीर लगी नई आईडी जब भी एड फ्रेंड का ऑप्शन दिखाती है तो ऐसा लगता है कि ये मार्कजुकरबर्ग की कोई साजिश हैं मुझे सताने के लिए।वैसे मैं अब तुम्हारी तस्वीर को जूम करके नहीं देखता।क्युकी तुम्हारी आंखों में काजल की जगह नमीं मुझे बैचैन कर देती है।हमारी स्कूल वाली ग्रुप फोटो में जब भी तुम्हारे साथ मेरा नाम देखता हूं तो ऐसा लगता है जैसे हमारे नामों के बीच किसी ने रेडक्लिफ रेखा खींच दी हो।मैं हमारे नामों के बीच सदैव नेपाल और भारत सी सरहद चाहता था।जहां कोई रोक टोक ना हो और दोनो का अस्तित्व भी बरकरार रहे।वैसे इंसान जिसे प्रेम करता है उसे उस इंसान के बदलने का उतना अफसोस नहीं होता जितना उसे, उस इंसान के पता बदल लेने से होता है।क्युकी फिर भेजे गए माफी पत्र और जुड़ाव के आग्रह लापता हो जाते हैं।..#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड, वक्त कितनी जल्दी बीतता है, हैं ना।आज जब हमारी फेसबुक फ्रेंडशिप की मेमोरी का नोटिफिकेशन आया तो पुराने दिन याद आ गए।मुझे आज भी याद
Naresh Chandra
भारतीय इतिहास 🙏कृपया अनुशीर्षक मे जरूर पढ़े🙏 धन्यवाद ©Naresh Chandra #भारतीय_इतिहास *क्या आप ऐसी किसी महिला के बारे में जानते हैं जिसने*- *1.* हावड़ा में गंगा पर पुल बनाकर कलकत्ता शहर बसाया *2.* अंग्रेजों को न