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Dr Jayanti Pandey
"अकेलेपन का साया" (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) अकेलेपन का साया देखो सभी पर छाया कहीं प्यार में है शर्तें कहीं शर्त ही छलावा। बांधी हुई है डोरी किसी और ही नियम से
रजनीश "स्वच्छंद"
अच्छा तो नहीं।। हर बात में रुठ जाना, अच्छा तो नहीं, हाथों से हाथ छूट जाना, अच्छा तो नहीं। माना, कि है नाज़ुक बड़ी मुहब्बत ये, एक झटके में टूट जाना, अच्छा तो नहीं। बसाया था सांसों में आपको ही तो, बिन सांस घुट जाना, अच्छा तो नहीं। किया निस्सार दिल-ओ-जां अपना, यूँ सरेआम लूट जाना, अच्छा तो नहीं। था धड़कनों में आना जाना उनका, सीने पे मूंग कूट जाना, अच्छा तो नहीं। ज़ुबां पे बरबस था आता नाम उनका, हो सच का झूठ जाना, अच्छा तो नहीं। हर एक बज़्म की दास्तां थे हम दोनों, बीच महफ़िल उठ जाना, अच्छा तो नहीं। ©रजनीश "स्वछंद" अच्छा तो नहीं।। हर बात में रुठ जाना, अच्छा तो नहीं, हाथों से हाथ छूट जाना, अच्छा तो नहीं। माना, कि है नाज़ुक बड़ी मुहब्बत ये, एक झटके में टू
Gyanendra Kukku Pandey
रजनीश "स्वच्छंद"
मेरी मोहब्बत।। मुहब्बत की ना करना बात यारों, ज़िन्दगी हार कर आया हूँ। खुश हो ज़नाज़े में होना शरीक, दिल को मार कर आया हूँ।। था गुमां बहुत ही मुहब्बत पर, कुछ हमे कुछ उनको भी। तिनका तिनका बिखरा आशियाँ, घर भी उजाड़ कर आया हूँ।। चलता हूँ, रुकता हूँ, हो बदहवास, किसी ठिकाने की तलाश में। लौटना हुआ अब मुश्किल बड़ा, तिल को ताड़ कर आया हूँ।। कुछ अपने भी छूट गए पीछे कहीं, झटका था हाथ उनका कभी। कैसे लाश लिए जाऊं लौट फिर, जां उनपे वार कर आया हूँ।। किस से सच कहूं, क्या क्या कहूं, खुद ही मैं खुद में उलझा हूँ। सुहाती नहीं बस अब सूरत कोई, जो उनको ताड़ कर आया हूँ।। क्या जमीं और क्या ये आसमा, सब रूठे रूठे से लगते हैँ। खफा है अपना ख़ुदा भी मुझसे, उनपे जां निस्सार कर आया हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote मेरी मोहब्बत।। मुहब्बत की ना करना बात यारों, ज़िन्दगी हार कर आया हूँ। खुश हो ज़नाज़े में होना शरीक, दिल को मार कर आया हूँ।। था गुमां बहुत ही
Insprational Qoute
चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार, सभी बड़े छोटो को मिला बना घर परिवार।। बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार, नन्हें मुन्हें तोतली बोली से करते सुख संचार।। 🙏🙏सम्पूर्ण रचना कृपया अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏 चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार, सभी बड़े छोटो को मिला बना घर परिवार।। बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार, नन्हें मुन्हें तोत