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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है,

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है,

MG Plus

कभी रोटी, कभी सालन (Gravy), कभी नान होता हूँ , कभी कीमा, कभी स्वर्मा, कभी टांग होता हूँ मुझे बाँट के काट के, जैसे खाना है खाओ मैं मुर्गा ह #Truth #writersofinstagram #Comedy #chicken #writeraofindia #poetrybyManishGupta #MGPlus #mymgplus #birdflu

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कभी रोटी, कभी सालन (Gravy), कभी नान होता हूँ ,
कभी कीमा, कभी स्वर्मा, कभी टांग होता हूँ 
मुझे बाँट के काट के, जैसे खाना है खाओ 
मैं मुर्गा हूँ, हर महिने बदनाम होता हूँ ||

©MG Plus कभी रोटी, कभी सालन (Gravy), कभी नान होता हूँ ,
कभी कीमा, कभी स्वर्मा, कभी टांग होता हूँ 
मुझे बाँट के काट के, जैसे खाना है खाओ 
मैं मुर्गा ह

Shailendra Rajpoot

"वक्त" "चला गया जो छोड़कर, क्यों उसके पीछे पड़ते हो? अब नहीं आने वाला जो, क्यों उसकी राह देखते हो? गुज़र गया जो पल, #कविता #SandInHand

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"वक्त"

"चला गया जो छोड़कर,
क्यों उसके पीछे पड़ते हो?
अब नहीं आने वाला जो,
क्यों उसकी राह देखते हो?

गुज़र गया जो पल,
क्यों उसको सोंचते रहते हो?
जो हो गया सो हो गया,
क्यों आगे की नहीं सोचते हो?

सबको स्वकर्मफल ही मिलता
क्यों विमुख कर्म से होते हो?
है कर्म हमारा आगे बढ़ना,
क्यों पीछे फिर लौटते हो?

गया रेत सा फिसल हाँथ से,
वो वक्त नहीं अब आ सकता!
आने वाले 'वक्त' का स्वागत,
क्यों खुशी-खुशी नहीं करते हो?
            ©शैलेन्द्र राजपूत
               06.08.2020 "वक्त"

"चला गया जो छोड़कर,
क्यों उसके पीछे पड़ते हो?
अब नहीं आने वाला जो,
क्यों उसकी राह देखते हो?

गुज़र गया जो पल,

N S Yadav GoldMine

#lonely {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार क #प्रेरक

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार की गाय की चर्चा आती है जो सब मनोरथों को पूर्ण करती है, यह स्वर्ग की गाय है जिसे कामधेनु कहते है। मनुष्य संपूर्ण आयु जो वह भोगता है अर्थात आयुरूपी धेनु को दुहता है, इसी प्रकार जीवन भर कर्म करता है अर्थात सर्वकर्मा नामक गाय को दुहता है और परिणाम स्वरूप पुरुषार्थी कहलाता है। इसी प्रकार जीवन भर धारक शकित के रूप में सर्वधाया नामक गाय को दुहता रहता है, मानो अपनी धारक शकित को बढा रहा हो। अतः स्पष्ट है- जीवन भर पुर्ण लगन से प्रयत्न करोगे तभी परम लक्ष्य प्राप्त कर सकोगे अर्थात तीनों प्रकार की कामधेनुओं को भली-भांति दुह सकोगे।

©N S Yadav GoldMine #lonely {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार क

यशवंत कुमार

🌞 संघर्ष करो🌞 मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर, कभी उतर आसमान से आएगा. तेरे लिए टोकरी भर-भर के, उपहार कहीं से लाएगा. तेरे दुखते बदन पर, स्नेहिल #yqhindi #yqquotes #yqlife

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संघर्ष करो

मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर
कभी उतर आसमान से आएगा.
तेरे लिए टोकरी भर-भर के 
उपहार कहीं से लाएगा.
तेरे दुखते बदन पर 
स्नेहिल स्पर्श करेगा हौले-से;
या फिर तेरी जिम्मेवारियां,
वो अपने कंधों पर उठाएगा।
Read full poetry in Caption... 🌞 संघर्ष करो🌞

मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर,
कभी उतर आसमान से आएगा.
तेरे लिए टोकरी भर-भर के,
उपहार कहीं से लाएगा.
तेरे दुखते बदन पर,
स्नेहिल

यशवंत कुमार

संघर्ष करो मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर कभी उतर आसमान से आएगा तेरे लिए टोकरी भर-भर के उपहार कहीं से लाएगा तेरे दुखते बदन पर स्नेहिल स्प

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संघर्ष करो

मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर.             Read Full Poetry in caption
कभी उतर आसमान से आएगा 
तेरे लिए टोकरी भर-भर के 
उपहार कहीं से लाएगा 
तेरे दुखते बदन पर 
स्नेहिल स्पर्श करेगा हौले-से 
या फिर तेरी जिम्मेवारियां 
वो अपने कंधों पर उठाएगा।

करना सब तुमको ही है
आसरा किसी का करना व्यर्थ 
अपना हाथ जगन्नाथ है बंधु!
सारे विकास का पहिया अर्थ 
असहाय अकिंचन को कोई क्यों 
कभी अपना मित्र बनाएगा?
मत सोच कोई मसीहा तेरी खातिर
कभी उतर आसमान से आएगा।

भाग्य भरोसे मत बैठो तुम 
स्वकर्म से सब बदल डालो 
संघर्ष की अग्नि में चलकर
अपनी वाँछित मंजिल पा लो 
देख तेरी एक ललकार 
और भाग्य तेरा जग जाएगा 
मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर
कभी उतर आसमान से आएगा।

मत सोच हार होगी या जीत 
बस अपने कर्म का ध्यान कर
जो भी होगा अच्छा होगा 
जलता रह यह मानकर 
तेरे संघर्षों की लेखनी से ही 
इतिहास तेरा कभी भी लिखा जाएगा 
मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर
कभी उतर आसमान से आएगा ।

कबतक संघर्ष से भागोगे 
त्यजकर अपना मान और सम्मान
बिना कठिन तपस्या क्या
मिला किसी को कोई वरदान?
रक्त जलाओ, देह जलाओ 
परिश्रम फल दिलाएगा
मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर
कभी उतर आसमान से आएगा ।
........ संघर्ष करो

मत सोच कोई मसीहा तेरी ख़ातिर
कभी उतर आसमान से आएगा 
तेरे लिए टोकरी भर-भर के 
उपहार कहीं से लाएगा 
तेरे दुखते बदन पर 
स्नेहिल स्प
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