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Simran
तस्वीर तो अच्छी है तेरी लेकिन तस्वीर की तरहां गुण भी हैं तुझमे इतना मासूम चेहरा हैं तस्वीर में दो चार को तो चहरे पर परेशानी वो सोचते हैं इस चहरे से अपना धन्धा चलाते हैं ©Simran #me धन्धा
Rajesh Khanna
तस्वीर तो अच्छी है तेरी लेकिन तस्वीर की तरहां गुण भी हैं तुझमे इतना मासूम चेहरा हैं तस्वीर में दो चार को तो चहरे पर परेशानी वो सोचते हैं इस चहरे से क्या धन्धा चलाते हैं ©Rajesh Khanna #me क्या धन्धा
Rakesh Kumar Dogra
Ajeeb Dastaan Hai yeh वो रोज़ सुबह आटे के लिए फेरी लगाता है और मैं टाप फ्लोर की बालकनी से खड़ा हो कर जायज़ा लेता हूँ की किस किस के घर आटा तक नहीं है। और शायद मैं उस गरीब की पहुंच से बाहर हूं। प्रापर्टी डीलर ने मकान बेचते वक्त इस मकान की लोकेशन फायदे गिनवाते हुए एक लाख ज्यादा लिया था। जब मैने उन फायदों का ज़िक्र उस प्रापर्टी डीलर से किया और कहा उसमे इस बात का ज़िक्र तो नहीं था। तो प्रापर्टी डीलर बोला "ये बोनस है।" हरेक को परोपकार के लिए सही किरदार भी नहीं मिलता। मुझे परोपकार से बचाया उसने, जिसका धन्धा कमीशन का था.
Mak Huzaifa
तुझपर हक़ है तो क्या तू ग़ुलाम हो गया मोहब्बते हक़ से तू मेरा तमाम हो गया छोड़ ताककुसे रास्ता ए घुटन मेरे लिए ये तेरा बे असर धन्धा सुबहो शाम ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मोहरें पैसो का लालच दे दे कर । व्यापारी धन्धा खूब किए मजदूरों की मजबूरी से सुख चैन भी देखो छीन लिए फल फूल रहा व्यापार वहां नेता उसमें कूद लिए चालीस पे चार भारी हुए मिल भ्रष्टाचार खूब किए गूँगी बहरी बन गई जनता हरखूँ के बैल बना लिए सत्ता और सरकारी नौकर को खाने को खूब दिए पिज्जा बर्गर खाने वाले पानी के बदले खून पिए बढती मँहगाई से देखो रिश्तों मे ऐसी चोट लगी चार कमाते चालीस खाते अब तो बस किताब दिखी रोजगार घटा व्यापार बढा जन पे आत्याचार बढा लेकिन उस पर रोक नही यह चोट बने नासूर नही संभलो अब सत्ता धारी यह खेल और आसान नही हर घर में कल माव वादी हो क्यों करते हो मजबूर इन्हें पैसो का लालच दे देकर सब कुछ इनका लूट लिए व्यापारी धन्धा खूब किए २ २६/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मोहरें पैसो का लालच दे दे कर । व्यापारी धन्धा खूब किए मजदूरों की मजबूरी से सुख चैन भी देखो छीन लिए फल फूल रहा व्यापार वहां नेता उसमें कूद
Juhi Grover
सियासत है, शिकायत मत करो, जो हो रहा है, उसे बस होने दो, चुनाव का दौर है, वादे करने दो, शिकायत कर के समय मत गंवाओ। अपना समय आने पे ही जवाब दो, अपने मत का उचित उपयोग करो, वो तो अपना स्वार्थ ही देख रहे हैं, तुम्हारा समय है,अपना फर्ज़ निभाओ। सियासत है, अपना ही भला करेंगे, लालच देंगे, वादे भी बहुत करते रहेंगे, स्वयं की भलाई के लिए धन्धा तो करेंगे, तुम बस इनकी दुकानें बन्द करवाओ। बहुत कर ली नेताओं की गुलामी, बहुत सह ली तुमने उनकी बेईमानी, अब समय आ गया है कुछ करने का, अपनी आज़ादी का एहसास करवाओ। सियासत है, शिकायत मत करो, जो हो रहा है, उसे बस होने दो, चुनाव का दौर है, वादे करने दो, शिकायत कर के समय मत गंवाओ। सियासत है, शिकायत मत करो, जो हो रहा है, उसे बस होने दो, चुनाव का दौर है, वादे करने दो, शिकायत कर के समय मत गंवाओ। अपना समय आने पे ही जवाब
Sunsa Kerapa
कारनामे सुणले तू म्हारा यो गुगल ते - जो भी बणा छोटा मोटा बणा यो कलम से , कदे खुद ने ना जाणा - आज जाणे सारी वल्ड वाइड - भोले कि दया ते म्हारा आच्छा यो करम से , कदे शोख नही चढा था लेखक बणण का , आज शोख चढा ऐसा कि ओर कुछ ना करण का , सरीफ सु मैं बन्दा - म्हारे लिखणे का धन्धा --कदे वि ना ढाये मने किसी ते जुल्म से कारनामे सुणले ............................................... यो करम से । जादु से कलम में जो छा जा से कलमदार , मैं भी सु कलम आला समझा कै ओ मेरे यार , हाई रेट फिलींगा में चाले म्हारा काम से - अरे काम आली बात पाछे कोई ना धरम से कारनामे सुणले ............................................... यो करम से । सुनसा केरापा जाके सर्च कर गूगल ते , मिल जा से म्हारा डाटा वल्ड्र वाइड दिल ते , महारा जिसा बणणा इतना आसान ना - जे बणने का सोचे तु तो काढ़ दे भ्रम से कारनामे सुणले ................................ ................ यो करम से । #NojotoQuote कारनामे सुणले तू म्हारा यो गुगल ते - जो भी बणा छोटा मोटा बणा यो कलम से। कदे खुद ने ना जाणा - आज जाणे सारी वल्ड वाइड - भोले कि दया ते म्हारा
Juhi Grover
हैवान तो जहाँ के लोग हम बन ही चुके हैं, चल दूसरों को भी हैवानियत का शिकार बनाएँ हम, हिन्दु मुसलमान दंगे तो अभी बहुत ही कम हैं, चल दंगे फैलाने का कोई और मुद्दा आधार बनाएँ हम। हमें तो सत्ता में आने की हर राह ढूँढनी है, चल आ राजनीति में पाँव जमाने के आसार बनाएँ हम, कोई तो आमदनी का काम हम ने करना ही है न, तो चल आकर के राजनीति में ही रोज़गार बनाएँ हम। सुना है धन्धा कभी ये मन्दा नहीं होता है, चल आ कर के पाँच साल तक व्यापार करें हम, ये कारोबार तो पीढ़ी दर पीढ़ी ही चलता है, आने वाली पीढ़ियों का धनवान होना स्वीकार करें हम। ज़िन्दगी में ऐसे मौके आसानी से नहीं मिल पाते हैं, चल आ मौत बाँट खुद की ज़िन्दगी साकार करें हम, बहुत से मौके मिलते हैं यहाँ दंगे भड़काने के, चल आकर के भोली भाली जनता की सरकार बनें हम। Inspired from Soul poetry sir's latest quote हैवान तो जहाँ के लोग हम बन ही चुके हैं, चल दूसरों को भी हैवानियत का शिकार ब
Anil Siwach
Rakesh Kumar Dogra