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Kumar Rohit
इश्क़ में ऐसे उजड़े हुज़ूर, सम्भाले ना सम्भल पाए हम, यही सोच सोच कर मयख़ाने में हमेशा जाए हम, लेके जाम हाथो में उनकी यादों को भूलना चाहे हम, कमबख़्त नशा शराब का हो या इश्क़ का पुरानी हो जितनी, उतना ही नशे में झूमते जाए हम.... ©Kumar Rohit मेरी डायरी # शायरी
Kumar Rohit
""'जाती हुई खुशियां, आती हुई तन्हाइया. बिछड़ता हुवा ये सर्द मौसम, मौसम ले रही अंगड़ाइयां, घटाओ में ढूंढ सा कोहरा, डराती हुई ये ख़ामोशीया, नाराज़गी ज़िन्दगी की, कोई ख़बर नही खुशी की, कभी कभी आ जाती थी चीठी मुस्कुराहट की, मग़र अब कोई खबर नही हँसते डाकिये की, हँसते डाकिये की..... ©Kumar Rohit मेरी डायरी#शायरी
Pawan Choudhary
बहुत भाग लिए तुम कल कि आई परायी संस्कृति के पीछे, बहुत फरमा लिया तुमने इश्क, मिलते रहेंगे ये लाल पीले दुपट्टे तो, पर जरा अपने देश और देश के लिए शहीद हुए वीरों से भी दिल_ए_मोहब्बत से नमन कर देना। मेरी डायरी@@शायरी
Pawan Choudhary
मैंने ग्लास में बर्फ के दो टुकड़े क्या डाले लोग शराबी समझने लगे, मैंने तो किया था, अपने शायरना आलम को बयां लोग टूटे दिल का आशिक समझने लगे। मेरी डायरी@@शायरी
Pawan Choudhary
उसकी मुस्कुराती आंखें कुछ कह गई, उसके चलने की छनछनाहट दिल के झरोखे से गुजर गई, उससे दिल लगाने की चाहत तो बहुत थी जनाब पर कमबख्त वो फिर सामने ही नहीं आई। मेरी डायरी@@शायरी
Pawan Choudhary
हम तो पनाह थे,उसके इश्क में,पर उसने ही बेपनाह कर दिया, अपने दिल से, फिर भी करते रहे हम उसका दीदार-ए- इश्क। सोचा था लौट कर आएगी वो, पर वो तो कही और ही दीदार- ए- इश्क कर बेठी। मेरी डायरी@@शायरी
Kumar Rohit
""""हमारी चाहत चाँद छूने की, उम्मीदों की हसरतों से, हिम्मत की कमी नही मुझ में,उजालो की भी कमी नही, कमी है तो बस उनकी जो समझे मूझे.... ©kumarrohit मेरी डायरी शायरी#शायरी
Kumar Rohit
""""नशा है मोहब्बत का, जो रूह से जुड़ा है, दिल के रस्ते से होकर , जज़्बातों पर रुका है, अब कैसे क्यों करूँ इज़हारे मोहब्बत, फिक्र है दोस्ताना टूट ना जाये, वो हमसे रूठ ना जाये, बस इसी खातिर मयखानों में लेके हाथो में ग्लास ज़ाम का. बेसुध सा पड़ा है...... ©Kumar Rohit मेरी डायरी#शायरी #standAlone
Kumar Rohit
"""'ज़िंदगी से रुख़शत, मौत से मोहबब्त, अपनो से मिली ज़िल्लत, ग़ैरों से मिली इज्जत, बेरुख़ी सी हो गयी ज़िन्दगी मेरी, जो छोड़ गई हमे, बिन मेरे इजाज़त, अब तन्हा रहना सिख चुका हूं, अल्फ़ाज़ दर्दो में लिख चुका हूं, पढलो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से, जो भी थे ऑंसू स्याही में लपेट चुका हूं, टूटते टूटते इतना टूट गया मैं, खुद को कब्रो में समेट चुका हूं, पर कमबख़्त मौत भी नही आ रही, इतना रूह को तड़पा चुका हूं..... ©Kumar Rohit मेरी डायरी# शायरी #lost
Diwan G
तेरी हर याद को मन की डायरी में लिखा हूँ, तेरी हर अदा को अपनी शायरी में लिखा हूँ। ©Diwan G #डायरी #शायरी #याद #अदा