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Ashay Choudhary
कोई तिलिस्मी तलवार दे, या किसी चश्मे का करिश्माई आब दे कोई नूर बरसा, या कोई इल्मी शख्सियत से मिला.. जंग लंबी है ज़िन्दगी, ए ख़ुदा इन रूबाइयों से ये जंग जीती नहीं जाएगी... रास्ते का खयाल है, सोचा आप सभी को इस से वाक़िफ कराया जाए। वैसे है तो ये मेरी सरासर गुस्ताख़ी। मेरी ना तो उर्दू आला दर्जे की है ना हिंदी और अ
Kshatriya Kuldeep Singh
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था। ©Kshatriya Kuldeep Singh जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
vishal gupta
@archit chaudhary_007
चकाचौंध भरी दुनिया से आज जियरा चुराना चाहता हूँ कुछ पल आज मैं अपने लिए निकालना चाहता हूँ ।। #NojotoQuote खुद से खुद की रूबाइया #यादों_से_गुफ्तगू 🖐️🖐️ #pyaar #poetry #jindagi #dosti #Life #goals
Sunil itawadiya
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, रेड द कैप्शन जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फासले बढ़ जायेंगे इतन
Sangeeta Kalbhor
जब खुद से सामना हुआ.. जब खुद से सामना हुआ मुद्दतों बाद मेरा कई अनचाही यादों का लगा हुआ था ड़ेरा सोचा जान लूँ मैं करीब से अपने आपको दूर ना कर पाई क्षणभर के लिए भी अपने अंदर के ताप को बहुत मलिनता है मुझमें आज भी भरी हुई शायद इसलिए ही हूँ अंदर से ड़री हुई नकाब अच्छाई का पहने हुए रखती हूँ अंदर ही अंदर बूराइयों को चखती हूँ सिमटकर मुझमें ही मैं अलगाव करना चाहती हूँ है जो अमानुषता जरासी मुझमें पूरा मनुष्यता में बदलना चाहती हूँ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #sparsh जब खुद से सामना हुआ मुद्दतों बाद मेरा कई अनचाही यादों का लगा हुआ था ड़ेरा सोचा जान लूँ मैं करीब से अपने आपको दूर ना कर पाई क्षणभर के
रानी सोनी 'परी'
बांधे है तुमने पंख मेरे,परवाज़ रोक ना पाओगे। गूंगी बन मैं गा लुंगी,आवाज़ रोक ना पाओगे। तेरी खुशियों की खातिर,प्रेम पास में बंधी हूँ मैं। खुद
Raj Shekhar Kumar
कुबूल जो हो जाएगी वो दुआ, दुआ कहलाएगी हर दुआ में तुम हो अब देखते हैं कौन सी दुआ रंग लाएगी.. अपने खुदा से हर कोई कर रहा है यहाँ आरज़ू-ए-जहान यहाँ तो दिल अमीर है बन बैठा एक आपका करके अरमान आपको दिल ने मंजिल चुनी है अब इश्क़ ही राह दिखलाएगी ये अदा मुझमें आई है,ये अदा रंग लाएगी हर दुआ में तुम हो अब देखते है,कौन सी दुआ रंग लाएगी... मैंने अपनी रुबाइयों में आपको हूबहू उतारा है ये कलाम आपको नज्र करके इसमें आपको पुकारा है मैं इश्क़ के राह पे बैठा हूँ इश्क़ आपको भी यहाँ लाएगी ये दिल से सदा आई है,ये सदा रंग लाएगी हर दुआ में तुम हो अब देखते है,कौन सी दुआ रंग लाएगी... #yqbaba#yqdidi#duaa कुबूल जो हो जाएगी वो दुआ, दुआ कहलाएगी हर दुआ में तुम हो अब देखते हैं कौन सी दुआ रंग लाएगी.. अपने खुदा से हर कोई
khadimali lalani
#merishayri #shayrikakhajana JagMagaate Shahar Ki Ranaaiyon Mein Kya Na Tha, Dhoondne Nikla Tha Jisko Bas Wohi Chehra Na Tha, Hum Wahi, Tum
Amit Tiwari
रचना - संस्कारों की चिता अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की रुबाइयों में ... अगर फिर से मिल पाते आँख मिचौली वाले दिन हंसी ठहाकों हुर्दंगों में राते कटती तारे गिनं ... वो मिटटी की खुसबू सोंधी मन प्रफुल्लित कर जाती थी बाग़ की ठंडी हवा सारे दिन की थकान हर जाती थी कितनी अच्छी सोंधी खुसबू आती थी देगची की चाय से लोगो के तानो ठहाको और उनके बातो के अभिप्राय से .. कभी मिटटी को भी माँ का दर्जा देते थे .. सम्मान में लोग एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ में रहते थे .. आज माँ की भी परवाह नहीं , सम्मान की कोई आह नहीं बस ईर्ष्या द्वेष में जीते हैं ..नफरत की शराब पीते हैं खुद को मॉडर्न बनाने की होड़ में एक दूसरे को पीछे छोड़ने की दौड़ में खुद को ही हम भूल गए हैं संस्कारों वाली भारत भूमि में ...हम मॉडर्न हो गए हैं माना की मॉडर्न होना जरुरी है .. पर क्या मॉडर्न होने के लिए संस्कारों की चिता जलाना जरुरी है सोचियेगा जरूर..... . -. अमित #Nojoto #Nojotohindi रचना - संस्कारों की चिता अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की