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जीtendra

चाहतें आज भी हैं मुझे मेरे सो जाने की,
कमबख्त आती ही नहीं मुझे सुलाने को... #कमबख्त #सुलाने #सुलाना

Ajay Shrivastava

तेरी मुस्कान का कायल तो सारा जमाना है,
मुझे इस दुनिया में न कुछ और अपनाना है।
जिस शिद्दत से तुम मुझे चाहती हो,
उसी से मुझे अपना आशियाना सजाना है।
तेरे चेहरे को पढ़ करके, उसमें डूब जाना है,
तेरी कशिश से खिचते हुए, तुझमे समाना है।
और कुछ नही बस, मुझे तुझे अपनाना है,
तेरे हाथों में हाथ देकर, जीवनसाथी बनाना है।
तेरी बातो को अपने काव्य में पिरोना है,
तेरी हँसी को अपने काव्य की काव्या बनाना है। #काव्या

SONU SUTHAR

#dilkibaat काव्या #कविता

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घर में उछलकूद करती।
दादा-दादी का मन बहलाती।
पापा की लाडो,मम्मी की प्यारी।
सबकी राज दुलारी।
बातों में काव्या की गजब की समझदारी।
माम्मी जी की लाडली कालू।
जीवन में खुशियाँ की फुलहारी छाए।
कावया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।

©SONU SUTHAR #dilkibaat काव्या

Arjun Singh

#सुलतान की सलतनत

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vishnu thore

कोसेम सुलतान डायलॉग

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sachin mishra

मेरी बेटी.. काव्या

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एक कली खिल गयी है मेरे आँगन में 
जिसकी खुशबु छाई है मनभावन में 
अभी छोटी सी आंखे उसकी
 मेरे अनगिनत सपने है 
मेरे सपनो में भरने सब रंगों को 
 उसकी हथेली हिल गयी है 
एक कली मेरे आँगन में खिल गयी है 
उसके छोटे पग छोटे छोटे हाथ थिरकते रहते है 
मेरे वाजूद को आशीष देते रहते है 
 अब मेरी इच्छाओ के सागर अब बदल गए है 
कही बारिश बनकर बिखर गए है 
 अब सब नया सा लगता है जिंदगी तेरा दिल 
आज दिल से सुक्रिया करता है. 

            ✒️सचिन मिश्रा मेरी बेटी.. काव्या

प्रदीप

सुनसान पड़ा था घर, तुम आए तो महकने लगा।
तेरे आने की खुशियों में दिल फिर धड़कनें लगा।

"प्रदीप" #सुनसान दिल
#सुनसान घर

sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

सुरखाब

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सितम कुछ ज़्यादा नहीं हैं एक हिसाब से...
लक़ीरे ग़ायब हैं क़िस्मत की क़िताब से..।

आँसू थम जाये मुमकिन लगता नहीं हैं...
दर्द ने आँखें भर लायी हैं चिनाब से..।

और कुछ हुनर हो अगर बात आगे बढे़ ...
कब तक आप काम चलाओगे शबाब से..।

इश्क़ में तुम्हांरा क़त्ल ज़रूरी हैं क्यां... 
ऎसे ही पूछ लिया था आज गुलाब से..।

चोर, बेईमान इकट्ठे हैं महफ़िल में...
हमारी ख़ामोशी अच्छी है जवाब से..।

इजाज़त हो तो ‘ ख़ब्तुल ’, मुजरिम पेश करू...
देख, रूँह निकाल लाया हूँ सुरखाब से..।

    
                    - ख़ब्तुल
               संदीप बडवाईक सुरखाब

S.l. B.

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vaishali

अष्टाक्षरी काव्यमराठी काव्य

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होऊ अबला सबला

अष्टाक्षरी काव्य
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होऊ अबला सबला 
लेकी सावित्रीच्या आम्ही
खूप सोसला अन्याय 
नका हे विसरू तुम्ही  

लढू अन्याय विरुद्ध 
आता बनून सबला 
कमजोर नाही कोणी
नाही कोणीच अबला

कष्ट करुनी जिद्दीने
क्षेत्र सारी सर केली
चंद्रावर पोहचले
कुठे ना कमी पडली

स्वतः निघाले शोधण्या
हरवले जे अस्तित्व
दाखवण्या जगाला हे
माझे खरे व्यक्तिमत्त्व  अष्टाक्षरी काव्य#मराठी काव्य
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