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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Shailesh Maurya
जीने की इस जहाँ में दुआएं मुझे न दो, जलता हुआ मकां हूँ हवाएँ मुझे न दो। कहते अगर हो इश्क इबादत के जैसे है, फिर इश्क ही किया है सज़ाएं मुझे न दो। तोड़ा है दिल किसी ने भुलाए न भूलता, फिर याद आये ऐसी फिज़ाएं मुझे न दो। इक पल की भी जुदाइ सितम मेरे दिल पे है, हर बार दूर जा के सदाएँ मुझे न दो। होते हो तुम जो साथ तो रहती बहार है, ऐसे मेंं दूर रह के खिज़ांएं मुझे न दो। गुजरा है "शैल" इश्क़ में हर इम्तिहान से, अब जिंदगी में और बलाएँ मुझे न दो। #गजल #गज़ल #शायरी #nojotohindi
Vishal Vaid
मैं जिसको लिखता हूँ और बार बार मिटाता हूँ चलो आज तुमको मैं वो एक ग़ज़ल कहता हूँ किसी को अपनी महबूबा चाँद सी लगती होगी मैं तो आसमां के चाँद को तेरा हमशक्ल कहता हूँ मैं तेरे प्यार को ही खुदा की नेहमत नही मानता तेरी नाराज़गी को भी रब का फज़ल कहता हूँ वो अलग बात है की जुर्म ये कहीं दर्ज न हो मैं तो बेवफाई को भी इरादे ए क़त्ल कहता हूँ वो समुंदर जिसने किसी की प्यास बुझाई ही नही दुनिया जिसे सजल कहती हैं मैं उसे अजल कहता हूँ लहलहाते है खुशी और और गम के मौसम में भी इन आंसुओं को भी मैं प्यार की फसल कहता हूँ पहली बाज़ी जीतने वाले ने कुछ न सीखा इश्क़ में हार के फिर दांव लगाए जो उसको अव्वल कहता हूँ #cinemagraph फजल ----कृपा, मेहरबानी सजल ---- जल से भरा अजल ----बिना जल के #qdidi #love #bestyqhindiquotes #vishalvaid #विशालवैद #life
CalmKrishna
गज़ल जारी है..! #गज़ल #कविता #poem #शायरी #गजल
CalmKrishna
गज़ल जारी है.! #गज़ल #गजल #कविता #शायरी #शेर
CalmKrishna
गज़ल जारी है! #गज़ल #गजल #gazal #kavita #shayari
Anuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें