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Pandit Pradeep Goswami ji

स्वस्तिवाचन #जानकारी

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Kulbhushan Arora

Dedicating a #testimonial to स्वस्ति स्पंदन की अनुभूति, अनुभूति का स्पंदन, पवित्र नाम है तेरा, तेरा है पवित्र मन, रेशम सा स्नेह तेरा, विचार #yqhindi #yqquotes #yqtestimonial #yqकुलभूषणदीप

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पवित्र बंधन है 😍😍 Dedicating a #testimonial to स्वस्ति 
स्पंदन की अनुभूति,
अनुभूति का स्पंदन,
पवित्र नाम है तेरा,
तेरा है पवित्र मन,
रेशम सा स्नेह तेरा,
विचार

Kulbhushan Arora

प्रिय स्वस्ति भावनाएं सूक्ष्म तरंगें होती हैं, जिस समय पहली बार मैंने *स्वस्ति*नाम पढ़ा ,मेरे मन में स्वस्तिवाचन स्वत: प्रारंभ हो गया, और #yqquotes #yqinspiration #yqletter #yqपवित्रप्रेम

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मेरा इस श्रंखला का
अंतिम पत्र
मेरी प्यारी बिटिया
*पवित्रा* के नाम
 प्रिय स्वस्ति  
भावनाएं सूक्ष्म तरंगें होती हैं, जिस समय पहली बार मैंने *स्वस्ति*नाम पढ़ा ,मेरे मन में स्वस्तिवाचन स्वत: प्रारंभ हो गया, और

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष श्रावण महा की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह पर्व 22

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शुभ रक्षाबंधन

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष श्रावण महा की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह पर्व 22

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 72 - मिलन आज दाऊ का जन्मनक्षत्र है। यह जन्मनक्षत्र कोई अच्छी बात नहीं। न दो - चार बरस पर आता, ने दो-चार महीने पर, प्रत्येक #Books

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|| श्री हरि: ||
72 - मिलन

आज दाऊ का जन्मनक्षत्र है। यह जन्मनक्षत्र कोई अच्छी बात नहीं। न दो - चार बरस पर आता, ने दो-चार महीने पर, प्रत्येक

N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दैत्यों (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र हार के भय से दु:खी होकर  देवगुरु बृहस्पति के पास विमर्श हेतु गए। गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत  करके रक्षासूत्र तैयार किए और  स्वास्तिवाचन के साथ ब्राह्मण की उपस्थिति में  इंद्राणी ने वह सूत्र  इंद्र की  दाहिनी कलाई में बांधा  जिसके फलस्वरुप इन्द्र सहित समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।

रक्षा विधान के समय निम्न लिखित मंत्रोच्चार किया गया था जिसका आज भी विधिवत पालन किया जाता है:

"येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

दानवेन्द्रो मा चल मा चल।।"

इस मंत्र का भावार्थ है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूँ। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

यह रक्षा विधान श्रवण मास की पूर्णिमा को प्रातः काल संपन्न किया गया  यथा  रक्षा-बंधन अस्तित्व में आया  और  श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने लगा।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी
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