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JALAJ KUMAR RATHOUR
पार्ट -11 तीन बज चुके थे। और हम लोग मूवी हॉल के अंदर थे। कुछ व्यवसायिक विज्ञापनों के बाद शुरू हुई चेतन भगत के बहुचर्चित उपन्यास "हॉफ गर्ल फ्रेंड " पर आधारित फिल्म मुख्य नायिका की भूमिका में हमारे बचपन के विलेन शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा ने देहली की हाई सोसायटी की लड़की रिया सोमानी का किरदार निभाया था ।और एक तरफ स्पोर्टस् कोटा से भर्ती हुए अंग्रेजी की ऐसी की तैसी करने वाले बिहार के बबुआ माधव झा का किरदार निभा रहे थे अपने पानीपत वाली अर्जुन कपूर, बरसात से शुरू हुई इस फिल्म ने इंटरवल तक हमे रूला दिया था । अवनी बार बार पूछ रही थी "का स्वप्निल बबुआ कछु बुझात की नही " मैं अचंभित था की अवनी भोजपुरी बोल रही थी। वरना" बी एच यू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग" के प्रांगण में हम आज तक नही सुने अवनी के मुँह से भोजपुरी, मानते हैं की पूर्वांचल पर भोजपुरी भाषा का प्रभाव है। परंतु अवनी जैसी साउथ देहली की लड़की से इतनी लयमय भोजपुरी , तभी अवनी ने बताया उसकी माँ बिहार के बक्सर जिला से हैं। रिया सोमानी माधव झा को अपनी शादी का कार्ड देने आयी थी। इंडिया गेट पर फिल्माया गया ये दृश्य वास्तव मे देखने लायक है। रिया सोमानी की आँखो से आँसू निकल रहे थे । और इसी के समांतर अवनी की भी आँखे नम हो रही थी , तभी मुझे अपनी अंगुलियों पर किसी का स्पर्श प्राप्त हुआ। अवनी ने मेरी हथेली को अपनी नर्म हथेली से जकड़ लिया था । पर उसका ध्यान सिर्फ फिल्म के उस सींन पर था जब रिया माधव से दोबारा पटना में क्लोजअप के ऑफिस मे मिलती है। अवनी ने मेरे सिर पर अपना कंधा रख लिया। राशि इस पूरे दृश्य को अपनी निगाहों को तिरछा कर देख रही थी। मैं जानता था। कि मुझे अवनी से प्रेम था, प्रेम जिसे मैं अपनी वाणी के शब्दों से भी बयाँ ना कर सकता था। पर मेरी हर कोशिश समक्ष हरिद्वार मे माँ गंगा किनारे अवनी का वो वादा " स्वप्निल एक वादा करो मुझसे क्या तुम मेरे दोस्त की तरह यूँ ही मेरे हर सुख दुख मे मेरा साथ दोगे" प्रतिरोध था। अवनी के आँसुं उस समय हमारी हथेलियों के बीच गिरे जब माधव ने रिया को वापस एक रेस्ट्रो में "स्टिल अ लिटिल लोंगर विथ मी " गाते सुना, फिल्म समाप्त हो चुकी थी पर अवनी के आज के इस व्यवहार ने मेरे समक्ष उन प्रश्नो को फिर से नये सिरे से उत्पन्न कर दिया था। जो मैंने हरिद्वार में उस वादे के वाद विसर्जित किये थे।ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो प्रश्न जो मैने हरिद्वार में माँ गंगा के चरणो मे विसर्जित किये थे। वो गंगा के मैदानी क्षेत्रों से अनुभव लेकर आज फिर इस काशी की गंगा से निकल कर मेरे समक्ष खड़े होकर मुझे प्रश्न वाचक नजरों से देख रहे हों। ........ #जलज कुमार तीन बज चुके थे। और हम लोग मूवी हॉल के अंदर थे। कुछ व्यवसायिक विज्ञापनों के बाद शुरू हुई चेतन भगत के बहुचर्चित उपन्यास "हॉफ गर्ल फ्रेंड " पर
jagruti vagh
एक नई दुनिया (read in caption) रात केे 11 बजे थे और मैं तमिल भाषा की हिंदी भाषा में रुपांतरीत फिल्म 'टिक टिक टिक' देख रही थी,जो भारत की पहली अंतरिक्ष विज्ञान पर आधारित फि
Horror and Suspense Freaks
Rajkumar
Mukesh Bhogra Jalore
सफलता मिलती है, एक अच्छे अनुभव से और एक अच्छा अनुभव, एक खराब वक्त से बेहतर कोई नहीं दे सकता!! ©Mukesh Bhogra Jalore फिल्म