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देवल कुमार
तुम्हारे रंग के छींटे मेरा मौसम बदल रहें हैं.. लचीली डालियों पर मोगरे के फूल खिल रहे हैं... #Flower #Mogra
Yash Gupta
बर्बाद हुआ घोसला एक पेड़ की डालियों पर तिनका तिनका जमा कर चहकती चिड़िया ने बनाया घोसला अमरूद के पेड़ पर रहने का किया फैसला उसनें दिया अपने बच्चों को जन्म उसी आशियाने में प्रत्येक दिन कुछ ना कुछ खाने का अंश लाती अपनी चोंच से बच्चों को खिलाती आकाश में उड़ने का प्रयास बच्चों से करवाती हर रोज रोजाना करवाती तेज़ बारिश का ऐसा प्रकोप टूटा तिनको से बना घर पानी मे बह चला छोटी चिड़या सारी घटना देखती रही पर घोसले को कैसे बचाए पता ना चला फिर माँ ने समझाया हमारा कोई स्थिर स्थान नहीं उड़ते हुए रहना हैं नए नए घोसले बनाने हैं कल मैंने बनाया था आज तुम्हें बनाने हैं........!! ©Yash Gupta बर्बाद हुआ घोसला बर्बाद हुआ घोसला एक पेड़ की डालियों पर तिनका तिनका जमा कर चहकती चिड़िया ने बनाया घोसला अमरूद के पेड़ पर रहने का किया फैसला
Dr Upama Singh
“गांँव की बूढ़ी पगडंडी” अनुशीर्षक में रखता गांँव बच्चों को अपने बना राजकुमार राजकुमारी हमारा भी कर्तव्य बना रखें उन्हें राजा और रानी लेकिन वो कर नहीं पाते बच्चे छोड़ उन्हें दूर आ
संDEeP
Geetika Chalal
एक ज़मीं मेरी भी है जहाँ पेड़ का बचपन बोया गया। बढ़ती उम्र के साथ, जवानी ने घनी पत्तियों का रूप ले लिया। फल हर कर्म के लदे रहे उन डालियों पर, कुछ स्वाद में मीठे तो कुछ ने सड़न का रूप ले लिया। जड़ें मिट्टी के अंदर फैल कर रिश्ते जोड़ने लगी। पानी, धूप और हर मौसम के साथ ढ़लने लगी। कभी सुकून भरी छांव का किरदार निभाती। कभी फल दे कर, राही की भूख मिटाती । कभी शरारती बच्चों को झुलाती। तो कभी पंछियों का घर बन जाती। बुढ़ापे के इंतज़ार में उस ज़मीं में, ख़ुद को ऐसे जमा देती। जैसे जीवन और मरण, शून्य से अनंत, सब में मिल चुकी हो। वहीं जन्म, वहीं पूरी कथा। वहीं मृत्यु, वहीं सारी व्यथा।। पालना भी वहीं है, कब्र भी वहीं है। शहरीकरण के कड़वे अतीत में, निर्दोष पेड़ों की आवाज कहे- "छोड़ दो एक कोना, एक ज़मीं मेरी भी है।" (गीतिका चलाल) ©Geetika Chalal एक ज़मीं मेरी भी है by- गीतिका चलाल Geetika Chalal एक ज़मीं मेरी भी है जहाँ पेड़ का बचपन बोया गया।
कवि राहुल पाल 🔵
हाइकु (आधुनिक काव्य विधा ) ( 5-7-5 वर्ण ) शुष्क अधर 1- मन की प्यास आज चरम पर वो अनजानी 2- जीवन भर जानी फिर न मानी कल के फूल 3- बेरोजगारी में वो बने है धूल जीवन मेल 4- फिर बन सुमेल क़लमकार उलझी बेल राहुल पाल जन्म मरण 5- जीवन पथ के है के ये चरण डर किस में 6- सबको ही जाना है जब नाव में बुनिये कुछ 7- गुन गुनाये जब फिर लिखिए #HAIKU #हाइकु निवेदन -व्याख्या अवश्य पढ़ें १~शुष्क अधर मन की प्यास आज चरम पर " अर्थात गर्मी अपने चरम सीमा पर है जिससे सभी जीवधा
अशेष_शून्य
प्रतिक्षा के बिना प्रेम अपना सौंदर्य खो देता है और पवित्रता के बिना स्पर्श कहीं अपना मूल्य।। ~© Anjali Rai — % & मैं पढ़ सकती हूं तुम्हें तब भी जब इस संसार के सारे शब्द शून्य हो जाएं मैं तुम्हें तब भी सुन सकती हूं जब धरातल की सारी ध्वनियां आकाश हो
Abhay Bhadouriya
नदी और प्रेम (अनुशीर्षक में पढ़ें) "ये नदी के किनारे कौन बैठा हुआ है..? " लकड़हारे ने मल्हार से पूछा ' पता नहीं शायद कोई पागल है..! ' कई दिनों से देख रहा हूं.. ना कुछ ब
Anil Siwach
Shree
"आम कैसे किलो?" --- पापा को मेरी चिट्ठी: ___ मेरे पापा, कभी नहीं लिखी कोई चिट्ठी आपको, पर आप से ही पत्र लिखना सीखा। वो अलग बात है कि स्कूल