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Suchita Pandey
तुम दूर हो मगर हरपल तुम्हारे होने का एहसास दिलाता है, मीठे लम्हों की तरह। तुम्हारे यादों की सरहदें पाकर ठहरी हुई खलायें, जिन्दा है नस नस में सनसनी की तरह। तुम्हारा नाम है या कोई चीज़ मेरे होठों पर, महक गई मेरी खोई हुई रूह ज़िन्दगी की तरह। तुम दूर हो मगर... #दूरहोमगर #collab #yqdidi #suchitapandey #सुचितापाण्डेय #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi तुम दूर हो मग
Rahul Saraswat
सनसनी यहाँ भी है सनसनी, वहाँ भी है सनसनी हवा मिले बातों को बन जाती है सनसनी बात जो न कही गयी, बात जो न सुनी गयी अनकही सी बातों की , अनसुनी सी सनसनी #सनसनी #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan
Cricket For you
words_of_heart_pa
बात सच की धरी की धरी रह गई और अख़बार में में सनसनी रह गई हम को सब कुछ दिया ज़िंदगी ने मगर पर जो तेरी कमी थी कमी रह गई अब के तो राम आ कर चले भी गए अहलिया तो खड़ी की खड़ी रह गई मुझ से आया भी मिलने वो आया कि जब जिस्म में साँस जब आख़िरी रह गई ©words of heart बात सच की धरी की धरी रह गई और अख़बार में में सनसनी रह गई हम को सब कुछ दिया ज़िंदगी ने मगर पर जो तेरी कमी थी कमी रह गई अब के तो राम आ कर चल
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"