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The blankdotts
निगाहें उड़ने की आरजू में हवा से लिपट गया, पत्ता वो अपनी साख के रिश्तों से कट गया। #vps ©The blankdotts उड़ने की आरजू में हवा से लिपट गया, पत्ता वो अपनी साख के रिश्तों से कट गया। #vps #WForWriters
Mr.HARINARAYAN GURJAR
गांव हमारा शहर से जाकर लिपट गया, हर आदमी कई हिस्सों में बट गया,, कहते हैं लोग पक्की सड़क बन गई मगर,,, जो साया दे रहा था वही पेड़ कट गया। Mr.Harinarayan Gurjar ©Mr.HARINARAYAN GURJAR गांव हमारा शहर से जाकर लिपट गया, हर आदमी कई हिस्सों में बट गया,, कहते हैं लोग पक्की सड़क बन गई म
Mr.HARINARAYAN GURJAR
गांव हमारा शहर से जाकर लिपट गया, हर आदमी कई हिस्सों में बट गया,, कहते हैं लोग पक्की सड़क बन गई मगर,,, जो छाया दे रहा था वही पेड़ कट गया। Mr.Harinarayan Gurjar #poetry #shayar# ©Mr.HARINARAYAN GURJAR गांव हमारा शहर से जाकर लिपट गया, हर आदमी कई हिस्सों में बट गया,, कहते हैं लोग पक्की सड़क बन गई मगर,,, जो साया दे रहा था वही पेड़ कट गय Hari
Keshav Kamal
कोई कराहता रहा मोहब्बत में दर्द से, कोई पास से ही गुजर गया ! कोई टूटा अंदर ही अंदर हजार टुकड़ो में और कोई खुशी खुशी जोड़े में लिपट गया ! ©Keshav Kamal #fake_love कोई कराहता रहा मोहब्बत में दर्द से, कोई पास से ही गुजर गया ! कोई टूटा अंदर ही अंदर हजार टुकड़ो में और कोई खुशी खुशी जोड़े में ल
Mohammad Arif (WordsOfArif)
लो जी हमने फिर प्यार कर लिया उनकी बातों पर एतबार कर लिया बहुत अज़ीज़ था मुझसे लिपट गया देखो फिर हमने इकरार कर लिया अभी गले से मेरे हटा ही था वो की फिर अपने दिल पर वार कर लिया फूल के बिना भंवरा कहां जायेगा बागों से फिर वो इजहार कर लिया जुगनूओं का पहरा है यहां चारों तरफ सहराओ ने फिर से इनकार कर लिया तलब था बचपन से उनका आरिफ मैंने फिर गैरों से इतना प्यार कर लिया ©Mohammad Arif (WordsOfArif) लो जी हमने फिर प्यार कर लिया उनकी बातों पर एतबार कर लिया बहुत अज़ीज़ था मुझसे लिपट गया देखो फिर हमने इकरार कर लिया अभी गले से मेरे हटा ही
Vandana
तेरे इश्क की तिश्नगी रहे बाकी तेरी तड़प मेरी जुस्तजू रहे बाकी रहे वफा में तू हमेशा दिल में यह आरजू रहे बाकी तेरा ख्याल एक हवा का झोंका आकर छू गया मुझे भिगो गया तेरी मोहब्बत की बारिश से मुझे,,,,, तन से लिपट गया आंचल मेरा तेरा नाम जो होठों में गुनगु
Tushar Jangid
बस उड़ते पंछी का हाल पूछा था मैं मौन दीवारों में कैद वैश्या, बस इक उड़ते पंछी का हाल पूछा था उसकी मधुर ध्वनि संग गाते चहचहाते, इक 'खुला आसमां' का ख्वाब देखा था परछाई से
kunwar Surendra
प्रेम को लिख रहा हु जिस्म का खून बर्फ सा जम गया है दिमाग के पर्दे पर कई फूल पत्तियों के साथ विचार समूह में नृत्य कर रहे है अकल्पित हो कल्पित मन किसी नई ऋतु की संरचना में व्यस्त है इच्छाओं को कहने गया तो प्रेम भागने लगा मुझसे और मुझसे आकर बाजार लिपट गया प्रेम का बाज़ार और मेरी जेब मे छेद कर मुझे लूट गया..... मेरा बटुआ पैसा निकाल फेक दिया बाजार में अब मैं नंगा खड़ा हूँ मेरा बटुआ चीख़ रहा है साथ में मैं भी चीख रहा हु हाँ मैं प्रेम लिख रहा हु मैं प्रेम लिख रहा हु Kunwarsurendra प्रेम को लिख रहा हु जिस्म का खून बर्फ सा जम गया है दिमाग के पर्दे पर कई फूल पत्तियों के साथ विचार समूह में नृत्य कर रहे है अकल्पित हो कल्पित
दि कु पां
"ना ढंको मैरे चेहरे को तुम कफ़न से अभी कि धड़कने मद्धिम ज़रूर हुई हैं, पर अभी वो थमी तो नहीं.." "रुसवाई" रुसवाई नहीं हमने वफ़ा की है, छोड़ के हाथ तेरा खुदको सज़ा दी है! उम्र भर इंतज़ार रहा उस हमनफ़स का, तेरे संग हमने
Manshi Kashyap
तेरा - मेरा मिलना शायद ये किस्मत में लिखा था मैं तुम्हे देख तो नहीं पाया लेकिन मेहसूस कुछ तो हुआ था मैं खुद को खो कर ख़ुद से मुसाफ़िर बना था मेरे रूह से तेरा मिलना जो हुआ था ..... तुम्हारे बदन से अा रहा वो इत्र की खुशबू मुझे मेरे मंजिल से भटकाया था ....... दिल ने चाहा मदहोश होकर तुम्हें मैं आगोश में भर लूं बढ़ा भी एक कदम तेरे पीछे पर कुछ सोच कर दो कदम मैं लौट आया था ....... बचपन से मेरी आदत , रंगों से खेलने का था काल्पनिक ही सही तुम्हारी तस्वीर मैंने जो बनाया था पूछो न मुझसे कोई सवाल ए जमाना हां उसकी तस्वीर बनाकर मैं सुकून से मुस्कुराया था .... लिपट गया मैं उस तस्वीर से अंधेरों में जाकर गड़जते - कड़कते घने बादल ने मुझे डराया था सोचा कुछ देर उससे बातें ही कर लूं मैं लेकिन बारिश के बूंदे मुझे ख़्वाब से जगाने आया था..... _________________________________________________ तेरा - मेरा मिलना शायद ये किस्मत में लिखा था मैं तुम्हे देख तो नहीं पाया लेकिन मेहसूस कुछ