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Rajni Vijay singla
बालिका का स्वागत, बालिका की मुस्कान, बालिका के अरमान, बालिका की महक चहक बालिका की शिक्षा दीक्षा, बालिका का संरक्षण, बालिका को पौष्टिक भोजन, बालिका की मां को इज्जत सम्मान , बालिका के जन्म पर ढोल. नगाड़े. लोहड़ी लोरी. उत्सव. जश्न ,.... बालिका केवल कंचक नहीं है ... राष्ट्र धरोहर है,. राष्ट्र की मल्लिका है, इस राष्ट्र का सम्मान है, समस्या नहीं समाधान है, राष्ट्र निर्माण की नींव है, जिस राष्ट्र में बालिका का होगा सम्मान, उस राष्ट्र का गौरव, मान, शान,,,बरकत,,,शोहरत,, निर्माण, विकास, गरिमा, शौर्य हमेशा हमेशा बना रहेगा, ,,,, जय जय होगी... ©Rajni Vijay singla # बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बालिका कल की पालिका
Navin
शीर्षक - एक शिक्षित नारी। ( विधवा )।। कहानी।। एक गांव में मध्यम वर्गीय परिवार रहता था। उसमें कुल पांच सदस्य थे। माता पिता ओर तीन बच्चे थे। जिनमें दो लडकियां ओर एक लड़का था। लड़का MBA कर रहा था। और लडकिया भी ग्रेजुएट कि हुई थी। बच्चे जवान हो गये थे। बड़ी लडकी के लिए रिश्ते आने चालु हो गये थे। कुछ रिश्तो को टालने के बाद लड़की को एक लड़का पसंद आया। लड़के का परिवार भी मध्यम वर्गी ही था। ज्यादा धन दौलत कि लालच न थी इसलिए दहेज की भी मांग न थी। लडकी का ससुर समाज का मुखिया था। उन्हे बस अपने घर के लिए एक बहु चाहिए थी। सबको यह रिश्ता बहुत पसंद आया। कुछ दिनों बाद लड़की कि शादी हो गई। लड़का लडकी दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी से बहुत खुश थे। लडके के पिता का समाज मे मान सम्मान था। गाँव के हर फेसले में सही-गलत का सुझाव वही देते थे। साथ ही अनुभवी भी थे। परन्तु एक और वह कुप प्रथाओ के रक्षक भी थे। उनका मानना था, कि विद्यवा होना एक श्राप है। और विद्यवा औरत को घर की चार दिवारी में बंद ही रहना चाहिए। पराये मर्द के सामने देखना भी गलत है। वे नारी जात को बच्चे पैदा करने कि मशिन समझते थे। समाज में हर बार पुरूषो को ही प्रोत्साहीत क रते रहते थे। औरतो को सिर्फ घर के काम काज करना ही उचित समझते थे। कुछ सालों बाद मुखिया के बेटे कि कार एक्सिड़ेन्ट में मौत हो गई। उसकी बहु कम उम्र में ही विद्यवा हो गई थी। उसकी कोई संतान नही थी। वह पढ़ी लिखी होने के कारण अपने पति के काम काज को धिरे धिरे करने लगी थी। वह श्वेत वस्त्रो में भी शहर आना जाना करती रहती थी। कुछ दिनों बाद समाज में यह मुद्दा उठा कि मुखिया जी के घर की बहु विद्यवा होते हुए भी बाहर घूमती है। उसमें संस्कार नाम कि चिज नही है । मुखिया जी ने अपनी बहु को गाँव के रिती रिवाजों के साथ चलने को पाबन्द करते रहे। परन्तु बहु शिक्षित युवा थी। वह अपने पति के काम को खुद चलाती रही। उसने समाज के आडम्बर धारी समस्त लोगों को यह संदेश दिया कि विद्यवा होना कोई श्राप नही अपितु यह तो नारी का दुसरा स्वरूप है। आप जिस स्त्री को चार दिवारी मे कैद करना चाहते हो। वह समाज का गौरव है, और जो समाज नारी को विद्यवा कहकर तिरस्कृत करता है। उसका कभी उत्थान हो ही नहीं सकता। विद्यवा बहु कि इस सोच ने समाज की ओर भी विघवा औरतो का हौसला बढ़ाया। वह सब ने मिलकर समाज कि कु-प्रथाओं को बन्द करने का बेडा उठाया ओर संगठीत नारी, सशक्त नारी का पैगाम दिया। विशेष- औरतो को अपने हक खातिर समाज मे आवाज उठानी चाहिए। नाम- नटवर चरपोटा। जिला - बॉसवाड़ा । राज़ ।। ©Navin विधवा पुनर्विवाह पर एक कहानी। #freebird
Navin
विधवा पुनर्विवाह पर आधारित।। कविता।। शीर्षक - मुझे भी जीना है। क्यों झेलू मै तुच्छ सामाजिक आडंबर। मुझे इस सामाजिक बंधन में नहीं रहना है। मुझे भी जीना है। क्यों विधवा कहकर मुझे तिरस्कृत किया जाता है। मै तो सशक्त नारी हूं क्यों बोझ समझलिया जाता है।। मुझे भी जीना है। नहीं थी कोई गलती मेरी, वैवाहिक बंधन में। क्यों छोड़ा साथ पिया ने, रख सामाजिक दलदल में।। मुझे भी जीना है। क्यू घूरती रहती है कुछ हैवानी अखियां। क्यों घर छिपी रहूं मैं, मुझे इस अंधकार में नहीं रहना।। मुझे भी जीना है। कोन है रक्षक? कितनो के उपकार मानू मै। कोन है भला बुरा किन-किन को पहचानूं मै।। मुझे भी जीना है। पिता ने दी विदाई, पति ने अपनाया था। पीहर था जान से प्यारा, ये ससुराल पराया था।। मुझे भी जीना है। कुछ धुंधले सपनों कि सांसे, पति संग श्मशान चली। श्वेत वस्त्र ही धारण किए, क्यों विधवा बोले गली-गली।। मुझे भी जीना है। अपने कुछ अधूरे सपनों को, मुझे भी पूरा करना है। "मुझे भी जीना है" "मुझे भी जीना है।" "मुझे भी जीना है।।" नाम - नटवर चरपोटा। जिला - बांसवाड़ा। राज़।। ©Navin विधवा पुनर्विवाह एक श्राप.. #feather
के_मीनू_तोष
पुनर्विवाह आज उसके पुनर्विवाह की घड़ी क्या आयी वो विधवा जोरों से रोने लगी । उसके लिए नये पिता लायेंगे यह सुन मुन्नी लिपटकर पैरों से दादा के अपने सिसक सिसककर छटपटाने लगी । चली जायेगी अब घर की अन्तिम खुशी भी देख यह वो बुजुर्ग घर की दिल थामे अपनी सुध-बुध गँवा बैठी । देख नजारा ऐसा ताकता रह गया मोहल्ला सारा दशा उस शहीद के घर के लोगों की । कुछ ना कहा किसी ने और द्वार से आयी बारात खाली हाथ खुशी खुशी अपने घर को लौटने लगी । ©के मीनू तोष (१५ अगस्त २०१८) #gif पुनर्विवाह Nojoto Nojoto Hindi Hindinama Panchdoot Kalakaksh
Sanvi Sharma
ladkiyon ki zindagi se khelne walo tu ladka hai tho kuch bhi Karo tu ladka hai tho kuch bhi Karo par Masoom bachiyon ki Jaan na lo par Masoom bachiyon ki Jaan na lo teri bhi ye beti hain teri bhi ye Behan hain mardangi woh nahi jo balaat kare mardangi tho woh hain jo har ladki main maa ko dekho teri bhi ek maa hain tere liye bhi ek Behan hain sab main dekho maa ko na karo ye maha paap maaf kare tujhe ye insaan par maaf na kare tujhe ye Bhagwan 😢 बालिका बालिका बालिका बचाओ पेड़ों को बचाने से पहले बालिका बचाओ
Vedantika
देखो माँ मैं अपने से 15 साल छोटी उम्र की लड़की से दुबारा शादी करने के बारे मे सोच भी नहीं सकता। क्यों उसमें तुमको क्या दिक्कत हो गई। लड़की सुंदर है, सुशील हैं और जवान भी। वो तुम्हारी हर जरूरत का ध्यान रखेगी। माँ पचास साल की उम्र में एक परिपक्व सोच वाली औरत से पुर्नविवाह करने में मुझे कोई दिक्कत नहीं क्योंकि इंसान कभी अकेला नहीं रह सकता लेकिन उसे केवल अपनी शरीरिक जरूरत को पूरा करने का सामान समझने का गुनाह मुझसे नहीं होगा। ये दूसरा मौका, यह पुनर्विवाह एक भावनात्मक जुड़ाव होगा। कोरा काग़ज़ #HappyBirthdayYQ #HBDYQ #HBDYQ2 #पुनर्विवाह #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त
Manorama
अपने मां पापा अपने घर के सारे फैमिली से दूर माइका से जाते वक्त एक बेटी पर क्या बीतती है, जो तो सिर्फ वही जानती है।। ©Manorama #मायिका