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Parasram Arora
आज का अख़बार भी वही पुरानी खबरें लाया है चोरी डकैती बाद और सूखे से बेहाल है आदमी जबकि अंधविश्वासो की कुटिलता का बिछा हुआ पूरा जाल सब जगह... नजर आता है कागज़ पर नए कुवे खुद जाते पर पानी न जाने कौन पी जाता है खेतो की सिंचाई किसान अपने पसीनो से करते करते अध मरा हो जाता है रिश्वत की काली कमाई से कोई अपनी देह की मांसलता क़ो बड़ा लेता है देहरी पर रोज़ खड़ी होती है द्रोपदी.... और दुशासन सरे आम उसकी असमत लूट जाता है. l ©Parasram Arora असजद की ताज़ा खबर
तृप्ति
एक हद तक सिखा रखा है मैने ख़ुद को हौंसला रखना अब हर हद ही गुजर जाए तो भला क्या करें... जमीं भी सहती है माना सूरज की गर्मी बारिश न आये और वो फट जाए तो भला क्या करें... उम्र भर हुई है यूँ तो आजमाइशें अपनी कोई इम्तिहान अगर बिगड़ जाए तो भला क्या करें... अपनी कोशिशों में हमने कोई कमी न रखी अब फ़िर भी हार जाए तो भला क्या करें... हर बात में है तेरी ही रज़ा ए ऊपर वाले... ये ही कहे और तो हम भला क्या करें... ©तृप्ति #रज़ा
Amit Singhal "Aseemit"
कभी कभी हमको मिलती है उस क़सूर की सज़ा, जो हमने कभी किया न हो, न रही हो हमारी रज़ा। बेवफ़ा ने दिल हमारा तोड़ा, हमने शिकायत नहीं की, फिर भी उसने हमें क़सूरवार मानकर सज़ा हमें ही दी। ©Amit Singhal "Aseemit" #रज़ा
Babli Gurjar
मत पूछ जमाने से जालिम जमाने की रज़ा क्या है चाहत ही सबब हो जिंदगी का तो चाहत की खता क्या है सखी मन की मत सुन कोरी कच्ची बातें मन ही देता दगा है श्रृद्धा सी मुहब्बत दुनिया में आफताब पूणेवाला का गुनाह है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar रज़ा
Farman Mehdi
बिछड़ जाऊ तो फिर , रिश्ता तेरी यादों से जोड़ूँगा। मुझे ज़िद है , मैं जीने का कोई मौका न छोड़ूँगा। मोहब्बत में तलब कैसी , वफ़ादारी की शर्ते क्या। वो मेरा हो न हो , मैं तो उसी का हो के छोड़ूँगा। ताल्लुक़ टूट जाने पर , जो मुश्किल में तुझे डाले। मैं अपनी आँख में , ऐसा कोई आंसू ना छोड़ूँगा। वसीम बरेलवी
Thoughts and Entertainment
यह अलग बात है दिखाई ना दे मगर शामिल जरूर होता है, खुदकुशी करने वाले का भी कोई कातिल जरूर होता है ।।। #वसीम बरेलवी
राजेन्द्र प्र०पासवान
तेरी तस्वीर को उस निग़ाहों से देखना मेरी ख़ता है अब तू डँस ले या बदन से लिपट जा तेरी रज़ा है । (ख़ता =भूल, रजा=इच्छा ) रज़ा #क़लम_ए_ख़ास