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SHIVAM SINGH TOMAR
जिस ब्यूटी पार्लर पर हजारों ख़र्च करती है नारी कोई उन हजारों को कमाने के लिए कोई दिन रात जागता है नहीं देखता अपने तन की फटी दरारों को तुम्हें सजाने की ख़ातिर हज़ारों मील भागता है । ©SHIVAM TOMAR Priya Gour Thakur Vivek Singh Tomar Gulshan Kumar रोशन पटेल सा डांगी rasmi
Ravendra
भरत सिंह
मैं जब भी किताब लिखूंगा तो एक बात जरूर लिखूंगा की *प्रेम* अपनी *पराकाष्ठा* पर तब तक रहता है जब तक इजहार न हो, हम जितने वेग से एक-दूसरे के नजदीक आते हैं उतने वेग से दूर नहीं जा सकते, हमें मानसिक रूप से दूर जाने में जमाना लग सकता है हम सहमति के साथ खूबसूरत मोड़ पर रिश्ता खत्म नहीं कर सकते हैं, एक मुकम्मल इश्क को खत्म करने के लिए नफरत की पर्याप्त मात्रा चाहिए ही होगी मुझे अच्छे से यकीन है अगर तुम्हारे बच्चे हिंदी का होमवर्क करते वक्त तुमसे *नफरत का पर्यायवाची* पूछेंगे तो तुम्हें मेरा ख्याल जरूर आएगा @देवेन्द्र दांगी
Nafe Singh Kadhian Ganganpuriya
डोंगी गुरु देखो र्स्वग का टिकट कटाने आई चेलों की फौज है, चारों उंगल रहें घी में, संतों की यहां मौज है। तन-मन-धन सब अर्पित करदे ढोंगवाणी बताती है, पति देते नोटों के बंडल, पत्नी चरण दबाती है, घर पर रखे नोकर-चाकर, डेरे झाड़ू लगाती है, परलोकी संतों की महिमा ये सबको समझाती है, भांग रगड़के, सुल्फे खींचों, ये ही इनकी खोज है, चारों उंगल रहं घी में, संतों की यहां मौज है। देखो र्स्वग का टिकट कटवाने आई चेलों की फौज है, नामदाम के भरे टोकरे, तेरे सर पे वारदेंगे, गण्डे तबीज बना रखे, तेरे सारे भूत उतारदेंगे, गालों पे क्रीम लगाके आना, गुरू जी पूरा प्यार देंगे, गर की गुरू की निंदा, तेरी हीक में गोली मार देंगे, यहां पापी ढोंगी भरे पड़े, इस देश पर ये बोझ है, चारों उंगल रहं घी में, संतों की यहां मौज है। देखो र्स्वग का टिकट कटवाने आई चेलों की फौज है, राजा, रंक सब डेरों के सेवा कार बनारखे, कोठी कार धन दौलत के गुरू नै अम्बार लगारखे, शब्दो में माया ठगनी के आचार विचार बनारखे, आंख मूंद के विश्वास कर, ऐसे संस्कार करारखे, बात बात पै लात चले ऐसा होता यहां रोज है, चारों उंगल रहं घी में, संतों की यहां मौज है। देखो र्स्वग का पास बनवाने आई चेलों की फौज है, मन वश में कर जीवन जी, ले ये ही प्रभु का जाप है, ढोंगी के चक्कर में न आना, अपना गुरू तू आप है, निंदा चुगली चोरी जारी सबसे बड़ा पाप है, तंत्र मंत्र काला जादू मानवता पर श्राप है, मन चंगा तो कठोती में गंगा, फिर यहां सब मौज है, चारों उंगल रहं घी में, संतों की यहां मौज है। देखो र्स्वग का पास बनवाने आई चेलों की फौज है, ’’’’नफे सिंह कादयान गगनपुरी, अम्बाला, बराड़ा-133201 मोब.999180957 ©Nafe Singh Kadhian Ganganpuriya डोंगी गुरु
Suraj Dangi
मुस्कराया कीजिए रोने से दर्द और हरे हो जाया करते हैं #सूरज दांगी जाट