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Divyanshu Pathak
तेरे लिए मुझको छोड़के हाय मेरा दिल गया...... ☺😂☕🐒💕 Good morning ji 💕☕☕🍉🍉🍨🍨🍧🍧🍧.... : छूने से तेरे मेरा बदन बनके चमन खिल गया...😊☺ जादू है क्या तेरे हाथों में ? : स्पर्श का अपना महत्व है..... भा
Madhav Jha
वैराज्ञात्प्रकृतिलयः संसारो भवति राजसाद्रागात् । ऐश्वर्यादविघातो विपर्ययात्तद्विपर्यासः ।। 45 ।। It directly means : From dispassion results absorption into Prakriti; from the passion of Rajas results transmigration; from power results unimpediment and from the reverse results the contrary. 【◆●SEE CAPTION●◆】 Those who are free from but are ignorant of the true nature of Purusha(पुरुष), become absorbed in prakriti(प्रकृति). Here Prakriti includes
Divyanshu Pathak
आ पास तेरा दीदार करूँ दिल में रखलूँ तुझे प्यार करूँ ! Good morning ji 💕☕☕☕🍉🍉🍫🍫😄😋🙏🙏🙏☘🍉🍉🍫💕💕🍨👨🍀🍀🍎 हर व्यक्ति चार स्तर पर जीवन जीता है। ये स्तर हैं—शरीर, बुद्धि, मन और आत्मा। व्यवहार में इनको अलग-अल
Divya Joshi
Bhumi Saini
आप कभी भी सर्वगुण संपन्न नहीं हो सकते ऐसा बनने की कोशिश करने पर भी आपको बहुत तकलीफ होगी..... जय श्री राम ©Bhumi Saini सर्वगुण संपन्न
Monika Garg
सीमा की सास आज सुबह से ही बड़बड़ कर रही थी,"हाय पता नही कैसी मनहूस हमारे पल्ले पड़ गयी है । कोई काम सही ढंग से नही करना आता ।बता मठरिया बनाने मे भी कोई मंतर पढ़ने थे क्या । मां ने कुछ सीखाया हो तो कुछ आये।भाग फूट गये हमारे जो ऐसी बहू पल्ले पड़ी है।" सीमा की सास का आज पारा हाई था क्योंकि आज सीमा से नमक पारे बनाते समय थोड़े जल गये थे।वो भी क्या करती सारे घर का काम उसी के ऊपर था।उसका एक साल का बेटा भी था जिसे सम्हालना भी पड़ता था।और सास टीचर थी सुबह ही स्कूल जाते समय सीमा की सास ये कह गयी थी ,"सुन मिननी आये गी उसके लिए नमकपारे और कचोरी बना दियो।मै स्कूल जा रही हूं।दोपहर मे आते समय सामान ले आऊंगी।इतने सारा काम करके रहियो।" सीमा की सास जैसे नौकर को सुना कर जाते है ऐसे हुक्म सुना कर चली गयी।सीमा बेचारी के लिए इतना काम बढ़ गया था कि पूछो मत।ननद का परिवार,और सीमा ,उसके पति , बच्चा,और एक दो रिश्तेदार और आये हुए थे ।वो बेचारी भाग भाग कर सारे घर का काम करती रही ।बेटे को दूध पिला कर सुला दिया था अब दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी तभी मिननी उसकी ननद उसका हाथ बंटाने रसोईघर मे आ गयी ।सीमा को लगा चलों अगर ननद ये सम्भाल लेगी तो वो नमकपारे और कचोरी अराम से बना लेगी। लेकिन उसका मन जब खराब हो गया जब उसने सास को ननद को इशारा करते देख लिया कि तू छोड़ के आ जा बाहर ये अपनेआप बना लेगी।सीमा की आंखों मे पानी आ गया कि देखो कैसा ससुराल मिला है इन्हें बहू थोड़े ही चाहिए थी इन्हें तो नौकरानी चाहिए थी। लेकिन फिर भी उसपर सर्वगुणसंपन्न का ठप्पा नही लगा था ।सभी उसे सर्वगुण संपन्न कहते थे लेकिन सास के मुंह से हमेशा ही उसके लिए अपमान जनक शब्द ही निकले। सीमा ने कचोरी तो बना ली लेकिन जब आधे नमकपारे बना चुकी तो उसका बेटा उठ गया ।अब एक हाथ से बेटे को पकड़े हुए और दूसरे हाथ से कलछी चलाते हुए सीमा का ध्यान कढ़ाई से हट गया और तेल उछलकर उसके हाथ पर गिर गया।सीमा कढ़ाई मे नमकपारे छोड़ कर बाथरूम मे भागी ताकि पानी मे हाथ दे सके।पीछे से नमकपारे जल गये।उसकी सास को जब बदबू आई जलने की तो वो रसोई की तरफ भागी।जब देखा नमकपारे जल गये है तो फिर क्या था ऐसा क्लेश रचा जो अभी तक जारी था।दिनेश सीमा का पति जब काम से लौटा तो सास दरवाजे पर ही बैठी थी उसके आते ही बोली,"भाई रे।तेरी बीवी को बिल्कुल भी अक्ल नही है मिननी के लिए नमकपारे बनवाएं थे सारे जला दिए।" दिनेश ने अंदर जाकर देखा तो दंग रह गया।पूरी बड़ी परात कचौरियों से भरी थी और छोटी नमकपारे से थोड़े से जले हुए एक कटोरे मे रखे थे जिसे सास ने सारे गली पड़ोस को दिखा दिया था कि देखो हमारी बहू को तुम लोग अच्छी , सर्वगुण संपन्न मानते हो।देखो उसके ये गुण।कैसे ननद को देने के नाम पर नमक पारे जला दिये। दिनेश ने सीमा को ही चुप रहने को कहा।ननद सब खाने पीने का सामना लेकर ससुराल चली गयी । वहां जब उसकी सास ने कचोरी खाई तो दंग रह गयी ।बार बार यही कह रही थी,"मिननी बेटा । तुम्हारी भाभी के हाथ मे तो अन्नपूर्णा का वास है कितना स्वाद भरा है उसके हाथों मे । तुम्हें भी तो आती होगा ये सब ऐसा करना जब सरला आये तो उसके लिए ऐसे ही कचोरी बना देना उसके लिए। अब बारी मिननी की थी वह मां को मन ही मन कोसने लगी ,"काहे मां भाभी को कहती कचोरियों के लिए।और काहे मेरी सास मुझे कहती।" उधर मिननी की सास बार बार कह रही थी कचोरी बनाने के लिए।उसने मां को फोन लगाया,"मां तुम ने तो गृहस्थी मे देखा ही होगा।काम कैसे करते है ।मेरे से इतना काम नही होगा मेरी सास बार बार कमला दीदी के लिए कचोरी बनाने को बोल रही है।" अगले दिन सीमा की सास और पति लड़ने जा रहे थे मिननी की ससुराल कि तुम ने हमारी बेटी को इतना काम क्यों बताया।अब सीमा मन ही मन सोच रही थी "मै सर्वगुण संपन्न हूं या मिननी पर उसको कोई जवाब नहीं मिल रहा था। ©Monika Garg सर्वगुण संपन्न #Lumi
Kishor Jangra
ज्ञान दवा और हिम्मत तीन ऐसे नैतिक गुण है, जो पुरे विश्व में मान्य है। सर्वगुण संपन्न बनने की कोशिश करे
manoj kumar jha"Manu"
जिस समय इस देह में तथा अंतःकरण और इंद्रियों में चेतनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सतोगुण बढ़ा है। श्रीमद्भगवतगीता १४/११ सतोगुण का लक्षण
Dev singhaniya
*सुप्रभात* *संसार मे कोई भी मनुष्य सर्वगुण संपन्न नहीं होता है, इसलिए कुछ कमियों को नजरअंदाज कर रिस्ते बनाए रखिए।* ©Dev singhaniya #*#सुप्रभात* *#संसार मे कोई भी #मनुष्य #सर्वगुण #संपन्न