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DR. LAVKESH GANDHI

# फैशन# गुम हो गया दुपट्टा फैशन की आड़ में

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हवा और दुपट्टा कल हवाओं के झरोखों से
 उड़ा था दुपट्टा मेरा
 आज फैशन की वजहों से
 उड़ गया दुपट्टा मेरा # फैशन#
 गुम हो गया दुपट्टा फैशन की आड़ में

Ramesh Tiwari

शर्म स्त्री का गहना है और आजकल नकली गहनों का फैशन Comedy #Nojotocomedy

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शर्म स्त्री का गहना है और आजकल नकली गहनों का फैशन
#NojotoComedy

Anil Ray

आधे-अधूरे, कटे-फटे कपड़ों
को फैशन नही कहते साहब!
कभी राजस्थान आकर देखो,
यह, फैशन क्या होती है।

©Anil Ray #फैशन

Shishpal Chauhan

# फैशन #जानकारी

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Rishipal Bhati

या फैशन ने अंत तार दई लग रही आग घरानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में

बेशर्मी ने करवट बदली कलयुग कू समझान लगी 

आधो दीखे गात उघाड़ो मने देख शर्म सी आन लगी

कहीं जींस की पैंट फटी या निक्कर में काम चलाय रहे

नही दुपट्टा तन पे पावे अब सीनो साफ दीखाए रहे

जनरेशन कू भाय रहे अब जाते क्यू मयखानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे

इज्जत बारह बाट हुई है  यू नो वापस आने की

मां बापू खुद नही समझते बात करे समझाने की 

माथे की बिंदिया ले डुबो अब मांग सिंदूरी नोय पावे 

पैर के बिछवा गायब है गए ये धोती टीपी नोय

भावे

बाखल बैठक नोय पावे अब रहवे मरद जनानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो में

सुल्पा गांजा दारू पीते होटल मे खाना खाते है

गाउरमेंट ने दई सुविधा ओयो मे रात बिताते है 

खानो और कमानो छोड़ो हां लूट खसोटी करन लगे

दूध दही अब नही दीखते हां पीजा बरगर भरण लगे 

नई उमर में मरण लगे लगे चक्कर चौकी थानो मे

बेटी बेटा बिंगड़ गए अब बतलावे फोन पखानो मे


ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati #फैशन

KK Mishra

दूध की थैली के कपड़ों का फैशन

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 दूध की थैली के कपड़ों का फैशन

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

आजकल की आबोहवा #कविता

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आजकल की इस आबोहवा में
इंसानियत खो गई है,लकवा में
एक-दूसरे देखकर न मुस्कुराना
भीतर घुल चुका है,जहर हवा में

कोई किसी की मदद न करता,
हर मनु स्वार्थ की बात करता,
आजकल की इस आबोहवा में
स्वार्थ घुल चुका है,हर दुआ में

आजकल हर रिश्ते टूट रहे है
तेज हवा के एक ही झोंके में
कांच शर्मिंदा होकर रो रहा है
उससे ज्यादा बिम्ब हुए सीने में

अंदर कुछ,बाहर से कुछ बोलते,
हृदय हुए सब छली हर महीने में
आजकल की इस आबोहवा में
हरमनु बेईमान हुआ पानी पीने में

हर रिश्तेदार बगुले बनकर बैठे है
जिंदगी के हर दिन,हर महीने में
फिर भी पत्थर से सर टकराएंगे,
आज नही कल झरना बहाएंगे,

हम भी समां जलाएंगे हर सीने में
बन दीप मिटायेंगे तम हर सीने में
खिलेंगे फूल नये,हंसेंगे चेहरे नये,
फिर होगी भू स्वर्ग हर गली-कूँचे में
दिल से विजय आजकल की आबोहवा

Vikash Kumar

आजकल की दुनिया .... #प्रेरक

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Chitra

आजकल की मोहब्बत। #Shayari

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