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Ajeet Choudhary
मैं कैसे कह दूं आज कि मेरे मन में व्यथा नहीं है पर संघर्षों में घबरा जाना ये ABVP की प्रथा नहीं है #मैं #कैसे कह दूं #आज कि #मेरे #मन में #व्यथा नहीं है पर #संघर्षों में #घबरा जाना ये #ABVP की #प्रथा #नहीं है
Dr Upama Singh
घूम रहे थे प्रेमी युगल शहर के प्रसिद्ध बाग में झूठ बोल निकले थे घर से सच आते सबके सामने उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगे ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_435 👉 चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना मुहावरे का अर्थ - घबरा जाना ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखन
Vedantika
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी हमारे। जब से देखे हैं हमने हुस्न के नज़ारे। भूल गए अपनी राह बीच सफ़र में, तुमसें मिलने को आए नदी किनारे। सोचते थे हम मोहब्बत हैं शिगूफा, अब लगते है हमें खुदा के इशारे। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_435 👉 चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना मुहावरे का अर्थ - घबरा जाना ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखन
Sangeeta Patidar
मालूम! है चार दिन की ज़िन्दगी, फिर था किस-का इंतज़ार, आख़िरी वक़्त आया नज़र क्यों दिन में तारे दिखने का सार। ता-उम्र पकाई है हर किसी ने यहाँ अढाई चावल की खिचड़ी, आकाश पाताल एक कर, जता रहे हो किस बात का ऐतबार। अब तबियत फड़क उठी, खुल गया भानुमति का पिटारा भी, गुज़ारी ज़िंदगी ज़बानी जमा ख़र्च में,अब क्या इसका आधार? मेंढकी को ज़ुकाम हुआ, जो शहद लगा परवाह चटवा रहे हो? मार रहे हो चाँदी के जूते जो हुआ ऐसा ख़ुदगर्ज़ी का व्यवहार? बैठे थे कान में तेल डाल कर, अब क्यों धुन यह सवार हुई है? घुला-घुला के मारते आए हो, अब दिखावे में, काहे का प्यार। दिन में तारे दिखना- घबरा जाना अढाई चावल की खिचड़ी- अलग-अलग रहना आकाश पाताल एक करना - ख़ूब परिश्रम करना तबियत फड़क उठना - ख़ुश होना भानुम
Sanjay Ni_ra_la
ख़्वाब की तरह मैं बिखर जाता हूँ तन्हाई ऐसी है कि मैं डर जाता हूँ अपने दिल की बात कैसे मैं बताऊँ बात ना हो तुझसे, तो घबर जाता हूँ ©Sanjay Ni_ra_la घबरा जाता हूँ
Deepanshi Srivastava
हमें सन्नाटे का खौफ नहीं, पर भीड़ से हम घबरा जाते हैं । यहां जितने चेहरे उतने पहरे , फिर भी कई मुखौटों से चेहरा छिपा जाते हैं । - Deepanshi Srivastava घबरा जाते हैं #shadesoflife
KAVI AKELA
लम्हें जो बीत जाए तो फिकर ना कर *अकेला* अरे नया सूरज भी निकलेगा तू अपनी प्यास तो बढ़ा ।। कवि अकेला 02/05/2020 #sunrays मत घबरा अकेला
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
दर्द देना है तो दे लो फिर पछताओगे। हमसे हसीं मिलेंगे आपको हजारों, फिर हमसा कहां से लाओगे। हमें खोजेंगे जमीं पर फिर भी न पाओगे। जान गए अगर कहा हूं मैं तो, सोच कर भी घबरा जाओगे। सोच कर भी घबरा जाओगे......!