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Namit Raturi
जीने के लिए क्या क्या कसर चाहिए? कुछ साँसें चाहिए और एक उम्र चाहिए, आराम लाई तकनीकें, आए नए नए सलीके, चादर तकिए और बिस्तर, नींदें भूल गई चुभते पत्थर, हमने बिजली को तारों* मे समेटा, तारों* को दूरदर्शी औजारों मे समेटा, मौत को भी मजारों मे समेटा, मजहब, धर्म, खुदा को इदारों मे समेटा, एक साँस के मेहमान को भी एक कब्र चाहिए, कुछ साँसें चाहिए और एक उम्र चाहिए ।। 1. तारों: electrical wires 2. तारों: stars 3. दूरदर्शी औजारों: Telescope #evolution #humanevolution #yqbaba #technology #comfort #hindipoet
AKRAM PATHAN
👉 *एक ओपन* 💘 *हार्ट* 💞 *सर्जरी की* 📄 *यूनिट* 💦के 🙏 *बाहर* ✍️ *लिखा*📃 था। ============= *अगर_दिल* ♥ *#खोल*😙 लेते😔 *अपने* 👬 *यारों के साथ*...! 👉तो ☝️ *आज* 👎 *नहीं = खोलना* []\[] *पड़ता 🔨औजारों🗡️ के साथ*...! =========== 👉 *एक ओपन* 💘 *हार्ट* 💞 *सर्जरी की* 📄 *यूनिट* 💦के 🙏 *बाहर* ✍️ *लिखा*📃 था। ============================================ *अगर_दिल* ♥ *#खोल*😙 ले
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
Happy Hareli To all छतीसगढ़ में आज (हरेली अमावस्या को) हरेली त्योहार के रूप में मनाया जाता है , जो किसानों का प्रमुख त्योहार है , प्रकृति से जुड़े रहने की बहुत स
pawan
अनुज
मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या.. (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या, पुत्र अगर होता कोख में, तुम रानी जैसी चलती क्या, मेरा भी जीवन व्यर्थ नही, मेरा भी जी
Asmita Singh
ममता की भूख मैं और उस माँ का कोख दुनिया की रीत गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप.... आज पहली बार उस अंधेरे में मैंने जीवित होने का सुबूत दिया आंगन में खुशियों की लहर तो आई पर उनके डर ने मुझे फिर से घेर लिया Read the whole poem here- ममता की भूख मैं और उस माँ का कोख दुनिया की रीत गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप.... आज पहली बार उस अंधेरे में
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
ताले... रास्ता देखते हैं ताले... रास्ता देखते हैं चाबियों को याद करते हैं ताले दरवाज़ों पर लटके हुए... चाबियाँ घूम आती हैं मोहल्ला, शहर या कभी-कभी पूरा देस बीतता है दिन, हफ्ता, महीना या बरस और ताले रास्ता देखते है। कभी नहीं भी लौट पाती कोई चाबी वो जेब या बटुए के चोर रास्तों से निकल भागती है रास्ते में गिर, धूल में खो जाती है या बस जाती है अनजान जगहों पर। तब कोई दूसरी चाबी भेजी जाती है ताले के पास उसी रूप की पर ताले अपनी चाबी की अस्ति (being) को पहचानते हैं ताले धमकाए जाते हैं, झिंझोड़े जाते हैं, हुमसाए जाते हैं औजारों से, वे मंजूर करते हैं मार खाना दरकना फिर टूट जाना पर दूसरी चाबी से नहीं खुलते। लटके हुए तालों को कभी बीत जाते हैं बरसों बरस और वे पथरा जाते हैं जब उनकी चाबी आती है लौटकर पहचान जाते हैं वे खुलने के लिए भीतर से कसमसाते हैं पर नहीं खुल पाते, फिर भीगते हैं बहुत देर स्नेह की बूंदों में और सहसा खुलते जाते हैं उनके भीतरी किवाड़ चाबी रेंगती है उनकी देह में और ताले खिलखिला उठते हैं। ताले चाबियों के साथ रहना चाहते हैं वो हाथों से, दरवाजे की कुंडी पकड़ लटके नहीं रहना चाहते वे अकेलेपन और ऊब की दुनिया के बाहर खुलना चाहते हैं चाबियों को याद करते हैं ताले वे रास्ता देखते हैं।। ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) ताले और चाभियो कि अन्कहि दास्तन. ताले... रास्ता देखते हैं ताले... रास्ता देखते हैं चाबियों को याद करते हैं ताले दरवाज़ों पर लटके हुए... चा
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get ©कंवरपाल प्रजापति टेलर आज पीएम मोदी ने देश में आने वाले दिनों में एक नई योजना 'विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना' (Vishwakarma Kaushal Samman Yojana) भी शुरू करने का
Divyanshu Pathak
21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है । इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं। देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏 : बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम