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Santosh kumar Kunjam
अपनी दिल से पूछो की अपनी मांजी की रास्ता बोहूत दुर है पर हर क्तिनाईयो चीर कर है सामना करूंगा ©Santosh kumar Kunjam जिंदगी मे कुछ हचा करना है ताकि मंजिल हमारे सामने जूक जाए
M.K Meet
Gourav chaplot
#ख़ामोशी जरा वक़्त दो मेरी ख़ामोशी को बेशक नतीजा कुछ अच्छा ही होगा बिना मुझे जाने उंगली ना उठाओ वक़्त रहते तुमको जूकना ही होगा... #ख़ामोशी जरा वक़्त दो मेरी ख़ामोशी को बेशक नतीजा कुछ अच्छा ही होगा बिना मुझे जाने उंगली ना उठाओ वक़्त रहते तुमको जूकना ही होगा...
Yogesh Patel
लिखने का मेरा ऐसा है सोक जो मुझसे करे ऐडे चाली उसपर लिख डालू जोक😁 इसी लिए कोई कुछ कहता नही क्या इसे ही कहते है खोफ योगी पटेल ^जोक #
Amit Tiwari
काशी का कल्लू राम था काबा बना गई मैंथा बड़ा होटल मुझे ढाबा बना गई लुटते हैं कैसे इश्क में यह हमसे सीखिए वह बेबी बेबी बोल के बाबा बना गई जोक
अमोल राजेंद्र उबाळे
जेव्हा एकाच व्यक्तीवर आपण दोन वेळा विश्वास ठेवतो तेव्हा चूक आपलीच असते चूक
Jalaj Dewda
जून में बरसते हो तो ही इश्क़ से लगते हो , ये अप्रैल में तुम्हे देखना बर्बादी सा लगता है । खिड़की से ताकते रहते हो आदत में बिगड़े से लगते हो , ऐसा छुप कर देखना तुम्हारा पहरेदारी सा लगता है। जाने का वक़्त तय ना हो तो ही अपने से लगते हो , ये थोड़ा थोड़ा तुमसे मिलना हिस्सेदारी सा लगता है। बिजली की तरह चमकते हो तो ही अच्छे लगते हो , ये बुझता हुआ तुम्हे देख बोहोत भारी सा लगता है । बादल ठहरा हुआ है तो ही इश्क़ में लगते हो , ऐसे बारिश में भीगना किसे समझदारी सा लगता है । जो कुछ कहना हो तो कह दो यू चुप चुप सदमे में लगते हो , ऐसे जाना तुम्हारा मौसम बदलने की तैयारी सा लगता है । जून में बरसते हो तो ही इश्क़ से लगते हो , ये अप्रैल में तुम्हे देखना बर्बादी सा लगता है । - Jalaj dewda जून ।
Deep Kushin
Sad love quotes in Hindi मूक बोलो, जिसे मैं सह रहा हूं वो तुम्हें भी सता रहा है क्या, जो महसूस मैं कर रहा हूं वो तुम्हें भी हो पा रहा है क्या? जिसे मैं बोल नहीं पा रहा उसको समझ रहे हो क्या, जैसे मैं असहज हूं वो असहजता तुम्हें भी हो रही है क्या? या बस मैं ही इसे महसूस कर रहा हूं? अपने जख्मों को खुद ही धूल रहा हूं? क्या सच में मैं इतना बुरा बन गया? जो आज तक नहीं हुआ वो एक पल में हो गया! क्या सच में मैं इस लायक हूं? दुःख और क्लेश का परिचायक हूं! क्या वास्तव में दंड का भागी हूं मैं? क्या अंधेरे का अनुरागी हूं मैं? क्या सच में मैं एकाकी हूं! अकेलेपन का साखी हूं? बोलो, तुम साथ तो मेरे हो न? आहत में हूं मैं,अपना साथ तो दो न, कह दो कि एकाकी नहीं हूं मैं चुप हो!क्या मानूं?क्या वास्तव में सही हूं मैं! उचित नहीं मित्याचरण करना शायद खुद का ही मैं दोषी हूं, सजा मुकम्मल हुई मुझको हद्द से ज्यादा जो रोषी हूं। स्वीकार हैं ये दिन भी मुझे इसको भी काटा जाएगा, हितैषी किसी का कहां हूं मैं जो मेरे गम को बांटा जाएगा। अधिकारी हूं इसका ही मैं पूर्वानुमान जो लगाया था, गर चुप होता तो बेहतर था पहले तुम सबका जो शाया था। सब कुछ गवां के बैठा हूं ये मन अब बहुत अशांत है, पीड़ा अत्यंत भयंकर है चेतना तक मेरी अब क्लांत है। #मूक