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Lalit Tiwari

कलम की मुखरता

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कलम की वो मुखरता क्याॽ

गीत न खुद गुनगुनाए

हो कलम गमगीन तो क्या

आंख में आंसू न आए

शब्द ही वह शब्द क्या है

जो हृदय को छू न पाए । कलम की मुखरता

vishnu prabhakar singh

जागो भारत जागो 
'अवधारणा'
हमारी निती राजनिती 
अच्छे बुरे की निजता से परे 
बेखौप,तल्ख आरोप के व्याख्यान पर 
हमसे चौकन्ना कोई हो कैसे 
हमारा स्पष्ट पारदर्शी इतिहास 
धुसरित है स्वार्थ से 
जहाँ यतन से ढूँढा था हमने विकृत 
भाँप लिया था ठप पडी इच्छा-शक्ती 
तब इसके उत्तथान के लिये बने बेखौप 
बिसरायी संवैधानिक बाधा 
विकास किया विकृत का 
केंद्रित की क्षेत्रियता 
प्रतिष्ठित की मानसिकता 
झेला अनुशासन हीनता का पश्याताप 
परंपरा तोडा परिवार जोडा 
सार्वजनिकता में सुलभ हुये 
भय के माहामंडन में बैर लिया
धौस से हमारा शोषन हुआ 
वाणिज्यिक धन को तरसते रहे 
राष्ट्रपति मनोनित संस्था के हाशिये पर 
लम्बा संघर्ष किया 
आसान नहीं रहा 
जरा सोचो,
अहिंसा के पूजारियो और संवैधानिक पीठ की कर्मण्यता 
कल्याणकारी रुप और सुदृढ विधि-व्यवस्था का खुला मंच 
दिमाग खराब !
तब हमने आविष्कार किया 
अशिक्षित समाज के लिये भ्रम 
धर्म और जात में खोये को धन 
अधुरा-सच का मूल मंत्र 
भोकाल का नेपथ्य तंत्र
हम बोल-बोल कर अनशुने रहे 
ऊठती ऊंगलियो को अप्रमाण बताया 
अछूत का विषपाण किया 
फसते ही चले गये 
तब ये विरादरी बनी त्रुव का पत्त्ता
जहां असुरक्षित लाभ बढा रहे है,और हमें मिल रहा है असंवेदनशीलों का बहुमत! #अवधारणा

Praveen Jain "पल्लव"

#lonely बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है #lonely #कविता

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पल्लव की डायरी
सृष्टि के श्रंगार और निर्माण की
अद्भुत कला थी नारी
नर की पौरुषता को,निखारती थी नारी
जननी सभ्यताओं की पाठशाला संस्कृति की थी
परिस्थितियों से संघर्ष कर
शिवाजी और महाराणा प्रताप बनाती नारी
आज गमो में घुटकर लाचार दिखती नारी
घरों से बहार निकलकर,आजादी की दुहाई देती नारी
टूट रहे परिवार परवरिश से,उदण्डता पनप रही है
मापदंडों पर दोहरी भूमिका, बेचारी नारी दो पाटो में
चक्की की तरह पिस रही है
बाजार बाद की अवधारणाओं में,
नारी की कीमत अक रही है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #lonely
बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है
#lonely

Ek villain

#आज गांधी जी की अहिंसा की अवधारणा को समझना और पालन करने की आवश्यकता है #gandhijayanti #Society

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सारा जगत ब्रह्मा है गांधी जी का आदर्श महाकाव्य था उनके अनुसार सभी जीवो के अंदर एक ही परमात्मा का वास है जीव हिंसा परमात्मा की हिंसा है जिससे हम जीवित नहीं रह सकते उसे मारने का हक भी नहीं है इसलिए थोड़ा भी हिंसा उनके मन को व्यतीत कर देती है वह जानते थे कि धार्मिक विद्वेष हिंसा का सबसे बड़ा कारण है इसलिए उन्होंने जीवन की अंतिम क्षणों तक सर्वधर्म समभाव पर जोर दिया सब वह सब के कल्याण के लिए भारत में प्रेम सद्भाव और भाईचारा देखना चाहते थे इसलिए सब रामराज्य की संकल्पना की थी क्योंकि राम राज्य में सब्र नारे संकल्प की थी आज गांधी जी की हिंसा की अवधारणा को समझने और पालन करने की आवश्यकता है

©Ek villain #आज गांधी जी की अहिंसा की अवधारणा को समझना और पालन करने की आवश्यकता है
#gandhijayanti

NEETU SHARMA

अवधारणाअच्छाबुरा..##nojotohindi#nojotolike#nojotofollowrs#nojotoqutoes#nojotosayari#nojotopoetrys#kalkash

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एक "अवधारणा" का जन्म किसी के मन में तभी पनपता है । जब कोई ईसांन या तो अच्छा हो या बुरा हो।.                good moraning                                                                                                  !! good moraning !! अवधारणा#अच्छा#बुरा..##nojotohindi#nojotolike#nojotofollowrs#nojotoqutoes#nojotosayari#nojotopoetrys#kalkash

Roy Amit

मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्य

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मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्यक्तित्व का परिचय है.

रॉय अमित  मैं जो भी कहता हूँ वो आप कितना समझते है, ये इस बात पर निर्भर है की आपकि अवधारणा मेरे प्रति कैसी है क्यूंकि आपकि अवधारणा ही आपके लिए मेरे व्य

Priya Kumari Niharika

Poetry poem story Shayari Love me maa thought प्रेम की अवधारणा Gulshan_Dwivedi BM27 HOLOCAUST SHANDILYA mohammad shah baaz World

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शीर्षक : प्रेम की अवधारणा
हर तपस्या से बड़ी है,प्रेम की इक भावना
इनसे है ये जिंदगानी,जीने की संभावना
 संकटों को झेलने की, दे अथक सांत्वना
 इनसे संभव शुभ विचारों, की हुई उद्भवना
 इनसे जीतोगे जहां,और न पड़ेगा हारना
ऐसी ही है शुद्ध निश्चल, प्रेम की अवधारणा 
ऐसी ही है शुद्ध निश्चल, प्रेम की अवधारणा

©Verma Priya #Poetry #poem #story #Shayari #Love #me #maa #thought #प्रेम की अवधारणा  Gulshan_Dwivedi #BM27 HOLOCAUST SHANDILYA mohammad shah baaz  World

Vandana Rana

लोगों की किसी भी विषय पर अपनी एक अलग अवधारणा होती है किसी का भी गलत आंकलन करने की अपेक्षा उनके विचार पर भी गौर करें! #Quotes

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Santosh yadav

सतलोक अविनाशी लोक है। जहाँ ऊंच-नीच की अवधारणा नहीं है। इस कारण द्वेष उत्पन्न नहीं होता। जबकि पृथ्वी लोक पर ऊंच-नीच, छोटे-बड़े की आग में सारा

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