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Yashvi Singh
कुछ भी कहूंगी तो वो तेरी रूसवाई होगी आँख बहेगी नही तो वो बेवफाई होगी तुम ही कहो मैं किस किस बात पे झगड़ा करू अगर कुछ भी कहा तो बस जग हँसाई होगी
KrissWrites
मोहिनी सूरत लेकर भी मोहन भए , राधा दीवाने । सुध-बुध सब खौए मोहन त्यागे सब काम -काज मुरली बैरन लगे मोहन को मोहन भए राधा दीवाने । मोहन को सताए याद राधा की तरसते मोहन राधा से मिलन को मोहन भए राधा दीवाने । कुछ ना भाए मोहन को चारो तरफ भटकत मोहन राधा- राधा बोलत ना प्रवाह रही मोहन को जग हँसाई की मोहन भए राधा दीवाने । राधा की ख़ातिर अपना सबकुछ लुटाए मोहन उम्र भर तरसते रहे मोहन राधा की ख़ातिर राधा पे कोई आंच ना आए खुद ही राधा से दुर भय मोहन मोहन भए राधा दीवाने । - krisswrites ©kriss.writes मोहिनी सूरत लेकर भी मोहन भए , राधा दीवाने । सुध-बुध सब खौए मोहन त्यागे सब काम -काज मुरली बैरन लगे मोहन को मोहन भए राधा दीवाने ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
तू किसी के लिए अब दुहाई न कर । वक्त के साथ चल औ भलाई न कर ।।१ और कोई नही है तुम्हारा यहाँ । तू अभी चीज अपनी पराई न कर ।।२ इस तरह से लुटाकर सुनो धन कभी । यार अपनी यहाँ तू नुमाई न कर ।।३ जीत कर तुम दिलो को रहो खुश सदा । पर किसी की किसी से बुराई न कर ।।४ भूल जा तू उसे और भी हैं हँसी । एक उसके लिए तू जग हँसाई न कर ।।५ इक नज़र तो इधर देख ले बेरहम । इन हसीनों कि खातिर कमाई न कर ।।६ हाल इनके घरों के सही कुछ नही । आज इनके लिए घर जवाई न कर ।।७ कर्द रिश्तों कि इनसे हुई ही नही । आज इनकी उन्हें तू लुगाई न कर ।।८ प्यास से यह मरेगा प्रखर एक दिन । तू जमीं की यहाँ पर खुदाई न कर ।।९ २२/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तू किसी के लिए अब दुहाई न कर । वक्त के साथ चल औ भलाई न कर ।।१ और कोई नही है तुम्हारा यहाँ । तू अभी चीज अपनी पराई न कर ।।२ इस तरह से लुटाकर
Technocrat Sanam
क्या क्या खो दिए, क्या मिला रहनुमाई में? बन्दा सोचता है अब बैठ अकेले तन्हाई में। हर तरफ ख़ुशी का माहौल सा था 'सनम' जाने क्यों दर्द था बजाने वाले की शहनाई में? किसे पता आँसू ग़म के थे या फिर ख़ुशी के? एक बाप की आंखें नम थी बेटी की विदाई में। ख़ुदा से दुश्मनी कर ली उसको ख़ुदा बताकर फिर उसने कसर नहीं छोड़ी उनकी जुदाई में। उसने फिर से मनाने की ऐक्टिंग शुरू कर दी "बस इतना ही प्यार", उसने भी कह दिया रुसवाई में। हम ग़ैरों से शिकवे गिले करें भी तो क्या सोचकर? हमारे अपने भी हँसे थे हमारी जग-हँसाई में। चारो तरफ़ से दबा के रखा हरेक कोने को न जाने हवा कहाँ से आ जाती है रजाई में? ©technocrat_sanam Jyada aankhe n gdhhao.. 😇 Idhr pd lo shriman.. 😛🤭🤗🙏 #जग_हँसाई #ek_ghazal क्या क्या खो दिए, क्या मिला रहनुमाई में? बन्दा सोचता है अब बैठ अ
Krish Vj
शीर्षक :- शब्दों के तीर 🏹 ।। कुछ बोलूँ मैं, उससे पहले शब्दों को तोलूँ मैं रूठ ना जाए कोई दिल, सोच पिटारा खोलूँ मैं ।। ।। जतन करूँ मैं ऐसा, जिससे भला हो सबका सत्य वचन कहूँ, राग, द्वेष शब्दों में ना सोचूँ मैं ।। पूर्ण कविता अनुशीर्षक मेें पढ़िए!! कुछ बोलूँ मैं, उससे पहले शब्दों को तोलूँ मैं रूठ ना जाए कोई दिल, सोच पिटारा खोलूँ मैं जतन करूँ मैं ऐसा, जिससे भला हो सबका सत्य वच
Anamika Nautiyal
कल्लू जी (अनुशीर्षक में पढ़ें) कल्लू जी को था खुद पर अभिमान मानो ब्रह्माजी से पा लिया हो वरदान अपनी शक्तियों पर खूब इतराते थे चाचा विधायक हैं ऐसा सब को बताते थे कहने लगे
Vaseem Akhthar
ताईद ना सही, तज़लील ना करो हुई गर मुझ से चूक, जग-हँसाई ना करो ⭐⭐⭐ 3 testimonials on Urdu_shayari/promotional screening by Tanha Raatein तज़लील= अपमान जग-हँसाई= लोगों के सामने हंसी उड़ाना, बदनाम करना 💐
Vaseem Akhthar
ताईद ना सही, तज़लील ना करो हुई गर मुझ से चूक, जग-हँसाई ना करो ⭐⭐⭐ 3 testimonials on Urdu_shayari/promotional screening by Tanha Raatein तज़लील= अपमान जग-हँसाई= लोगों के सामने हंसी उड़ाना, बदनाम करना 💐