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शब्दांचेअवजार
वक़्त का हिसाब गौर से देखा जाय तो हम उस क़ाबिल नहीं है क्योंकि हमें फुर्सत तो मिलती है फिर भी हमें वक़्त से चलना नहीं आता वक़्त का जर्या #शब्दांचेअवजार
Bhawna Vaishnav
इमरोज़ उसकी अदाएं इतना कहर ढा रही थीं वो दुपट्टे से लिपटी हुई मेरे नजदीक आ रही थी रखें उसने जहां-जहां कदम हमारी क़र्या में चूम लिया उन निशां को हमने वो जगह जगमगा रही थी ©Bhawna Vaishnav #इमरोज़=आज #कर्या=गली
Nitin Kr Harit
दर्द की चादरों में लिपटा लिपटा कर्राह रहा है कोई, वो देखो, घर जाने के लिए, बेघर, आ रहा है कोई।। #Condition_In_Delhi दर्द की चादरों में लिपटा लिपटा कर्राह रहा है कोई, वो देखो, घर जाने के लिए, बेघर, आ रहा है कोई।। - Nitin Kr Harit #yqbaba #yqdidi #delhi #sha
BRIJESH KUMAR
|| दर्द अपने कलम से लिख रहा है,ब्रजेश कर्राह भी लेता है, चिल्ला भी लेता है, कमाल का हुन्नर दिया है, खुदा ने लिखने वालों को बिना शोर किए रोने का? ||😢 ब्रजेश कुमार || दर्द अपने कलम से लिख रहा है,ब्रजेश कर्राह भी लेता है, चिल्ला भी लेता है, कमाल का हुन्नर दिया है, खुदा ने लिखने वालों को बिना शोर किए
Dk Patil
Motivational indar jeet group
आखिर क्यों !! हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । मुझे समय नहीं मिलता मैं घर के काम में व्यस्त रहता हूँ , मुझे कहते तो सभी भाई अपने लिए भी जरा वक्त निकाला करो । लेकिन आखिर एैसा क्यों होता है ? 👉 भाई सिधी बात है मन के कहे अनुसार चलने वाले का यही हाल होता है , वो अपने जीवन में कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं करपाते , इस प्रकार के व्यक्ति को मन के गुलाम कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जब तक आप मन के कहे अनुसार चलोगे तो यही हश्र होगा आप अपने अच्छे जीवन को अंधेरे की ओर धकेलने में स्वयं जवाबदार हो । यह तो संसार सागर है यहाँ हर जीव किसी न किसी कारण से दु:खी है इस लिए यहां दूसरों की चिंता करने से अच्छा है अपने स्वयं को पहचानलें वर्णा रोते हुए आए हो रोते हुए इस संसार से चले जाओगे । 👉 आपको अपना जीवन सुखी करना है मन में शांति लानी है संसार का आवागमन खत्म करना है तो आपको सुखी होने का सबसे बड़ा जर्या है आप गुरुमुख बन जाए । गुरूमुखी कभी भी अपने जीवन में डगमगाते नहीं वो हमेशा सत्संग सुनना , सुमिरन में बैठना , शास्रों को पढ़ने में रूची रखना अपनी ड्यूटी समझते हैं । 👉 काम , क्रोध , मोह , लोभ , लालच , आपके लिए ये मछली के जाल की तरह है इसमें आना याने अपने आपका जीवन को नष्ट करना है । अत: इन पांच इन्द्रियों से बचने का सही तरीका है ईश्वर ध्यान करें , मन के कहे अनुसार न चलें क्योंकि मन इन इन्द्रियों का गुलाम है ओर आपको नाना प्रकार के व्यसन , कुकर्मों में उलझाए रखेगा यह आपको अच्छे काम की तरफ जाने नहीं देगा, आप अपना ज्यादा तर समय सत्संग ( शास्रों ) में बीताएं । 👉 अगर आपकी संगती मनमुखी से है तो स्वभाविक है वह आपको भी अपने जैसा बनाए रखेगा । अत: अपनी संगती गुरूमुखी से बनाए रखे । आप चाहे जीतनी कोशिश करलें मक्खी चंदन या खुशबू वाली जगह पर नहीं बैठेगी क्योंकि उसको वहाँ का पता ही नहीं है और उसको गंदगी पर बैठना उसका अपना स्वभाव है , अत: इस प्रकार के व्यक्ति आपको भी अपने साथ रखने का प्रयास करेगें । राधास्वामी जी ।👏👏 ©motivationl indar jeet guru # आखिर क्यों !! हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । मुझे स