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Anokhi

# सावन के झूले.. #शायरी #nojotovideo

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Shravan podcast Live

#खाली सावन के झूले

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तो सावन के झूले जो हम साथ झूले
अब वो दौर नही आएग तेरे बिन ही झूलना पड़ेगा😢

©Right 2 Vision #खाली  सावन के झूले

Ashutosh Singh

वो सावन के झूले वो बारिश का पानी। #कविता

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kavi Dinesh kumar

सावन के झूले नहीं हैं अब तक भूले

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Nammy S

#nammy27 #Friendship #FriendshipDay #कमीरही सावन के झूलें पड़े ..तुम चले आओ....

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वो बचपन का टूटा झूला तो था
बस पीछे से धक्का देके
झुलाने वाला नही था 
आज सिर्फ हर तरफ 
बिखरे अल्फ़ाज़ थे
संदेशों से भरे मोबाइल थे
लेकिन एहसास नही थे
कोई स्पर्श नही था। #nammy27 
#friendship 
#friendshipday 
#कमीरही 

सावन के झूलें पड़े ..तुम चले आओ....

utkarsh srivastava

ये रंग-बिरंगी हरियाली देखो सावन की बारिश देखो तन-मन को भिगते देखो बूंदों को होठों से चुमते देखो पेड़ों की खुशी देखो पत्तों की मुस्कान देखो #Love #Feeling #weather #nojotopoetry #starme

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ये रंग-बिरंगी हरियाली देखो
सावन की बारिश देखो

तन-मन को भिगते देखो
बूंदों को होठों से चुमते देखो

पेड़ों की खुशी देखो
पत्तों की मुस्कान देखो

रिमझिम-रिमझिम बारिश देखो
सावन के झूले देखो

आकाश को झूमते देखो
धरती को चुमते देखो

मेरे बचपन की यादों की 
कागज़ की कश्ति देखो
कुछ पूरे तो कुछ अधूरे से 
मेरे ख्वाबों को देखो

ये रंग-बिरंगी हरियाली देखो
सावन की बारिश देखो ये रंग-बिरंगी हरियाली देखो
सावन की बारिश देखो

तन-मन को भिगते देखो
बूंदों को होठों से चुमते देखो

पेड़ों की खुशी देखो
पत्तों की मुस्कान देखो

🇮🇳always_smile11_15

हूँ "में, मिथिला की लाड़ली, "कान्हा" तुम हो मेरे आधार हूँ "सीता" माँ नगरी की, हैं जहाँ "राम-कृष्ण" का आधार "मीरा-राधा" बनी इस जग में वि #poem

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🍃सावन की मेहंदी🍃






(read in caption)....✍️

©🇮🇳always_smile11_15 हूँ "में, मिथिला की लाड़ली, 
"कान्हा" तुम हो मेरे आधार 

हूँ "सीता" माँ नगरी की, 
हैं जहाँ "राम-कृष्ण" का आधार

"मीरा-राधा" बनी इस जग में
वि

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

बोल रहा मुंडेर पर , निशिदिन मेरे काग । कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १ सावन से पहले सजन , आ जाना इस बार । कब तक करती म #कविता

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बोल  रहा  मुंडेर  पर  ,  निशिदिन  मेरे  काग ।
कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १

सावन से  पहले सजन , आ  जाना  इस बार ।
कब तक  करती  मैं रहूँ , यह  विरहन शृंगार ।। २

पिया   यही   अनुराग  तो  ,  है   मेरा  शृंगार ।
बिन  तेरे  झूठा  लगे ,   मुझको  यह  संसार ।। ३

मिले  पिता  अनुराग  जो ,  बच्चे  हो  सम्पन्न ।
घर आँगन खुशियां खिलें , देखो सभी प्रसन्न ।। ४

सावन   के   झूले  पड़े  ,  पूर्वा  चले   बयार ।
नैना प्यासे  दीद  को ,  आ  जाओ  भरतार ।। ५

आज  उसी  अनुराग  से , भर  दो  मेरी माँग ।
खिल जाऊँ बनके कली , दूँ कोयल सी बाँग ।। ६

                 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बोल  रहा  मुंडेर  पर  ,  निशिदिन  मेरे  काग ।
कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १

सावन से  पहले सजन , आ  जाना  इस बार ।
कब तक  करती  म

Mohammad Arif (WordsOfArif)

मौसम कितना सुहाना हैं अगर तुम साथ होते इस पल में हम भीग जाते अगर तुम साथ होते आते जाते पलों का हमें क्या करना तुम्हारे बिना अगर इस बारिश के

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मौसम कितना सुहाना हैं अगर तुम साथ होते
इस पल में हम भीग जाते अगर तुम साथ होते

आते जाते पलों का हमें क्या करना तुम्हारे बिना
अगर इस बारिश के पल में हम तुम साथ होते

क्यूं चले गए सावन में हमें छोड़कर बताओ तुम
सावन के झूले भी झूल लेते अगर तुम साथ होते

मेरे उपर क्या बीत रही हैं तुम्हें क्या बताएं
जबसे छोड़कर गये हो अधुरा हूं अगर तुम साथ होते

बरसे बदरा सावन में अब बेमौसम क्या हम कहें
अकेले सावन में अच्छा नहीं लगता अगर तुम साथ होते मौसम कितना सुहाना हैं अगर तुम साथ होते
इस पल में हम भीग जाते अगर तुम साथ होते

आते जाते पलों का हमें क्या करना तुम्हारे बिना
अगर इस बारिश के

dil se dil tak

#ChaltiHawaa तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना #विचार

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तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है
दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है 
इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है
कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना है
बारिशो मे हुए प्यार का‌
 ठिकाना कहां है
खिलते हुए फूल लहलाती फसले
सावन के झूले पक्षियों की नस्लें
तुझसे पूछ रही है ,कि तू आ 
तो रहा है लेकिन ये तो बता जरा 
तेरे स्वागत में अपनी पलकों को
 बिछाना कहा है
 तेरी उम्मीदो में मैंने एक उम्र गुजार दी
मैने अपनी‌ सारी‌ बिगड़ी आदतें सुधार दी
पर तेरे‌ आने का कोई नाम न ऐ खुशी 
क्योंकि मेरी जिन्दगी से तुझे गमों
को मिटाना कहां है।। 
R.A.✍🏼

©dil se dil tak #ChaltiHawaa तेरी हकीकत ‌मे मेरा ‌फसाना कहां है
दो शब्दों ‌सी तेरी मोहब्बत है 
इसे शाबित कर मुझे दिखाना कहां है
कल फिर हमें पतझड़ से गुजरना
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