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Adarsh Sinha

पेड़ का पीर। #पीर #शायरी

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रास्ता सुनसान है
कोई नहीं राहगीर है
पेड़ बाँट सके
जिसे अपना पीर है पेड़ का पीर।
#पीर

कवि प्रदीप वैरागी

तुम क्या जानो पीर पराई ,
छान रहे हो दूध मलाई
मेरे घर सन्नाटा है,
अपना गीला आटा है। #पीर

डॉ पूजा मिश्र

#पीर

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विकल भाव से हो उठी,उद्वेलित उर-पीर।
हल कोई सूझे नहीं,कैसे धारूँ धीर? #पीर

Rashid MoMeen

पीर

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में आईना की तलाश में दर बा दर भटकता रहा, जब मिला मेरे पिरो मुरशिद से राजो नियाज,
 तो वली की हकीकत को समजने लगा, 
इशकू में सचचाही का समंदर मिलता है ,

चला अगर मुरीद हक परसती पर तो पिर के वासीले से खुदा मिलता हैं,,
ना मायूस होकर बैठना अपने ही घर में, 
ठोक ए शेख अपने ही दिलका दरवाजा फिर देख किसकी शकल में खुदा मिलता हैं, पीर

पीराराम जी परिहार

पीर #विचार

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gio creation

इक देश राझां इक देश हीर।
किथे मिल जावे  
बदली नू समन्दर
दोवें  मनावें इको जेहा पीर।।

©gio creation #पीर

#WalkingInWoods

manav raj(मानव)

अन्तस पीर# #कविता

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मौसम भी तेरी फितरतों की तरह,
बदल रहा है  आजकल  ।
लगता है रब को भी, बस बहुत हुआ!
नादानीयों तक तो ठीक था,गल्तियां भी शायद माफ थी,लेकिन जान बुझ कर...
नहीँ  साहब, ये रब हैं, इसका  दुलार और  वार,दोनो ही बहुत सधे हुए होते हैं ।
उसने  जग बनाया  हैं,उसे तू क्या बनाएगा।
सुधर जाएँ हम तो ठीक हे ,
 वर्ना वो मंजर भी आएगा 
जब वो मोहिनी नृत्य नहीं
तांडव दिखाएगा । अन्तस पीर#

Bharat Gehlot

पीर -पीड़ा

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 पीर -पीड़ा

Raaj _The Secret

पीर फकीर #Shayari

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DEV KUMAR

पीर prayi

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उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू 
मन है कुंठित आँख मे आस्क ना जाने क्यू 
मैं अकेला बेचैन हु बैठा ना जाने क्यू 
सोच रहा हूँ रो रहा हूं ना जाने क्यू 
उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू

लूटी आज एक अस्मत फिर है 
बिखर गयी बाहर चमन की 
मानवता से फिर उठा भरोसा 
इंसानियत ने फिर दम तोड़ा 
उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू

पलते थे सपने जिन पलकों पर 
उनमे अँधियारा झाँक रहा 
लबो पे चुप्पी बदन कपड़ो से झाँक रहा 
लूटी है अस्मत फिर किसी की सारा जग ये जान रहा 
उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू

पहुंची आंगन घर बाबुल के 
सारा घर उसे ताक रहा 
माँ बाप की ऑंखें शर्म से झुकी 
दरसक बने लोगो सारा मज़ारा जाँच रहे, 
उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू

कपडे छोटे जिस्म खुला ये तने भी सुनते है 
8 के बाद घर से निकले तो परिणाम यही बताते है 
संस्कारो मे कमी ये लड़की के जताते है 
एक बार की लूटी अस्मत ये रोज़ बज़ारो मे लुटाते है 
उठ रही है मन मे मेरे पीर परायी ना जाने क्यू
मन है कुंठित आँख मैं आस्क ना जाने क्यू पीर prayi
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