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Amol Gund
आठवणींच्या वाटेवरती जशी पावलं चालू लागतात आठवणींचे कोष सारे सभोवताली जमू लागतात क्षण एक एक त्यातील जागे होवू लागतात बदललेल्या सगळ्यांच्या वाटा पुन्हा हळुहळु जुळू लागतात आठवणी पुन्हा माझ्याशी तोच विषय बोलू लागतात झाल्याबद्दल आठवणींचा भाग दिलगिरी व्यक्त करू लागतात आठवणी आठवणींच्या
Titkare Pratiksha Sadashiv
काही आठवणींच्या पाऊलखुणा उमटतातच न पुसण्यासाठी आणि जरी मिटल्या काही सागरलाटांनी तरी पुन्हा पुन्हा परततात धुसर दिसण्यासाठी... - प्रतिक्षा सदाशिव तिटकारे #आठवणींच्या पाऊलखुणा
vishnu thore
आठवणींच्या शेणसडयानं सारवत जा माझ्या कवितेचं अंगण, शब्दांची घरं हल्ली पोरकी झालीय खुप! - विष्णू थोरे आठवणींच्या शेणसडयानं सारवत जा माझ्या कवितेचं अंगण,शब्दांची घरं हल्ली पोरकी झालीय खुप!
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता